गृह मंत्री अमित शाह के ज़ोर देकर यह बोलने के बाद कि पहले वह नागरिकता क़ानून में संशोधन करेंगे और उसके बाद पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे, यह विवाद बढ़ा।
क्या मोदी सरकार भारत देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की तैयारी मैं है? इस सवाल से कुछ लोग चौंकेंगे, कुछ ख़ुश होंगे तो कुछ निराश। यह एक सवाल है जिसका इंतज़ार लंबे समय से संघ परिवार कर रहा था।
देश के पंद्रह से भी ज्यादा राज्यों के विभिन्न शहरों में बीस से भी अधिक बड़े विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा से संबंधित प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्र सड़कों पर निकल आए हैं।
बीजेपी तीन तलाक़, अनुच्छेद 370, अयोध्या मामला, एनआरसी और नागरिकता क़ानून जैसे मुद्दे को ज़ोर-शोर से क्यों उठाती रही है? क्या ये सभी सत्ताधारी बीजेपी के हिंदू एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने जामिया विश्वविद्यालय में हुई पुलिसिया कार्रवाई पर सुनवाई करने से इनकार क्यों कर दिया, यह कहते हुए कि जब तक उपद्रव नहीं रुकेगा, वह सुनवाई नहीं करेगा?
राष्ट्रपति की मुहर लगते ही नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 अब क़ानून बन चुका हैI लेकिन ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारें विरोध कर रही हैं तो केंद्र सरकार इसे कैसे लागू करा पाएगी?
नागरिकता (संशोधन) क़ानून, 2019 के जरिए आरएसएस/बीजेपी के शासकों ने संविधान की मूल-आत्मा, देश के लोकतांत्रिक-धर्मनिरपेक्ष चरित्र और उसकी बुनियाद पर गहरा आघात किया है।
प्याज है तो सिर्फ़ सब्जी, पर जब इसे शुद्ध सनातनी विचारों से जोड़ा जाता है तो यह मामूली सब्जी नहीं रहता, यह हिन्दुत्व का प्रतीक बन जाता है। इसकी कीमत गौण हो जाती है और बचा रहता है इसका हिन्दू होना।
अगर आपको अपने घर के बाहर चार-पाँच साल का कोई बच्चा ठंड से ठिठुरता हुआ दिख जाए तो आप उसे अपने बेटे का पुराना स्वेटर देने से पहले क्या यह सोचेंगे कि वह किस धर्म या जाति का है?