loader

किसान आंदोलन: राजस्थान में भी हो रही महांपचायतें, उमड़े लोग

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहा किसानों का आंदोलन काफी आगे बढ़ चुका है। अब तक पंजाब-हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित रहे इस आंदोलन के समर्थन में राजस्थान के किसान भी खड़े हो रहे हैं। राजस्थान के दौसा और मेहंदीपुर बालाजी में हुई महापंचायतों में बड़ी संख्या में किसान जुटे हैं और यह निश्चित रूप से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाला है। उत्तराखंड के तराई वाले इलाक़ों में भी किसान आंदोलन बहुत मजबूत हो चुका है। 

इन दोनों जगहों पर हुई महापंचायतों में किसानों ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आर-पार की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया है। किसानों ने मोदी सरकार को चेतावनी दी कि वह इन क़ानूनों को तुरंत वापस ले वरना राजस्थान से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर और हरियाणा-राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर के लिए कूच करेंगे। 

दौसा व मेहंदीपुर बालाजी में हुई किसानों की महापंचायत ने केंद्र सरकार तक यह संदेश पहुंचाया है कि यह आंदोलन अब सिर्फ़ कुछ राज्यों का नहीं रहा है बल्कि इसकी आंच लगातार फैलती जा रही है।
इन दोनों महापंचायतों में आसपास के कई जिलों के किसान शामिल हुए हैं और माना जा रहा है कि राजस्थान में आगे भी इसी तरह की महापंचायतें जारी रहेंगी। शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन पहले से ही जारी है और बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे पर डेरा डाला हुआ है। 
किसान आंदोलन पर सुनिए चर्चा- 
राजस्थान की इन महापंचायतों में किसानों को राजनीतिक दलों के अलावा छात्र नेताओं का भी समर्थन मिला है और उन्होंने कहा है कि दिल्ली के किसान आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा। 
महापंचायत में जुटे लोगों ने दौसा से बीजेपी सांसद जसकौर मीणा के उस बयान की आलोचना की जिसमें सांसद ने कहा था कि किसान आंदोलन में आतंकवादी बैठे हुए हैं, उन्होंने एके-47 ली हुई है और खालिस्तान का झंडा लगाया हुआ है। इस तरह के बयान बीजेपी के कई और नेता भी दे चुके हैं। 
ताज़ा ख़बरें

बेनीवाल छोड़ चुके हैं साथ 

यहां बताना ज़रूरी होगा कि किसान आंदोलन के कारण राजस्थान की सियासत पहले से ही गर्म है। जाट बेल्ट में खासा असर रखने वाले नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल कृषि क़ानूनों को लेकर एनडीए का साथ छोड़ चुके हैं। इससे बीजेपी पहले से ही दबाव में है। इसके अलावा कांग्रेस किसान आंदोलन को समर्थन दे चुकी है। राष्ट्रीय नेताओं से लेकर राजस्थान कांग्रेस तक ने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने की बात को दोहराया है। 

Kisan mahapanchayat in dausa against farm laws 2020 - Satya Hindi

सरकार की हरक़तों से नाराज़गी

ऐसे में जब केंद्र सरकार एक ओर किसानों से बातचीत करने के लिए हाथ आगे बढ़ाती है और दूसरी ओर सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर को किले में तब्दील करती है तो इसे लेकर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं। किसान नेता पुलिस बल तैनात करने, दिल्ली के बॉर्डर के इलाक़ों में इंटरनेट बंद करने, पानी-बिजली काटने, टॉयलेट तक हटा लेने को लेकर खासी नाराज़गी जाहिर कर चुके हैं और इस सबके कारण भी बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के किसान लामबंद हो रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी आवाज़ को दुनिया तक पहुंचने नहीं देना चाहती, इसीलिए वह इस तरह की हरक़तें कर उन्हें परेशान कर रही है। 

राजस्थान से और ख़बरें

निश्चित रूप से यह आंदोलन अब उत्तर भारत में फैलता जा रहा है। ऐसे वक़्त में भी केंद्र सरकार को यह लगता है कि वह ताक़त के बल पर इस आंदोलन से निपट पाएगी तो शायद यह उसकी बड़ी भूल है। 

हालात को समझे सरकार

सरकार की ओर से किसानों को इन क़ानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव दिया जा चुका है लेकिन किसान इसे ख़ारिज कर चुके हैं। 26 जनवरी के बाद इस आंदोलन का बहुत तेज़ी से विस्तार हुआ है और सरकार को यह अब भी समझ जाना चाहिए कि कृषि क़ानूनों को निरस्त करने और एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाने से पहले किसान इन बॉर्डर्स से हिलने वाले नहीं हैं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

राजस्थान से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें