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फ़ोटो साभार: ट्विटर/विनोद कापड़ी/वीडियो ग्रैब

तालिबान के डर से बच्चों को कंटीले तारों के ऊपर से फेंक रही माएँ!

क्या आपने ऊँची दीवार और उस पर लगे कंटीले तारों के ऊपर से अपने बेटे-बेटियों को दूसरी ओर फेंकने की तसवीर देखी? ऐसी तसवीर और वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। दिल को झकझोरने वाली ये तसवीरें अफ़ग़ानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट की हैं। पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है, लेकिन दूसरे देशों के राजनयिक और नागरिकों को हवाई जहाज से रेस्क्यू किया जा रहा है। उन विदेशी लोगों के साथ ही अफ़ग़ान भी जैसे-तैसे बाहर जाना चाहते हैं। जान बचाने के लिए। ऐसे लोग ख़ुद नहीं जा पा रहे हैं तो अपने बच्चों को भेजना चाह रहे हैं। यह सोचकर कि वे ख़ुद नहीं बच पाए तो क्या, उनके बच्चे तो बच जाएँगे! 

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माँ की दूध पीने की उम्र के बच्चों को भी दीवारों के ऊपर से अफ़ग़ान उस उम्मीद में फेंक रहे हैं कि अमेरिका-इंग्लैंड के सैनिक उनकी ज़िंदगी बचा पाएँगे। तालिबान ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर जिस साफ़्ट तालिबान की बात की थी, तसवीरों में वैसा होता नहीं दिख रहा है। चारों तरफ़ अफ़रा-तफरी का माहौल है। सुरक्षित पनाहगाह के लिए लोग जैसे-तैसे दूसरे देश पहुँचना चाहते हैं ताकि वे ख़ुद को सुरक्षित कर सकें। लोग हवाई जहाज के टायरों से लटक कर जा रहे हैं। 

ऐसे हालात से बचने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिका व ब्रिटेन के सैनिक और अफ़ग़ान नागरिकों को अलग करने के लिए कांटेदार तार लगाए गए। लेकिन देश छोड़ने के लिए हताश महिलाएँ अपने बच्चों को उन कंटीले तारों के पार फेंकती हुई दिखीं।

सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो शेयर किए गए हैं। एक वीडियो को विनोद कापड़ी ने शेयर किया है। 

इस वीडियो में दिखता है कि कई सैनिक दीवार के दूसरी ओर से बच्चों को पकड़ रहे हैं और बाहर से लोग बच्चों को उनको पकड़ा रहे हैं। 

स्काई न्यूज़ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे अफ़ग़ानों की मदद की गुहार और तालिबान के ख़िलाफ़ खड़े होने का हर रोज़ का अनुभव कैसे सैनिकों को सता रहा है। ब्रिटिश सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रिपोर्टर को बताया कि कैसे उनके सैनिक यह अनुभव कर रो रहे हैं कि रात में महिलाएँ अपने बच्चों को कांटेदार तारों पर फेंकती हैं, और वे सैनिकों को उन्हें दूसरी तरफ़ पकड़ने के लिए आग्रह करती हैं। 

उन्होंने कहा, 'यह भयानक था, महिलाएँ अपने बच्चों को रेजर तार पर फेंक रही थीं, सैनिकों से उन्हें लेने के लिए कह रही थीं, कुछ तार में फँस गए।' 

जब से तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी पर कब्जा किया है और राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भागे हैं, तब से काबुल हवाई अड्डे पर अफ़रा तफरी का माहौल है। हज़ारों पुरुष, महिलाएँ और बच्चे काबुल हवाई अड्डे की ओर भाग रहे हैं।

अमेरिकी सैनिकों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गोलियाँ चलानी पड़ी थीं। कुछ दिन पहले ही एक अमेरिकी सेना का जहाज रन-वे पर उड़ने की कोशिश में था और भीड़ चारों ओर से उसे घेरे हुए थी। कई पंखों पर बैठ गए थे तो कई ह्वील पर। 

बता दें कि अफ़ग़ानिस्तान से लोग इसलिए भागने के प्रयास में हैं कि तालिबान से उनको ख़तरा है। तालिबान अपने विरोधियों और उनके परिवारों की घर-घर तलाशी ले रहे हैं। इस बीच एक पत्रकार के रिश्तेदार की हत्या की ख़बर आई है। जर्मनी के सरकारी प्रसारक ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान लड़ाकों ने 'ड्यूश वेले' यानी डीडब्ल्यू के पत्रकार के एक रिश्तेदार की गोली मारकर हत्या कर दी है। डीडब्ल्यू ने गुरुवार को कहा कि आतंकवादी उस पत्रकार की घर-घर तलाशी ले रहे थे, जो अब जर्मनी में काम करता है।

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रिपोर्ट के अनुसार पत्रकार का एक अन्य रिश्तेदार गंभीर रूप से घायल हो गया। अन्य लोग भागने में सफल रहे। इस बारे में और ज़्यादा जानकारी सामने नहीं आ पाई है। एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार डीडब्ल्यू के महानिदेशक पीटर लिम्बर्ग ने हत्या की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि अफ़ग़ानिस्तान में मीडियाकर्मियों और उनके परिवारों के लिए ख़तरा है।

ऐसा तब है जब काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने मीडिया की स्वतंत्रता और अपने सभी विरोधियों के लिए क्षमा का वादा करते हुए एक जनसंपर्क अभियान शुरू किया था। लेकिन हाल के ताज़ा घटनाक्रम तालिबान के इस चेहरे को बेनकाब करते हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी

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