loader

बीएसपी विधायकों के विलय को चुनौती देने वाली याचिकाएं रद्द, गहलोत को फ़ौरी राहत

बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने की मांग को लेकर बीएसपी की ओर से दायर याचिका को राजस्थान हाई कोर्ट ने गुरूवार को रद्द कर दिया है। इस मामले में बीजेपी विधायक मदन दिलावर की ओर से दायर याचिका को भी अदालत ने रद्द कर दिया है। इससे पहले भी अदालत ने इस मामले में बीजेपी और बीएसपी की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। 

हाई कोर्ट ने कहा है कि एक सदस्यीय बेंच अब इस मामले को सुनेगी। उम्मीद है कि 11 अगस्त को इस मामले में फ़ैसला आ सकता है। इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए फौरी राहत माना जा रहा है क्योंकि अगर अदालत इस विलय को रद्द कर देती तो गहलोत के समर्थक विधायकों की संख्या 102 से घटकर 96 ही रह जाती। 

ताज़ा ख़बरें

बीएसपी के ये सभी विधायक पिछले साल राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी से मिले थे और उन्हें पत्र सौंपकर कहा था कि वे कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। इन विधायकों के नाम- जोगिंदर सिंह अवाना, राजेंद्र गुढ़ा, दीप चंद खेड़िया, संदीप यादव, लाखन सिंह मीणा और वाजिब अली हैं। 

इन विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद 200 सदस्यों वाली राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 107 हो गयी थी और उसके पास कुल 121 विधायकों का समर्थन था। लेकिन सचिन पायलट की बग़ावत के बाद यह संख्या 102 रह गयी है।

राजस्थान से और ख़बरें

मायावती ने दिखाए थे आक्रामक तेवर 

बीएसपी प्रमुख मायावती ने कुछ दिन पहले आक्रामक तेवर दिखाए थे। मायावती ने कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चेताया था कि वे उन्हें सबक सिखाएंगी। मायावती ने यह भी कहा था कि वह बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगी। उन्होंने कहा था कि बीएसपी उसके विधायकों के कांग्रेस में विलय के मुद्दे पर फिर से राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर करेगी। 

मायावती ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा था, ‘बीएसपी पहले भी इस मुद्दे पर कोर्ट जा चुकी है लेकिन हम कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सबक सिखाने के लिए समय का इंतजार कर रहे थे। हम इस मामले को छोड़ेंगे नहीं। हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।’ 

मायावती ने कहा था कि कांग्रेस द्वारा बार-बार बीएसपी को धोखा दिए जाने के कारण यह निर्णय लिया गया है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

राजस्थान से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें