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महाराष्ट्र: बीजेपी की आईटी सेल को दिया गया चुनाव आयोग का काम? 

क्या चुनाव आयोग ने साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर अपने कामकाज को देखने के लिए बीजेपी की आईटी सेल को नियुक्त किया था? यह सनसनीखेज सवाल उठाया है आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने। 

गोखले ने इस मामले को लेकर कई ट्वीट्स किये हैं। इन ट्वीटस में उन्होंने बताया कि जब वे महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी की भारत के मुख्य चुनाव आयोग को भेजी रिपोर्ट्स को देख रहे थे तो कई चौंकाने वाले तथ्य उनके सामने आये! ट्विटर पर उनके द्वारा उठाये गए सवालों पर चुनाव आयोग ने भी दखल दिया है। 

Saket gokhale alleged EC hire Davang dave agency - Satya Hindi

चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरण ने इस मामले में जवाब दिया है कि महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी से इसे लेकर तथ्यात्मक रिपोर्ट माँगी गयी है। 

साकेत गोखले ने जो मामला उठाया है, उसमें उन्होंने 202 प्रेसमैन हाउस, विले पार्ले, मुंबई के पते का जिक्र किया है। इस पते पर साइन पोस्ट इंडिया, नामक एक विज्ञापन एजेंसी चलती है, जिसे देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में सरकार ने विज्ञापन एजेंसियों की सूची के पैनल में शामिल किया था। 

इसी पते पर "सोशल सेन्ट्रल" नामक एक डिजिटल एजेंसी भी चलती है, जिसको देवांग दवे चलाते हैं। देवांग दवे, बीजेपी, युवा मोर्चा की आईटी सेल व सोशल मीडिया प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक हैं। आप देख सकते हैं कि "सोशल सेन्ट्रल" ने अपनी वेबसाइट में अपने क्लाइन्टस के नाम में महाराष्ट्र चुनाव आयोग और महाराष्ट्र शासन को भी शामिल किया है। 

Saket gokhale alleged EC hire Davang dave agency - Satya Hindi
देवांग दवे एक वेबसाइट भी चलाते हैं, फीयरलेस इंडियन नाम से। इसके अलावा उन्होंने फेसबुक पर ,"I Support Narendra Modi" पेज भी बना रखा है। स्वाभाविक रूप से इस एजेंसी की सेवाएं लेने वाले ग्राहकों में बीजेपी का नाम शामिल रहा होगा। 
Saket gokhale alleged EC hire Davang dave agency - Satya Hindi

इसके अलावा इस एजेंसी के ग्राहकों में कई सरकारी संस्थानों के भी नाम हैं। गोखले ने कहा, ‘यह बहुत आश्चर्यजनक है कि बीजेपी की आईटी सेल से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्ति को चुनाव आयोग ने अपने सोशल मीडिया का काम दिया। एक ऐसे शख्स को जो उस समय महाराष्ट्र चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का मीडिया संभाल रहा था।’ 

गोखले ने सवाल उठाया कि चुनाव निष्पक्षता की बात करने वाला चुनाव आयोग क्या काम देते समय इन बातों पर ध्यान नहीं देता? जबकि चुनाव आयोग का काम चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया खातों पर नजर बनाये रखने का है।  

गोखले ने कहा कि यहां तो यह स्पष्ट मामला नजर आ रहा है कि एक ऐसे शख्स को काम दिया गया जो सीधे-सीधे बीजेपी के सोशल मीडिया विभाग से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने चुनाव आयोग से यह भी मांग की है कि उक्त एजेंसी को चुनाव के दौरान क्या-क्या आधिकारिक दस्तावेजों की जानकारी दी गयी है, उसे सार्वजनिक किया जाए। 

आरोप निराधार: देवांग दवे 

‘इंडिया टुडे’ के द्वारा संपर्क किये जाने पर देवांग दवे ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया और कहा कि ऐसे आरोप सिर्फ़ उनकी छवि को ख़राब करने के लिए लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी क़ानूनी टीम मामले को देख रही है और जल्द ही इस बारे में जवाब देगी। 

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लोकसभा चुनाव में लगे आरोप

साल 2019 में देश में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की भूमिका पर जिस तरह से आरोप लगाए, वह देश में शायद पहली बार हुआ होगा। चुनाव से ठीक पहले ईवीएम मशीन और वीवीपैट को लेकर जितनी बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, ऐसा भी शायद पहली बार हुआ होगा। 

यही नहीं, तीनों मुख्य चुनाव आयुक्तों में आदर्श आचार संहिता को लेकर आयी शिकायतों पर कार्रवाई पर नाराज़गी या मनमुटाव भी खुले रूप से पहली बार ही सामने आया होगा? 

आयोग की छवि पर सवाल?

ऐसा नहीं है कि आज ईवीएम या सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में ही चुनाव आयोग के ख़िलाफ़ शिकायतें आ रही हैं। पहले भी चुनाव में गड़बड़ी की ख़बरें आती रही हैं लेकिन चुनाव आयोग की भूमिका पर सीधे सवाल नहीं खड़े होते थे। टी. एन. शेषन द्वारा चुनाव आयोग को नया रूप देने के बाद से आयोग के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ी थी, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। लेकिन यदि इस तरह की शिकायतें यदि बढ़ती हैं तो निश्चित ही चुनाव आयोग की छवि पर विपरीत असर पड़ेगा। 

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संजय राय

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