loader

पंजाब: कोरोना संकट के बीच मंत्री बोले - मुख्य सचिव के साथ काम नहीं करेंगे, अमरिंदर दबाव में

पंजाब का लगभग समूचा मंत्रिमंडल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेहद क़रीबी और राज्य के चीफ़ सेक्रेट्री (मुख्य सचिव) करण अवतार सिंह के ख़िलाफ़ हो गया है। राज्य और शायद देश की शासन व्यवस्था में भी संभवतः ऐसे हालात पहली बार सामने आए हैं। मुख्य सचिव और मंत्रियों में सीधी अदावत यहां तक पहुंच गई है कि तकरीबन सभी मंत्रियों ने राज्य की ब्यूरोक्रेसी के अधिकृत मुखिया यानी मुख्य सचिव के साथ काम करने से साफ इनकार कर दिया है। 

कम से कम पंजाब में तो यह पहली बार है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में हुई मंत्रिमंडल की आधिकारिक (11 मई को) बैठक में उनके मंत्रियों ने लिखित में औपचारिक तौर पर नोट करवाया कि वे मुख्य सचिव के साथ क़तई काम नहीं करेंगे। 
ताज़ा ख़बरें
मुख्य सचिव करण अवतार सिंह के ख़िलाफ़ प्रस्ताव कैप्टन के क़रीबी समझे जाने वाले वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने रखा और लगभग पूरी कैबिनेट ने इसका अनुमोदन किया। मुख्यमंत्री की 'किचन कैबिनेट' का हिस्सा माने जाने वाले मंत्रियों ने भी मनप्रीत का खुलकर तार्किक समर्थन किया। 
कोरोना वायरस के संकट काल में सरकार और प्रशासनिक हलकों में फूटे इस महाविस्फोट की गूंज दूर-दूर तक सुनी जा रही है। साथ ही पंजाब में जनप्रतिनिधियों और अफसरशाही के बीच वर्चस्व की जंग का नया अध्याय भी खुल गया है।

पंजाब का यह ताजा घटनाक्रम यकीनन एक नजीर है। मुख्य सचिव करण अवतार सिंह मुख्यमंत्री के सबसे खास अफ़सरों में शुमार हैं और इसके दंभ का खुला प्रदर्शन वह कई बार कर भी चुके हैं। कुछ मंत्रियों, कांग्रेस विधायकों और यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ से भी वह कई बार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भिड़ चुके हैं। 

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मुख्य सचिव के बारे में आ रही शिकायतों पर या तो तटस्थ रहे या बीच का रास्ता निकालते रहे लेकिन अब स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। 

मंत्रियों की मुख्य सचिव से तनातनी का ताजा अध्याय 9 मई को हुई बैठक में खुला। शराब की नीति में बदलाव की संभावनाएं तलाशने को लेकर बुलाई गई बैठक में मुख्य सचिव की वरिष्ठ मंत्रियों मनप्रीत सिंह बादल और चरणजीत सिंह चन्नी के साथ जमकर तनातनी हो गई थी। गरमाए माहौल में वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने मुख्य सचिव के विरोध में बैठक से वॉकआउट कर दिया था, उनके साथ सभी मंत्री बैठक छोड़कर चले गए थे और आबकारी नीति का पूरा मामला 11 मई को मंत्रिमंडल की अगली बैठक तक स्थगित कर दिया गया था।

9 मई की बैठक में तनाव इसलिए बढ़ा कि मुख्य सचिव ने बैठक की शुरुआत में ही नई शराब नीति के बारे में बताना शुरू कर दिया। वरिष्ठ मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पूछा कि यह नई नीति मंत्रियों से चर्चा-विमर्श से पहले ही कैसे बना ली गई? इस पर मुख्य सचिव का जवाब था कि 'नीतियां नौकरशाह ही बनाया करते हैं।' 

इसका सीधा जवाब मनप्रीत सिंह बादल ने यह कहकर दिया कि 'सरकार की नीतियां मंत्री और जनता के चुने हुए प्रतिनिधि बनाते हैं और अफ़सरों का काम उन्हें ढंग से लागू करवाना है।' यहीं से तकरार बढ़ गई और मंत्रियों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। 

