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जितिन प्रसाद तो कांग्रेस से निकल गए सचिन पायलट का क्या होगा?

यूपी कांग्रेस के नेता रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद बुधवार को कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। जितिन के पार्टी छोड़ते ही सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा जो सवाल पूछा गया वह यह कि राजस्थान कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट भी क्या कुछ ऐसा ही क़दम उठाएंगे? पिछले साल ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी पार्टी को अलविदा कहकर बीजेपी का दामन थाम लिया था। 

जितिन प्रसाद को लेकर लंबे वक़्त से अटकलें थीं कि वे कभी भी कांग्रेस छोड़ सकते हैं और अंतत: उन्होंने पार्टी छोड़ ही दी। जितिन की तरह अटकलें सचिन पायलट को लेकर भी हैं। यहां दो सवाल उठते हैं। पहला यह कि पायलट को रोकने के लिए कांग्रेस आलाकमान क्या करेगा? और दूसरा यह कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो पायलट भी क्या सिंधिया और जितिन की जगह कांग्रेस छोड़ देंगे। 

राजस्थान कांग्रेस में बीते साल हुए घमासान के वक़्त राहुल और प्रियंका गांधी ख़ुद पायलट के पास पहुंचे थे और उन्हें मनाया था। इतना ही नहीं, पायलट के समर्थक 19 विधायकों से भी राहुल और प्रियंका ने बात की थी। 

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'कमेटी ने कुछ नहीं किया'

गहलोत-पायलट के सियासी रण की आग को ठंडा करने के लिए आलाकमान ने कांग्रेस नेताओं की एक कमेटी बनाई थी। उस वक़्त कहा गया था कि यह कमेटी गहलोत और पायलट खेमों की बात सुनकर मतभेदों को दूर करेगी। लेकिन पायलट ने कहा है कि 10 महीने बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। पायलट का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान ने जो वादे उनसे उस वक़्त किए थे, उन्हें पूरा करने में वह फ़ेल रहा है। 

Sachin pilot may also quit congress - Satya Hindi

पायलट समर्थकों की बैठक

सचिन पायलट का अगला क़दम क्या होगा, इस पर सभी की नज़रें बनी हुई हैं। पायलट ने गुरूवार को अपने क़रीबी विधायकों के साथ बैठक की और इससे एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। 11 जून को सचिन के पिता राजेश पायलट की जयंती है और पहले कहा गया था कि सचिन पायलट इस दिन दौसा में बड़ा कार्यक्रम करेंगे। लेकिन बाद में उन्होंने इसे रद्द कर दिया।  

यह भी ख़बरें आ रही हैं कि जुलाई तक अगर कैबिनेट का विस्तार नहीं होता है तो पायलट कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं। बीजेपी की बारीक नज़र इस पूरे घटनाक्रम पर लगी हुई है। 

राजस्थान में कैबिनेट के विस्तार को लेकर पायलट और गहलोत के गुटों में इतनी ज़्यादा तल्खी है कि पिछले साल के विवाद के बाद से अब तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सका है। आयोगों में भी पद खाली हैं और पायलट कई बार इन्हें भरे जाने की मांग कर चुके हैं।

भवंर जितेंद्र का समर्थन 

सचिन पायलट को टीम राहुल के सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का भी समर्थन मिला है। जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि पायलट मामले में जो भी कोई बात हाईकमान से हुई होगी, उसे ज़रूर पूरा किया जाना चाहिए। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा, मेरे ख्याल से उन्होंने यह बात उठाई है तो इसमें बुरा मानने की कोई बात नहीं है और वे बात उठा सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अंदर किसी को भी अपनी बात को उठाने की आज़ादी है। 

पायलट को लेकर उठे सियासी शोर के बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सचिन पायलट को धैर्य रखने की ज़रूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने ही पायलट को देश का सबसे युवा उप मुख्यमंत्री बनाया। 

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नेताओं की लंबी कतार?

कहा जाता है कि सिंधिया, जितिन प्रसाद के बाद कांग्रेस छोड़ने वाले संभावित नामों की सूची लंबी है। इनमें सचिन पायलट के अलावा हरियाणा से कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह का भी नाम शामिल है। ये सभी वे लोग हैं जिन्हें टीम राहुल का हिस्सा कहा जाता है और मनमोहन सिंह की सरकार में राहुल ने इनमें से अधिकांश लोगों को मंत्री बनवाया था और इनका सियासी क़द बढ़ाया था। 

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लेकिन 2014 में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के अंदर नेताओं का इतना जबरदस्त पतझड़ शुरू हुआ है कि पूछिए मत। बीते सात सालों में कई राज्यों में विधायकों से लेकर टीम राहुल के सदस्य तक पार्टी छोड़ चुके हैं और ऐसा करने वाले वरिष्ठ नेताओं के नामों की तो लंबी फेहरिस्त है। 

अब देखना होगा कि आलाकमान कब तक राजस्थान कांग्रेस का झगड़ा सुलझा पाता है लेकिन कहीं इतनी देर न हो जाए कि पायलट उससे पहले ही पार्टी को छोड़ दें। पायलट के तेवर बताते हैं कि वे भी कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं, ऐसे में आलाकमान को गहलोत और पायलट के बीच सुलह करानी होगी जिससे 2023 तक तो सरकार चल ही सके, पार्टी अगला चुनाव भी जीतने की स्थिति में हो। 

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पवन उप्रेती

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