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प्रतीकात्मक तसवीर।

पंजाब: कोरोना संकट के कारण लाखों लोग राशन से वंचित, कहीं कोई सुनवाई नहीं

कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन और कर्फ्यू ने ग़रीबों को बेजार कर दिया है। लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। भुखमरी की नौबत है। ऐसे हालात में भी सियासत और हुकूमत की नालायकी की वजह से पंजाब के लाखों ग़रीब केंद्र सरकार से मिलने वाले आधिकारिक राशन से वंचित हैं। राज्य सरकार उनकी इस बड़ी दिक्कत की ओर पीठ किए बैठी है।

प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना के तहत नीले कार्ड धारियों को 3 महीने का राशन मुफ्त दिए जाने का प्रावधान है। सत्ता में आने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने एक लाख से ज़्यादा नीले कार्ड रद्द कर दिए और ये लोग उन ग़रीब परिवारों से थे जिनके चूल्हे अब काम-धंधे बंद होने के कारण एकदम ठंडे पड़े हैं। मौजूदा संकट में तीन महीने का मुफ़्त राशन उनके लिए बहुत बड़ी सहायता होती। इसके लिए वे बेबसी के साथ पुरजोर गुहार कर रहे हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।

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पंजाब सरकार ने जुलाई 2019 में आटा-दाल योजना के तमाम नीले कार्ड नए सिरे से बनाने की मुहिम शुरू की थी। इस तर्क के साथ कि पिछली अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के वक़्त इस योजना का लाभ उन लोगों ने भी जमकर लिया जो संपन्न थे और ग़रीबी रेखा से कहीं ऊपर थे। अब आरोप लगते रहे हैं कि नए कार्ड कांग्रेस के विधायकों, नेताओं और हल्का प्रभारियों की सीधी सिफारिश पर बनाए गए। आरोप तो ये भी लगाए जाते हैं कि ग़ैरकांग्रेसी रुझान वाले ग़रीब परिवारों की बाक़ायदा शिनाख्त की गई और उनके कार्ड नहीं बनने दिए गए। इनमें वे लोग बड़े पैमाने पर शामिल हैं जो गरीबी रेखा के नीचे आते हैं और हर लिहाज़ से नीला कार्ड हासिल करने की पात्रता रखते हैं। उनका 'गुनाह' यह है कि वे कांग्रेसियों की 'हिटलिस्ट' में हैं और खुलकर कांग्रेस का समर्थन नहींं करते। पंजाब सरकार के मंत्री ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक़ पंजाब के खाद्य-आपूर्ति विभाग ने सितंबर, 2019 तक 34.60 लाख नीले कार्ड जारी किए हैं। जबकि अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 तक कार्ड धारियोंं की तादाद 35.42 लाख थी। यानी छह महीनों में ही 81.191 हज़ार नीले कार्ड निरस्त कर दिए गए और इसकी वजह से उन कार्डों पर निर्भर उन परिवारों के 4.01 लाख लोगों पर नागवार असर पड़ा। ग़ौरतलब है कि कार्डों में नई गिनती भी शामिल है, जिसकी वजह से निरस्त कार्डों का आँकड़ा 1.50 लाख से ज़्यादा हो सकता है। 

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृह ज़िले पटियाला में 9143 कार्ड रद्द किए गए और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के पुश्तैनी ज़िले मुक्तसर में 30,196 लोगों को नीले कार्ड से वंचित कर दिया गया।

लुधियाना में 4076, बरनाला में 6184 और गुरदासपुर में 2897 कार्ड काट दिए गए। इसी तर्ज पर हर इलाक़े में कार्ड काटे गए।

बुढलाडा से आम आदमी पार्टी के विधायक और पार्टी की कोर कमेटी के चेयरमैन बुधराम ने इस सरकारी विसंगति के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू की है। वह कहते हैं, ‘सरकार लोगोंं को अभाव के इस दौर में नीले कार्ड से वंचित करके बहुत बड़ी नाइंसाफी कर रही है। बड़ी तादाद में जायज़ लोगों के कार्ड भी काट दिए गए हैं। अपंगों को तक को घटिया राजनीति के चलते मुफ्त राशन से वंचित किया जा रहा है। वे भूखे मरने को मजबूर हैं। विधानसभा में इस मसले को उठा चुका हूँ। अब ज़िला उपायुक्त के ज़रिए मुख्यमंत्री को फिर विरोध दर्ज कराया है।’

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शिरोमणि अकाली दल के किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका आरोप लगाते हैं कि कैप्टन सरकार ने 95 फ़ीसदी कार्ड जायज़ लोगों के निरस्त किए हैं और यह बहुत बड़ा अन्याय है। उन्होंंने यह भी आरोप लगाया कि राशन बाँटने में खुलकर भेदभाव बरता जा रहा है। उधर पंजाब के खाद्य आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशू कहते हैं कि किसी क़िस्म का कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है और पूरा वेरिफिकेशन के बाद कार्ड निरस्त किए गए हैं।

फ़िलहाल कोरोना वायरस के संकट में पंजाब के लाखों लोग प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना के ज़रिए मिलने वाले राशन से वंचित हैं।

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अमरीक

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