मुख्य सचिव के तेवरों को मनप्रीत और लगभग तमाम मंत्रियों ने अपना खुला अपमान माना। उन्होंने एक सुर में कहा कि वे करण अवतार सिंह के साथ हरगिज काम नहीं करेंगे और मंत्रिमंडल की जिस बैठक में मौजूदा मुख्य सचिव हाजिर होंगे, उसमें वे क़तई शामिल नहीं होंगे।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने अपनी अगुवाई में हुई 11 मई की मंत्रिमंडलीय बैठक से मुख्य सचिव को दूर रखा। कैप्टन के कार्यकाल में पहला मौक़ा था जब मुख्य सचिव के बगैर मंत्रिमंडल की अहम बैठक हुई लेकिन इस बैठक में भी बहुत कुछ असामान्य अथवा अप्रत्याशित हुआ। 

बैठक में शामिल एक वरिष्ठ मंत्री ने इस पत्रकार को बताया कि कैबिनेट की मीटिंग शुरू होते ही मनप्रीत सिंह बादल ने नई आबकारी नीति पर मुख्यमंत्री से कहा कि महकमा आपका है और आपको ही फ़ैसला लेना है। हम आला अधिकारियों  की गैर हाजिरी में बात करना चाहते हैं। इसके बाद मुख्य सचिव की जगह पर मौजूद एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी (होम) सतीश चंद्रा, प्रिंसिपल फ़ाइनेंस सेक्रेट्री अनिरुद्ध तिवारी व एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्ननर विवेक प्रताप सिंह उठकर बाहर चले गए।

पंजाब से और ख़बरें

शांत करने में जुटे अमरिंदर 

मंत्रियोंं ने एक्साइज पॉलिसी में बदलाव का पूरा मामला मुख्यमंत्री पर छोड़ दिया लेकिन मुख्य सचिव के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग पुरजोर ढंग से की। बताया जाता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रियों का रोष फौरी तौर पर शांत करने के लिए उन्हें 'कुछ करने का' आश्वासन दिया है। तमाम मंत्री मुख्य सचिव की रुखसती चाहते हैं। 

9 मई को मुख्य सचिव ने जो व्यवहार मेरे साथ किया, वह बर्दाश्त से बाहर है। मेरी प्रतिष्ठा बहाल करना मुख्यमंत्री का काम है। मैंने आज तक सीएम को शर्मिंदा नहीं होने दिया। नौकरशाही इस कदर बेलगाम नहीं ही हो सकती। वह अगर हमें नहीं मानेगी तो जनता की चुनी हुई सरकार और जनप्रतिनिधियों का मतलब ही क्या है?"


मनप्रीत सिंह बादल, वित्त मंत्री, पंजाब

वरिष्ठ मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि ऐसे मुख्य सचिव को क़तई बर्दाश्त नहींं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस मुख्य सचिव की पूरी एक लॉबी है जिसे अलग-थलग किया जाना चाहिए। एक अन्य वरिष्ठ मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी ऐसे नौकरशाहों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की। 

इस मामले में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ ने खुलकर मंत्रियोंं का पक्ष लिया है। जाखड़ ने कहा कि पार्टी मंत्रियों और विधायकों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी। जाखड़ पहले भी अफ़सरशाही के रवैये को लेकर मुख्यमंत्री को खुलकर घेरते रहे हैं। 

मुख्यमंत्री के सलाहकार और तेजतर्रार विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने भी यह कहकर मुख्य सचिव करण अवतार सिंह पर बम फोड़ा कि उनका बेटा अरबों रुपये की नाजायज शराब तस्करी में संलिप्त है और इसीलिए वह नई आबकारी नीति के लिए नियमों से बाहर जाने को उत्सुक दिखाई दिए। हालांकि मुख्य सचिव करण अवतार सिंह ने कहा, "मुझे नहीं पता कि ऐसे आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं और ये ग़लत हैं। मेरा बेटा किसी शराब कंपनी में हिस्सेदार नहीं है।" 

विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बना लिया है। शिरोमणि अकाली दल, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
1984 बैच के आईएएस अफ़सर करण अवतार सिंह का रिटायरमेंट इस साल 31 अगस्त को होना है। संभावना यही है कि उन्हें मुख्य सचिव की कुर्सी से हटा दिया जाएगा लेकिन इस विवाद ने अफ़सरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच नई बहस को जन्म दिया है। वह भी तब जब पंजाब कोरोना वायरस की मुसीबत के चलते जबरदस्त उथल-पुथल के हवाले है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अमरीक

अपनी राय बतायें

पंजाब से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें