loader

विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त के आरोपों से कैसे बचेगी बीजेपी?

गुजरात कांग्रेस के मुताबिक़, उसके एक पूर्व विधायक ने स्वीकार किया है कि पार्टी से इस्तीफ़ा देने के लिए बीजेपी ने उन्हें 5 करोड़ रुपये दिए। सही पढ़ा आपने, 5 करोड़। ये कोई छोटी रकम नहीं है। गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस के विधायकों के पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है और राज्यसभा चुनाव हो या कोई उपचुनाव, उससे पहले ऐसा गुजरात ही नहीं कई और प्रदेशों में भी हुआ है। 

कांग्रेस के इन पूर्व विधायक का नाम सोमा भाई पटेल है। कांग्रेस ने पटेल का एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में पटेल कहते सुनाई देते हैं कि बीजेपी उन पर पूरा खर्चा करती है और कांग्रेस में खर्चा नहीं होता। पटेल के सामने बैठा शख़्स पूछता है कि इस्तीफ़ा दिया तो दो-पांच करोड़ तो दिये होंगे, इस पर पटेल कहते हैं कि वो तो सब को दिया, वो ही मेरे को दिया। 

ताज़ा ख़बरें

विधायक के सामने बैठा शख़्स कहता है, ‘लोग बोलते हैं- 15 करोड़ दिये, 20 करोड़ दिये, 5 करोड़ तो दिये होंगे। पटेल कहते हैं- सबको दिया है, नहीं तो लोग क्यों इस्तीफ़ा दे रहे हैं, किसी को टिकट का सौदा किया है, किसी को पैसा दिया।’ सोमा पटेल बातचीत में कहते हैं- रिलायंस, टाटा सब उनके पास हैं। वह कहते हैं कि किसी को 10 करोड़ से ज़्यादा नहीं दिए हैं और मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के साथ डील चल रही है। 

‘ऑपरेशन लोटस’ 

इस वीडियो से याद आती है ‘ऑपरेशन लोटस’ की। इस ‘ऑपरेशन लोटस’ से सबसे ज़्यादा परेशान कांग्रेस ही रही है। जहां भी उसकी अपने दम पर सरकार है या गठबंधन के सहयोगी के साथ सरकार है, उसका आरोप है कि बीजेपी वहां ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाकर उसकी सरकारों को गिराती है या जहां वह विपक्ष में है, उसके विधायकों को पैसे का लालच देकर तोड़ती है। 

गुजरात में इन दिनों 8 सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं और 3 नवंबर को इसके लिए मतदान हो चुका है। गुजरात कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी अभी भी कांग्रेस विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त में लगी हुई है। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी सांसद सीआर पाटिल के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने की मांग की है। 

कांग्रेस शासित कई ऐसे राज्य हैं, जहां उनकी सरकारों को गिराने या अस्थिर करने को लेकर बीजेपी पर आरोप लगना आम बात है। ऐसे राज्यों में हुए प्रकरणों पर नज़र डालते हैं। 

कर्नाटक का प्रकरण 

कर्नाटक में जब तक कांग्रेस-जेडीएस की सरकार रही, कांग्रेस आरोप लगाती रही कि बीजेपी ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिये उसकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। बीजेपी को जुलाई, 2019 में आख़िरकार सरकार बनाने में सफलता मिल ही गई और ऐसा कांग्रेस-जेडीएस के कुछ विधायकों की बग़ावत के कारण हुआ। 

कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद पिछले साल नवंबर में कांग्रेस ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें इस बात का दावा किया गया कि येदियुरप्पा ने यह स्वीकार किया है कि कांग्रेस-जेडीएस के 17 बाग़ी विधायकों को अमित शाह के आदेश पर मुंबई भेजा गया था। इस वीडियो के सामने आने के बाद कांग्रेस ने कहा था कि कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या की गई। 

BJP horse trading of MLAs in many states - Satya Hindi

गोवा में टूटे कांग्रेस विधायक

गोवा में पिछले साल कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे। 

कमलनाथ की सरकार गिरी 

मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार को भी कर्नाटक की तर्ज पर गिराने के आरोप बीजेपी पर लगे। इस साल मार्च में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बग़ावत के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई। सिंधिया सारे बाग़ी विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। सभी बाग़ी विधायकों को मंत्री बनाया गया और उपचुनाव में पार्टी का टिकट भी दिया गया। 

बीजेपी आलाकमान ने गिराई सरकार? 

जून, 2020 में मध्य प्रदेश में एक ऑडियो क्लिप जोरदार ढंग से वायरल हुई थी। इस क्लिप में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कथित रूप से यह कहते हुए सुना जा सकता था, ‘यह आलाकमान ही था, जिसने यह फ़ैसला लिया कि सरकार को गिराया जाना चाहिए, वरना यह सब बर्बाद कर देगी।’ आगे शिवराज कथित रूप से कहते हैं, ‘आप मुझे बताइए, क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया और तुलसी सिलावट के बिना सरकार को गिरा पाना संभव था। कोई और रास्ता नहीं था।’ 

राजनीति से और ख़बरें

पश्चिम बंगाल पर नज़र

बीजेपी की पश्चिम बंगाल पर भी पैनी नज़र है? बीजेपी नेता दावा करते रहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस, वाम दलों और कांग्रेस के विधायक उनके संपर्क में हैं। अब विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और इन दलों के कुछ विधायक बीजेपी में जा सकते हैं। इस बीच, वह इन दलों के कई पार्षदों और बड़े नेताओं को तोड़ भी चुकी है। 

लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक रैली में कहा था कि ममता बनर्जी की पार्टी के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं और वे लोकसभा चुनाव के बाद पाला बदल लेंगे।

राजस्थान में पायलट की बग़ावत

राजस्थान में कुछ महीने पहले सचिन पायलट की बग़ावत के पीछे भी बीजेपी का ही हाथ होने का आरोप कांग्रेस की ओर से लगाया गया था। सचिन पायलट अपने बाग़ी विधायकों के साथ बीजेपी शासित राज्य हरियाणा के मानेसर में बने एक होटल में रुके थे। बहुत दिनों बाद राहुल-प्रियंका के दख़ल देने के बाद सिंधिया वापस लौटे थे। 

बीजेपी कांग्रेस के आरोपों के जवाब में कहती है कि कांग्रेस और अन्य दल अपने विधायकों को नहीं संभाल पा रहे हैं और उसके विधायकों के इस्तीफ़ा देने में बीजेपी का कोई हाथ नहीं है। लेकिन वे सब बीजेपी में ही क्यों जा रहे हैं और वह क्यों उन्हें मंत्री, विधायक बना रही है, इसका बीजेपी के पास कोई ढंग का जवाब नहीं है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें