अब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अन्य प्रांतों के लोगों को ज़मीन खरीदने और मकान बनाकर रहने का अधिकार दे दिया है। इस संबंध में कश्मीर के मूल निवासी होने की शर्त को हटा लिया गया है।
नीतीश को बिहार की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। ऐसा चाणक्य जो बिहार में पिछले पंद्रह सालों से शासन के शीर्ष पर रहा। उनके राजनीतिक चातुर्य का करिश्मा ये है कि बीजेपी और आरजेडी दोनों, उनके नीचे रह कर सरकार में शामिल रहे।
फ़र्ज़ी तरीक़े से अपने चैनल के लिए टीआरपी बटोरने के आरोपों से घिरे अर्णब गोस्वामी की अगुआई वाले रिपब्लिक टीवी ने मुंबई पुलिस के जवानों में ‘विद्रोह’ की स्थिति बनने की ख़बर चलाई थी। ऐसे में क्या कार्रवाई होनी चाहिए?
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का दशहरा का भाषण हुआ। उन्होंने कहा कि हिंदू और भारतीय एक ही है। क्या यह बेहतर नहीं होता कि वह भर्ती और रोज़गार से अंग्रेज़ी को हटाने पर बोलते?
डेढ़ माह में पहले पीएम के ‘मन की बात’ के दौरान भी 10 लाख लोगों ने ‘डिसलाइक’ दर्ज कराया था। उसे यह कह कर ख़ारिज किया गया जो युवा संघ लोक सेवा की परीक्षा और अन्य परीक्षाओं को टालने की माँग कर रहे थे, यह उनका फ़ौरी गुस्सा था।
पंजाब की विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक ऐसा क़ानून बना दिया है, जिसका उद्देश्य है कि किसानों को उनकी फ़सल के उचित दाम मिलें। लेकिन इस चिकनी सड़क पर कई गड्ढे भी दिखाई पड़ रहे हैं।
इस वर्ष की नयी दुर्गा है-कोविड-19 की महामारी में बेरोज़गार, विस्थापित और पैदल घर लौटती हुई मज़दूरिन। लॉकडाउन में सरकारी अव्यवस्था के कारण जो एक करोड़ मजदूर और छोटे-छोटे कामों में लगे लोग विस्थापित हुए, उनका प्रतिनिधित्व करती हुई एक छवि।
टेस्टिंग में हिन्दुस्तान 105वें नंबर पर है। कोई पड़ोसी देश ऐसा नहीं है जिससे भारत की स्थिति बेहतर हो। फिर भी प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारत संभली हुई स्थिति में है। यह कोरोना काल का सबसे बड़ा मजाक है।
आगामी 26 और 27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच विदेश व रक्षा मंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ की अहम वार्ता होने वाली है जो ट्रंप प्रशासन की भारत के साथ अंतिम सामरिक वार्ता होगी।
सितंबर महीने में महंगाई यानी मुद्रास्फीति की जो दर 7.34 फीसदी के रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंच गई थी उसका सबसे बड़ा कारण था खाद्य वस्तुओं यानी खाने-पीने के जरूरी सामान का महंगा हो जाना।
दूरदर्शन पर 'अयोध्या की रामलीला' का लाइव प्रसारण चल रहा है। करोड़ों ख़र्च से 27 घंटों का यह प्रसारण दूरदर्शन की अब तक की सबसे कमज़ोर और उबाऊ प्रस्तुतियों के रूप में दर्ज़ होगा। ‘अयोध्या की रामलीला’ की ऐसी दशा क्यों?
विवाद का मुद्दा बनाए गए वीडियो विज्ञापन में एक ऐसी गर्भवती हिंदू महिला की ‘गोद भराई’ की रस्म के अत्यंत ही भावपूर्ण दृश्य हैं, जिसका विवाह एक मुसलिम परिवार में हुआ है।