तालिबान ने 15 अगस्त को दहशत फैलाकर काबुल पर क़ब्ज़ा जमाया, चुनी हुई सरकार खत्म हो गई। महिलाओं पर तालिबान जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। जब अफ़ग़ानों का ही तालिबान पर भरोसा नहीं तो दुनिया कैसे करेगी?
अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन क्यों? पाकिस्तान के ख़िलाफ़ क्यों हैं अफ़ग़ान? पाकिस्तान खुलेआम अफ़ग़ानिस्तान में क्यों कर रहा है हस्तक्षेप?
तालिबान का खौफ कैसा है यह अफ़ग़ानिस्तान के काबुल हवाई अड्डे पर दिखता है। माँ-बाप ही ऊँची दीवार और उस पर लगे कंटीले तारों के ऊपर से अपने बेटे-बेटियों को दूसरी ओर फेंक रहे हैं ताकि वे बच जाएँ!
फ़िल्म निर्देशक और अफ़ग़ान फ़िल्म की महानिदेशक सहारा करीमी ने लिखा है कि तालिबान ने पिछले कुछ हफ्तों में कई प्रांतों पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने हमारे लोगों का नरसंहार किया, कई बच्चों का अपहरण किया...
तालिबान के झूठे वादों पर यक़ीन कर रहे और सम्मोहक हेडलाइन लगा रहे लिबरल लोगों और मीडिया ने इतिहास से कुछ नहीं सीखा। सीखा होता तो तालिबान को शक की नज़र से देखते।
तालिबान के प्रवक्ता दावे चाहे जो करें, ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। उनकी कथनी और करनी में क्या अंतर है, देखिए, प्रमोद मल्लिक के साथ सत्य हिन्दी पर।
तालिबान लड़ाकों ने अज़ीज़ी बैंक के दफ़्तर में घुस कर महिलाओं से वहां से चले जाने को कहा और उनके घर तक छोड़ आए। इतना नही नहीं, महिला वाले पोस्टर तक हटा दिए गए या उन पर कालिख पोत दी गई।