पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है। किसान आंदोलन के चलते उसे इस बात का डर था कि किसानों की नाराज़गी कहीं भारी न पड़े। लेकिन चुनाव के नतीजों ने उसे नई ऊर्जा दी है। कांग्रेस ने 8 में से 7 नगर निगमों में जीत दर्ज की है। इनमें मोगा, अबोहर, बठिंडा, कपूरथला, होशियारपुर, पठानकोट और बटाला शामिल हैं।
मोहाली नगर निगम के नतीजे गुरूवार को घोषित किए जाएंगे क्योंकि यहां दो वार्डों में फिर से मतदान हुआ है। नतीजे आने के बाद यह कहना कि कांग्रेस ने स्थानीय निकाय चुनाव में क्लीन स्वीप किया है, ग़लत नहीं होगा।
शिअद की ‘कुर्बानी’ बेकार
कृषि क़ानूनों के मसले पर एनडीए का साथ छोड़कर सियासी ‘कुर्बानी’ देने वाले शिरोमणि अकाली दल का यह त्याग काम नहीं आया। अकाली दल को किसी भी नगर निगम में जीत नहीं मिली है और नगर परिषदों में भी वह कांग्रेस से बहुत पीछे रही है। जबकि दल के प्रधान और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने चुनाव में पूरा जोर लगाया था। उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल ने तो किसानों के समर्थन में पद्म श्री सम्मान तक लौटा दिया था।
कांग्रेस के लिए ये नतीजे इसलिए भी अहम हैं क्योंकि अगले साल फ़रवरी में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उससे पहले मिली यह बड़ी जीत कांग्रेस के हाथों को मजबूत ही करेगी।
बीजेपी-आप औंधे मुंह गिरे
बीजेपी की हालत बेहद खराब रही और किसानों के गुस्से के कारण यह पहले से ही माना जा रहा था कि उसे इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। 2017 के पहले विधानसभा चुनाव में ही मुख्य विपक्षी दल बनने वाली आम आदमी पार्टी का भी प्रदर्शन ठीक नहीं रहा।
अमरिंदर सिंह को श्रेय
कांग्रेस की जीत का श्रेय मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को दिया जाना चाहिए। किसान आंदोलन से बीते 9 महीने से जूझ रहे पंजाब में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही कांग्रेस को जीत दिलाने का जिम्मा भी अमरिंदर सिंह के कंधों पर था। लेकिन इस बुजुर्ग कैप्टन ने दिखाया है कि उनमें किसी नौजवान से भी ज़्यादा जोश है।
26 जनवरी को लाल किले पर निशान साहिब फहराए जाने के बाद से ही पंजाब का माहौल गर्म है। किसान आंदोलन में आए सैकड़ों युवा दिल्ली की जेलों में हैं। साथ ही इस आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी उग्रपंथी सिर न उठाने लगें, यह भी बड़ी चिंता का विषय है। ऐसे में अमरिंदर के सामने चुनौतियां ज्यादा हैं लेकिन कांग्रेस आलाकमान तक उन्होंने यह संदेश भिजवा दिया है कि 77 साल की उम्र में भी वह कांग्रेस को जीत दिला सकते हैं।
राज्य के 2032 वार्डों, 109 नगर पालिका परिषदों और 8 नगर निगमों के लिए 14 फरवरी को मतदान हुआ था। चुनाव में कुल 9,222 उम्मीदवार थे। स्थानीय निकाय के चुनाव पिछले साल होने थे लेकिन कोरोना के चलते इन्हें टालना पड़ा था। 14 फरवरी को हुए मतदान में 70 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों ने वोट डाले थे।
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