तमाम सियासी झंझावात से जूझ रही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। इससे राज्य में सरकार बनाने का सियासी ख़्वाब देख रही बीजेपी को जोरदार झटका लगा है। पायलट-गहलोत के बीच एक महीने तक चले जोरदार संघर्ष से जूझने के बाद कांग्रेस आलाकमान के लिए यह सूकून देने वाली ख़बर है। लेकिन आलाकमान को ध्यान रखना होगा कि इस युद्ध में अभी सिर्फ़ संघर्ष विराम हुआ है, यह संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ है।
गहलोत सरकार के विश्वास मत जीतने के बाद विधानसभा के बाहर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि विश्वास मत जो सरकार द्वारा लाया गया था, आज राजस्थान विधानसभा में बहुत अच्छे बहुमत के साथ पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा विभिन्न प्रयासों के बावजूद परिणाम सरकार के पक्ष में है।
सरहद पर सबसे दिलेर और मज़बूत सिपाही भेजे जाते हैं: पायलट
उन्होंने कहा, 'आज मैं सदन में आया तो देखा कि मेरी सीट पीछे रखी गई है। मैं सोच में पड़ गया कि ऐसा क्यों। अब मैं विपक्ष के सामने बैठा हूँ। तब मुझे लगा कि मुझे सरहद पर भेज गया है। ऐसा इसलिए कि सरहद पर सबसे दिलेर और मज़बूत सिपाही तैनात रहता है।' हालाँकि पायलट का यह बयान बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। विधानसभा के बाहर जब पायलट से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,
'पहले मैं सरकार का हिस्सा था लेकिन अब मैं नहीं हूँ। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन कहाँ बैठता है, जो अहम है वह यह है कि लोगों के दिल और दिमाग में क्या है। जहाँ तक बैठने के पैटर्न का सवाल है तो यह स्पीकर और पार्टी द्वारा तय किया जाता है और मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।'
बीजेपी को यह उम्मीद भी नहीं रही होगी कि पायलट के अशोक गहलोत से हाथ मिलाने के बाद पायलट गुट के विधायक कांग्रेस सरकार के विरोध में मत डालेंगे।
बता दें कि सचिन पायलट ने एक दिन पहले ही कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अशोक गहलोत के साथ हाथ मिलाया है। क़रीब एक महीने पहले बग़ावत करने वाले सचिन पायलट की दो दिन पहले ही दिल्ली में राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी से मुलाक़ात के बाद गहलोत और पायलट गुट में नरमी आई है। लेकिन इससे पहले दोनों गुटों में ज़बरदस्त तनातनी रही। कई बार आरोप-प्रत्यारोप इतने गहरे हो गए कि निजी हमले तक बात पहुँच गई थी। यही नहीं दोनों गुटों के बीच मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया।
इसके बाद सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों को लेकर राज्य से बाहर चले गए। 14 जुलाई को सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। इसके बाद दोनों पक्षों में तल्खी बढ़ती गई। अशोक गहलोत ने सचिन पायलट का नाम लेकर आरोप लगाया कि सचिन पायलट सरकार गिराने में शामिल थे। हालाँकि बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को सचिन पायलट ने खारिज कर दिया और कहा कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे और उनकी छवि धूमिल की जा रही है। तब उन्होंने कहा था कि वह कांग्रेसी हैं।
अपनी राय बतायें