कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी सोमवार को राजस्थान के पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर गए और पूजा अर्चना की। इसे पार्टी की ‘नरम हिन्दुत्व’ की छवि पेश करने और उग्र हिन्दुत्व की बात करने वाली बीजेपी के आधार में सेंध लगाने या उसका जवाब देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
राहुल ने गोत्र बताया
राहुल ने ब्रह्मा मंदिर में ख़ुद को दत्तात्रेय गोत्र का कौल ब्राह्मण बताया। उनके साथ उनके कुल पुरोहित दीनानाथ कौल और राजनाथ कौल भी थे। हालाँकि गाँधी इसके ठीक पहले राजस्थान के ही अजमेर दरगाह भी गए और ख़्वाज़ा मोइनीउद्दीन चिश्ती की मज़ार पर चादर चढ़ाई। पर फ़िलहाल वे मंदिरों की यात्रा पर अधिक चर्चा बटोरते हैं और बीजेपी उन पर हमला बोल देती है।बीजेपी ने पूछा था गोत्र
इसके पहले राहुल मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर गए तो बीजेपी ने उनकी खिल्ली उड़ाते हुए इसे इनके गोत्र से जोड़ दिया था। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि राहुल पहले अपना गोत्र बताएँ।'मंदिर है, मसजिद नहीं'
इसी तरह एक मंदिर में मूर्ति के सामने घुटने टेक कर पूजा करने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहुल का मज़ाक उड़ाया था। उन्होंने कहा, ‘राहुल एक मंदिर में घुटनों पर बैठ गए तो पुजारी को यह कहना पड़ा कि यह मसजिद नहीं, मंदिर है, यहाँ ऐसे नहीं बैठा जाता है।’इसी मामले में बीजेपी के शीर्ष नेता और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने व्यंग्य करते हुए कहा था, ‘राहुल मंदिर तो चले जाते हैं, पर उन्हें यह पता नहीं कि वहाँ कैसे बैठा जाता है।’
राहुल गाँधी के मंदिर जाने से बीजेपी की दिक़्क़तें बढ़ जाती हैं क्योंकि उसे लगता है कि इससे कांग्रेस को मुसलिमपरस्त और हिन्दूविरोधी होने के आरोप सही नहीं ठहरेंगे। डर यह भी है कि हिन्दुओं की एक मात्र पार्टी होने के उसके दावे को चुनौती मिलेगी।
'टेम्पल रन'
राहुल इसके पहले दक्षिण भारत, असम और पूर्वोत्तर के राज्यों में भी कई मंदिर गए थे। बीजेपी ने एक के बाद एक मंदिर दर्शन पर कहा था कि कांग्रेस मूल रूप से हिन्दूविरोधी पार्टी है, पर राहुल वोट हासिल करने के लिए ‘टेम्पल रन’ कर रहे हैं। ‘टेम्पल रन’ कंप्यूटर पर खेला जाने वाला एक खेल है।मोदी के निशाने पर राहुल
धर्मनिरपेक्ष छवि वाली इस पार्टी ने नरम हिन्दुत्व की नीति के तहत ही मध्य प्रदेश चुनाव घोषणा पत्र में गाय की चर्चा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी हवा निकालने के लिए कांग्रेस पर ज़ोरदार हमला बोलते हुए कहा कि केरल में उसकी पार्टी के कार्यकर्ता सड़क पर बछड़ा काटते हैं और बीफ़ खाते हैं। उन्होंने राहुल पर तंज करते हुए कहा था पार्टी के 'नामदार' बताएं कि कांग्रेस का गाय पर क्या रवैया है।दरअसल, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही हिन्दुत्व का कार्ड खेल रही हैं। बीजेपी पहले से ही ‘हिन्दुत्व’ लेकर चल रही है, कांग्रेस उसके मुक़ाबले ‘नरम हिन्दुत्व’ लेकर आई है। उसकी यह रणनीति कामयाब न हो, इसके लिए बीजेपी उस पर चोट करती है, कटाक्ष करती है और जवाब माँगती है।
कांग्रेस की रणनीति
दरअसल सारा मामला यहीं जुड़ा हुआ है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी ने हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक टीम बनाई थी। इसके प्रमुख ए. के. ऐंटनी थे। ऐंटनी ने जो कई कारण बताए थे, उनमें यह भी था कि पार्टी की छवि मुसलिमपरस्त और हिन्दूविरोधी की बन गई थी। इसकी प्रतिक्रिया में हिन्दुओं में थोड़ा-सा झुकाव बीजेपी की ओर हुआ और पार्टी को इसका ख़ामियाजा भुगतना पड़ा।छवि बदलने की कोशिश
समझा जाता है कि उसके बाद पार्टी ने अपनी छवि बदलने पर ध्यान दिया। राहुल उसके बाद ही मंदिरों के दर्शन अधिक करने लगे।कांग्रेस का सोचना है कि बीजेपी का मुख्य आधार हिन्दुत्व है, ऐसे में हिन्दुओं को नहीं सुहाने वाली बातें करने से फ़ायदा बीजेपी को ही होगा। लेकिन नरम हिन्दुत्व से बीजेपी के आधार में सेंध लगाई जा सकती है और उसकी हवा निकाली जा सकती है।
कर्नाटक चुनाव के पहले राहुल गाँधी ने दक्षिण भारत के कई मंदिरों के दर्शन किए थे और बीजेपी ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए उन पर हमला किया था। 28 नवंबर को मध्य प्रदेश और मिज़ोरम में मतदान होगा। उसके बाद राजस्थान और तेलंगाना का चुनाव बाक़ी रहेगा जो 7 दिसंबर को होना है। यह देखना रोचक होगा कि क्या राहुल बचे राजस्थान के बाद तेलंगाना के किसी मंदिर में भी दर्शन के लिए जाएँगे। और यह तो 11 दिसंबर को ही पता चलेगा कि क्या कांग्रेस अपने नरम हिंदुत्व के बल पर बीजेपी-शासित तीन राज्यों में बीजेपी के आधार में सेंध लगा पाई।
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