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किसान आंदोलन: केजरीवाल-अमरिंदर का झगड़ा, पंजाब चुनाव पर नज़र  

किसानों का आंदोलन दिल्ली में चल रहा है लेकिन सियासत गर्म पंजाब की है। केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों ने पंजाब में तीन महीने तक धरना दिया और उसके बाद दिल्ली कूच कर बॉर्डर्स पर आकर बैठ गए। किसानों के इस आंदोलन के दौरान ही पंजाब और दिल्ली के मुख्यमंत्री आमने-सामने आ गए हैं। दोनों एक-दूसरे पर बीजेपी से मिलीभगत होने का आरोप लगाते हैं। लेकिन इसके पीछे मक़सद पंजाब की सियासत में एक-दूसरे को पछाड़ना है। 

पंजाब के विधानसभा चुनाव में अब सवा साल का वक़्त बचा है। कृषि क़ानूनों ने पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन में दरार पैदा कर दी। जब किसान इन क़ानूनों के विरोध में सड़क पर बैठ गए तो अकाली दल को एनडीए से नाता तोड़ना पड़ा और उसकी मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया। 

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पंजाब में मुख्य सियासी लड़ाई कांग्रेस और अकाली दल के बीच ही होती थी लेकिन बीते कुछ सालों में राज्य की सियासत में एक और सियासी दल मजबूती से उभरा है। इस दल का नाम है- आम आदमी पार्टी। 

केजरीवाल ने लगाया था जोर

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पूरा जोर लगाया था। केजरीवाल कई दिन तक वहां रोड शो करते रहे थे। हालांकि नतीजे वैसे नहीं रहे लेकिन चुनाव में अकाली दल-बीजेपी गठबंधन की बुरी हार हुई और आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल बन गई। 

अब जब चुनाव नज़दीक आ चुके हैं तो किसानों के वोट पाने के लिए ख़ुद को उनका हमदर्द दिखाने की होड़ मची है। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों के लिए तमाम इंतजाम किए हैं और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने होर्डिंग्स भी लगाए हैं जिनमें लिखा है- किसानों का दिल्ली में स्वागत है। 

Amarinder Kejriwal clash due to kisan andolan  - Satya Hindi

दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच ये बहस तब शुरू हुई जब अमरिंदर ने मंगलवार को केजरीवाल पर ये कहकर हमला बोला कि दिल्ली सरकार ने केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों में से एक को नोटिफ़ाई कर दिया है। अमरिंदर ने कहा है कि दिल्ली सरकार का इस मामले में दोहरा रवैया उजागर हुआ है। 

कैप्टन ने कहा कि बजाए क़ानून को नोटिफ़ाई करने के केजरीवाल को इनका विरोध करना चाहिए था और किसानों के हक़ों की हिफ़ाजत करनी चाहिए थी। कैप्टन ने और ज़्यादा हमलावर होते हुए कहा कि कई बार केजरीवाल का दोहरा रवैया सामने आ चुका है। 

आरोपों के घेरे में केजरीवाल 

केजरीवाल पर दूसरी बार सरकार बनाने के बाद से ही यह आरोप लगता है कि वह केंद्र सरकार के साथ दोस्ती निभा रहे हैं या उसकी आलोचना करने से बचते हैं। दिल्ली दंगों के मसले पर, सीएए-एनआरसी के मसले पर या फिर कोरोना से लड़ाई के दौरान केजरीवाल पर मोदी सरकार के प्रति नरम रहने के आरोप लगे। कृषि क़ानूनों के मसले पर भी वह मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मुखर नहीं दिखे हालांकि उन्होंने किसानों के पक्ष में कई ट्वीट किए। 

Amarinder Kejriwal clash due to kisan andolan  - Satya Hindi

केजरीवाल ने दिया जवाब

बहरहाल, अमरिंदर के बाद बारी केजरीवाल की थी और पूरे आक्रामक अंदाज में उन्होंने उनकी बातों का जवाब दिया। केजरीवाल ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जवाब देने के साथ ही ख़ुद का भी बचाव किया। केजरीवाल ने कहा, ‘ये क़ानून केंद्र सरकार लाई है, कोई भी राज्य सरकार न तो इन क़ानूनों को रोक सकती है और न ही पास कर सकती है। जब कैप्टन साहब को ये बात पता है तो उन्होंने मुझ पर ऐसे आरोप क्यों लगाए।’ 

केजरीवाल ने कहा, ‘केंद्र सरकार का प्लान था कि जब किसान दिल्ली आएंगे तो उन्हें जेल में डाल देंगे। मुझ पर बहुत दबाव बनाया गया और कई लोगों के फ़ोन आए। कैप्टन साहब, क्या इन्हीं लोगों का आप पर दबाव है, जो आप मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे हो और बीजेपी की बोली बोल रहे हो।’ 

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बीजेपी पर भी हमला बोला 

केजरीवाल ने कहा, ‘कैप्टन के पास इन बिलों को रोकने के कई मौक़े आए लेकिन पंजाब के लोग पूछ रहे हैं कि तब उन्होंने इन बिलों को क्यों नहीं रोका।’ केजरीवाल ने नाम लिए बिना बीजेपी पर भी हमला बोला और कहा कि आज हम सबको तय करना होगा कि हम देश के किसानों के साथ हैं या उन्हें आतंकवादी कहने वालों के साथ हैं। 

दोनों के बीच चली इस जुबानी जंग को पंजाब के अख़बारों और सोशल मीडिया में ख़ूब जगह मिल रही है। दोनों नेता जानते हैं कि किसानों के साथ खड़े होना बेहद ज़रूरी है, वरना सियासत करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे वक़्त में जब अकाली दल कमजोर हो चुका है, बीजेपी से उसका गठबंधन टूट चुका है, ऐसे में आने वाले चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच जोरदार भिड़ंत तय मानी जा रही है लेकिन इसके लिए सियासी ज़मीन किसान आंदोलन से ही तैयार होनी है, ये दोनों दल जानते हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी

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