loader
UNAMA

तालिबान ने महिलाओं को दफ़्तरों से निकाला, पोस्टर हटाए, विज्ञापन बदरंग किया

हालांकि तालिबान ने बार-बार कहा है कि उनके नियंत्रण में अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं को कामकाज करने या बाहर जाने पर रोक नहीं होगी न ही लड़कियों के स्कूल बंद किए जाएँगे, पर उनके लड़ाकों ने काबुल में दाखिल होते ही महिलाओं को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। 

तालिबान ने काबुल में कई जगहों पर उन पोस्टरों पर कालिख पोत दी है या उन्हें हटा दिया है, जिन पर महिलाओं की तसवीरें लगी हुई थीं। ये पोस्टर सड़कों पर लगे हुए थे।

तालिबान ने महिलाओं के इस्तेमाल में आने वाले उत्पादों के विज्ञापन में लगी महिलाओं की तसवीरें भी हटा दी हैं। 

afghanistan : taliban stop afghan women working - Satya Hindi
महिला की तसवीर वाले पोस्टरों को बदरंग करते हुए तालिबान लड़ाकेtwitter/lotfulla_najafizada

बैंक से महिला कर्मचारियों को निकाला

इसके अलावा तालिबान के लड़ाके बैकों, निजी व सरकारी कार्यालयों में जाकर वहाँ काम कर रही महिलाओं से कह रहे हैं कि वे अपने घर लौट जाएँ और दुबारा यहाँ काम करने न आएँ।

समाचार एजेन्सी 'रॉयटर्स' के अनुसार, तालिबान लड़ाकों ने कंधार स्थित अज़ीज़ी बैंक जाकर वहाँ काम कर रही नौ महिला कर्मचारियों से वहाँ से चले जाने को कहा। उन महिलाओं से यह भी कहा गया कि वे लौट कर यहाँ न आएं। इतना ही नहीं, ये बंदूकदारी लड़ाके उन महिलाओं को उनके घर तक छोड़ आए। 

उनमें से तीन महिलाओं ने कहा कि उन्हें तालिबान लड़ाकों ने कहा कि वे चाहें तो अपनी जगह घर के किसी पुरुष को वही काम करने भेज सकती हैं। 

अज़ीज़ी बैंक के अकाउंट विभाग में काम करने वाली नूर ख़तेरा ने रॉयटर्स से कहा, "यह वाकई बहुत अजीब है कि मुझे काम नहीं करने दिया जा रहा है, पर यहाँ तो अब यही होना है।" उन्होंने कहा,

मैंने अंग्रेजी सीखी और कंप्यूटर का प्रशिक्षण लिया है, पर अब मुझे उन जगहों पर काम करना होगा जहां सिर्फ महिलाएँ ही काम कर सकती हों।


नूर खतेरा, कर्मचारी, अज़ीज़ी बैंक

क्या कहना है तालिबान का?

बता दें कि इसी दिन यानी रविवार को ही तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अल ज़ज़ीरा से कहा कि 'महिलाओं को हिजाब पहनना होगा, इसके साथ वे चाहें तो घर के बाहर निकलें, दफ़्तरों में काम करें या स्कूल जाएं, हमें कोई गुरेज नहीं होगा।'

एंकर के यह पूछे जाने पर कि 'क्या हिजाब का मतलब सिर्फ सिर ढंकने वाला हिजाब है या पूरे शरीर को ढकने वाला बुर्का' तो प्रवक्ता ने कहा कि 'सामान्य हिजाब ही पर्याप्त होगा।'

afghanistan : taliban stop afghan women working - Satya Hindi
सुहैल शाहीन, प्रवक्ता, तालिबानtwitter/lyse_doucet
पर ज़मीनी सच्चाई यह है कि तालिबान के लड़ाके बैंक जाकर महिलाओं को निकाल रहे हैं और उन्हें उनके घर तक छोड़ कर आ रहे हैं। हद तो यह है कि उन विज्ञापनों को हटाया जा रहा है जिन पर महिलाएओं की तसवीरें हैं।  
बता दें कि रविवार को तालिबान लड़ाकों ने बग़ैर लडाई लड़े ही काबुल पर क़ब्ज़ा कर लिया, राष्ट्रपति अशरफ़ गनी, उप राष्ट्रपति अमीरुल्ला सालेह और उनके सहयोगी देश छोड़ कर भाग गए।

तालिबान लड़ाकों ने राष्ट्रपति भवन और दूसरे सरकारी दफ़्तरों पर नियंत्रण कर लिया है। उन्होंने प्रशासन अपने हाथ में ले लिया है और उनके लड़ाके जगह-जगह तैनात हो गए हैं। 

afghanistan : taliban stop afghan women working - Satya Hindi
कारखाने में काम करती अफ़ग़ान महिलाएंUNAMA

दहशत में अफ़ग़ान महिलाएं

सच यह है कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाएं दहशत में हैं। उन्हें 1996-2001 के तालिबान राज की याद है। उन्हें लगता है कि उन्हें अब घरों में बंद कर दिया जाएगा, बाहर निकलने पर रोक लग जाएगी, दफ़्तरों में काम नहीं कर पाएंगी और लड़कियाँ स्कूल नहीं जा पाएंगी। 

'फ़ुलर प्रोजेक्ट' की मुख्य संपादक खुशबू शाह ने ट्वीट कर कहा कि उन्हें और उनकी सहयोगियों को डर लग रहा है कि अब उन्हें निशाने पर लिया जाएगा। 

एक दूसरी महिला पत्रकार ने कहा कि अफ़ग़ान समाज में महिलाओं के ख़िलाफ़ माहौल बनने लगा है। रविवार को जब कुछ महिलाएं घर जा रही थीं, कुछ लोगों ने चिल्ला कर कहा कि तालिबान उनकी वजह से लौट रहा है। 
afghanistan : taliban stop afghan women working - Satya Hindi
UNHCR

क्या कहा अफ़ग़ान सांसद ने?

दूसरी ओर अफ़ग़ान सांसद फ़रज़ाना इलहाम ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि वे बेहद डरी हुई हैं। 

उन्होंने कहा कि यह उनका देश है, वे इसे छोड़ कर नहीं जाएंगी, पर इतने दिनों में महिलाओं ने जो थोड़ी बहुत आज़ादी हासिल की है, वह अब उस पर पानी फिर जाएगा। 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ान महिलाओं के लिए बहुत ही बुरा समय आ रहा है। 

बता दें कि पिछले महीने जब तालिबान ने आगे बढ़ना शुरू ही किया था और ताजिकिस्तान की सीमा से सटे एक इलाक़े पर नियंत्रण कर लिया था तो इस तरह की बात उठने लगी थी।

'एएफ़पी' ने एक ख़बर में उस समय कहा था कि तालिबान के स्थानीय कमान्डर ने एक गाँव जाकर मसजिद के इमाम से कहा था कि वह 15 साल से ज़्यादा उम्र की लड़कियों और 40 साल से कम की विधवाओं की सूची उन्हें ताकि तालिबान के लड़ाके उनसे शादी कर सकें।

हालांकि बाद में तालिबान के प्रवक्ता ने इसका खंडन किया था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें