loader

कृषि अध्यादेश: अकाली दल-बीजेपी में टकराव, मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा देंगी हरसिमरत?

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दो मुख्य घटक बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) एक बार फिर टकराव की स्थिति में हैं। इस बार टकराव की ज़मीन 5 जून को केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि अध्यादेश-2020 हैं। इस मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। बैठक में राज्य की तमाम सियासी पार्टियों ने शिरक़त की और एकजुट होकर कृषि अध्यादेशों का सख़्त विरोध किया और बाक़ायदा प्रस्ताव भी पारित किया। 

सिर्फ बीजेपी इससे अलहदा रही और उसने इस प्रस्ताव का विरोध किया। बीजेपी की गुजारिश के बावजूद अकाली दल ने इस मुद्दे पर उसका साथ नहीं दिया। उल्टा अकाली दल प्रधान और सांसद सुखबीर सिंह बादल का रुख बीजेपी को गहरे सकते में डाल गया। 

सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वामपंथी दलों, बसपा और अकाली दल टकसाली ने कृषि अध्यादेश-2020 को आधार बनाकर नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर प्रहार किए लेकिन अकाली दल ने किसी तरह का कोई बचाव नहीं किया। इस कारण प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा अलग-थलग पड़ गए। 

ताज़ा ख़बरें

सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि उनके दल के लिए किसान हित सर्वोपरि है और वे, उनका परिवार और अकाली दल किसान हितों के लिए किसी भी किस्म की कुर्बानी देने के लिए तत्पर और तैयार हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अकाली दल के लिए कोई मंत्रालय, सरकार तथा गठबंधन अन्नदाता (किसान) से बढ़कर कतई नहीं है। 

अकाली दल प्रधान ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में कृषि अध्यादेश पर पूरी बहस की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और सुनिश्चित मंडीकरण प्रणाली बरकरार रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से कहा कि किसान हितों के लिए वह किसी भी कागज पर दस्तखत करने के लिए तैयार हैं। 

सुखबीर ने डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों पर भी केंद्र सरकार को इशारों-इशारों में घेरा। उन्होंने कहा कि डीजल की कीमतों में कमी की मांग को लेकर वह केंद्र के पास सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर जाएंगे।

सुखबीर के बयान को लेकर चर्चा 

सुखबीर सिंह बादल के 'किसी भी कुर्बानी के लिए तत्पर और तैयार' बयान के पंजाब में कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 निरस्त करने और नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे को लेकर प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल पर अकाली दल के कुछ वरिष्ठ नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ताओं का जबरदस्त दबाव रहा है कि हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दें। 

अकाली दल के दो राज्यसभा सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़ और प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा लगातार केंद्र सरकार पर नुक्ताचीनी करते रहते हैं। केंद्र ने कृषि अध्यादेश-2020 पर किसी भी सहयोगी दल को विश्वास में नहीं लिया। 

पंजाब से और ख़बरें

पंजाब में पुरजोर विरोध 

बादलों की सरपरस्ती वाले अकाली दल ने शुरू से ही इस पर कहा कि कृषि अध्यादेश को लागू करने से पहले लोकसभा और राज्यसभा में रखना चाहिए था। लेकिन बीजेपी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। पंजाब में बीजेपी को छोड़, कांग्रेस सहित तमाम राजनैतिक दल और किसान संगठन इस मुद्दे पर पुरजोर विरोध कर रहे हैं। सही या गलत, शिरोमणि अकाली दल खुद को सूबे के किसानों का अभिभावक तथा प्रवक्ता कहता-मानता है। 

अकाली दल को भारी पड़ती चुप्पी 

कृषि अध्यादेश के ख़िलाफ़ पंजाब में किसान एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हैं और राज्य एक बड़े किसान आंदोलन की ओर अग्रसर है। ख़ुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसके ख़िलाफ़ मोर्चा खोला हुआ है और विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल (जिसने अकाली दल के प्रभाव को कम किया) आम आदमी पार्टी भी इसकी खुलकर मुखालफत कर रही है तो ऐसे में अकाली दल की ख़ामोशी उसके लिए आत्मघाती साबित होती। इसीलिए सुखबीर सिंह बादल को वह सब बोलना पड़ा जो बीजेपी को कतई रास नहीं आने वाला। 

मोदी की लोकप्रियता गिरी

कई घटनाक्रमों के कारण वैसे भी पंजाब में बीजेपी के 'सुपरस्टार' और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ काफी गिरा है। अकाली दल नरेंद्र मोदी की सूबे में दरकती 'नायकत्व' की छवि से बखूबी वाकिफ है। ग्रामीण पंजाब और सिख अकालियों का वोट बैंक हैं और दोनों में अब नरेंद्र मोदी को नापसंद किया जाता है। कृषि अध्यादेश के मुद्दे ने एक तरह से आग में घी का काम किया है। 

प्रतिद्वंदी तो तंज की भाषा में रोज कहते ही हैं, अकाली दल के भीतर से भी मांग है कि अब दबाव बनाने के लिए हरसिमरत कौर बादल को सरकार से बाहर आ जाना चाहिए। दल की कोर कमेटी में शामिल एक वरिष्ठ अकाली नेता ने (नाम न देने की शर्त पर) ‘सत्य हिन्दी’ से कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो आगामी विधानसभा चुनाव में अकाली दल तीसरे या चौथे नंबर पर रहेगा।

हालात इसलिए भी नागवार हैं क्योंकि राज्य की बीजेपी इकाई अकाली दल को रोज आंखें दिखा रही है और आधी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है।

खालिस्तान के मुद्दे पर रार

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल द्वारा खालिस्तान का समर्थन करने पर बीजेपी अभी तक अकालियों से स्पष्टीकरण मांग रही है। रोज बीजेपी की राज्य इकाई के नेता इस बाबत तीखे बयान दे रहे हैं। इस मुद्दे पर बादल पिता-पुत्र की चुप्पी बीजेपी को निरंतर अखर रही है। यूं भी बीजेपी ने अकाली दल से बागी हुए राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा से नज़दीकियां कायम की हुई हैं। खालिस्तान के नारों पर केंद्र सरकार चुप क्यों है, इस पर देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का वीडियो - 

बहरहाल, सुखबीर सिंह बादल के 'कोई भी कुर्बानी देने को तैयार' वाले कथन का पंजाब में एक मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि अब अकाली दल केंद्रीय सत्ता से किनारा कर सकता है यानी हरसिमरत कौर बादल कैबिनेट से इस्तीफा दे सकती हैं। अकाली दल के भीतर इसे वजूद बचाने की संभावना के तौर पर लिया जा रहा है। वैसे भी जो मंत्रालय (फूड प्रोसेसिंग) हरसिमरत के पास है, वह न कभी उन्हें पसंद आया, न उनके पति और न ससुर को!
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अमरीक

अपनी राय बतायें

पंजाब से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें