अमित शाह ने संसद में सफ़ाई क्यों दी कि एनपीआर पर लोगों को कोई डॉक्यूमेंट देने की ज़रूरत नहीं है? एनआरसी लागू करने के लिए दहाड़ने वाले अमित शाह ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्या यह मोदी सरकार या ख़ुद प्रधानमंत्री के झुकने का संकेत नहीं है? देखिए आशुतोष की बात।
पूरे देश भर में एनआरसी लागू करने की बात कहकर दहाड़ने वाले गृह मंत्री अमित शाह अब एनपीआर पर क्यों झुक गए हैं? आख़िर संसद में उन्हें क्यों यह कहना पड़ा कि एनपीआर पर कोई कागज दिखाने की ज़रूरत नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी की चुनावी मशीनरी के चाणक्य कहे जाने वाले देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कोलकाता के शहीद मैदान में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए पार्टी का विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार का बिगुल फूँक दिया है।
दिल्ली हिंसा से पहले विधानसभा चुनाव में 'गोली मारो...' का जो नारा दिल्ली में लगा था वह अब कोलकाता भी पहुँच गया है। देश के गृह मंत्री अमित शाह की कोलकाता की रैली में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जमकर यह नारा लगाया।
दिल्ली के जाफराबाद-मौजपुर में हिंसा क्यों नहीं रुक रही है? वह भी तब जब गृह मंत्री अमित शाह ख़ुद जुटे। देर रात को बैठक ली और फिर दोपहर में भी। इसके बावजूद पथराव और आगजनी क्यों जारी है? क्या गृह मंत्री विफल साबित हो रहे हैं? देखिए शैलेश की रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी और मुकेश कुमार की चर्चा।
दिल्ली में हिंसा से निपटने के लिए गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली के लेफ़्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल के साथ उच्चस्तरीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वे साथ मिलकर दिल्ली में शांति बहाल करेंगे।
गृह मंत्री अमित शाह के घर जा रहे शाहीन बाग़ की सैकड़ों महिला प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने बीच रास्ते से लौटा दिया। पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया कि गृह मंत्री से मिलने का समय लेकर आएँ।
बीजेपी तो ज़ाहिर तौर पर ख़ुद को राम के नाम पर वोट माँगती रही है, लेकिन दूसरी तरफ़ केजरीवाल ने भी आप को हिंदू पार्टी के तौर पेश कर दिया। क्या केजरीवाल का हनुमान चालीसा पाठ सोची-समझी रणनीति नहीं थी? तो क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक बड़ा सवाल खड़ा नहीं हुआ है कि असली हिंदू पार्टी कौन है? बीजेपी या आम आदमी पार्टी? देखिए आशुतोष की बात।
दिल्ली विधान सभा के इस चुनाव में बीजेपी के अभियान की कमान पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह के हाथ में थी। चुनाव प्रचार के जितने भी तीर उनके पास थे सब चलाए गए। पर नतीजा उनके पक्ष में नहीं आया।
अमित शाह ने कहा है कि बीजेपी नेताओं के नफ़रत वाले बयान के कारण दिल्ली चुनाव में नुक़सान हुआ होगा। तो नफ़रत वाले बयान बीजेपी के नेता किसके इशारे पर दे रहे थे? ख़ुद अमित शाह ने क्यों कहा था कि बटन ऐसा दबाना जिससे शाहीन बाग़ को करंट लगे? अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और योगी जैसे नेता क्यों नफ़रत वाले दे रहे थे? देखिए आशुतोष की बात।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि बीजेपी नेताओं के नफ़रत वाले बयान के कारण नुक़सान हुआ होगा। उनका यह बयान दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को बड़ी हार मिलने के बाद पहली बार आया है।
देश के गृह मंत्री अमित का यह बयान क्या अजीबोगरीब नहीं है कि बटन ऐसा दबाना कि शाहीन बाग़ में करंट लगे? क्या शाह नागरिकता क़ानून पर प्रदर्शन से घबरा गए हैं या दिल्ली चुनाव में बीजेपी की ख़राब हालत से? वैसे प्रशांत किशोर ने भी दिलचस्प दिया है कहा कि बटन तो प्यार से ही दबेगा पर जोर का झटका धीरे से लगेगा। देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
गृह मंत्री अमित शाह ने यह कह कर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वालों को सीधे जेल भेज दिया जाएगा। प्रश्न यह है कि क्या नारा लगाने मात्र से ही किसी को जेल की सज़ा हो सकती है?