ट्विटर ने केंद्र सरकार के कहने पर ऐसे कई ट्वीट हटा दिए, जिनमें कोरोना संभालने में सरकार की आलोचना की गई थी। इसमें कई राजनीतिक दल, एक्टर व पत्रकार के ट्वीट शामिल हैं।
सांसद बदरुद्दीन अजमल चर्चा में हैं। एक वीडियो क्लिप को लेकर।उस छेड़छाड़ वाले वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'इसी भारत पर मुग़लों ने 800 साल राज किया। इस देश को इस्लामिक राष्ट्र बनायेंगे...।'
प्रधानमंत्री मोदी की कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में रविवार की रैली की उनकी पार्टी और समर्थकों की ओर से ऐसी-ऐसी तसवीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की गईं जो दूसरी पार्टियों की रैलियों की थीं।
अमित मालवीय जिस तरह की फ़ेक न्यूज़ फैलाने के लिए चर्चा में रहे हैं उस पर अब ट्विटर ने भी 'ठप्पा' लगा दिया है। पुलिस द्वारा किसानों की लाठी से पिटाई की जो तसवीर वायरल हुई थी उसको प्रोपेगेंडा बताने के अमित मालवीय के प्रयास की ट्विटर ने हवा निकाल दी।
बजाज कंपनी के बाद पारले कंपनी की ओर से भी ज़हरीले न्यूज़ चैनलों के बहिष्कार की घोषणा को एक अप्रत्याशित और सुखद क़दम के तौर पर लिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर व्यक्त की जा रही टिप्पणियों में इसे देखा जा सकता है।
दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ कर लिया है। सवाल उठता है कि जिस ट्वीट के आधार पर उसने ऐसा किया है क्या वही कारण है या फिर ऑल्ट न्यूज़ और मीडिया को चुप कराने के लिए ऐसा किया गया है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
ऑल्ट न्यूज़ के सह- संस्थापक मुहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ उनके एक ट्वीट को लेकर मामला दर्ज़ कर लिया गया है। आरोप यह लगाया गया है कि उन्होंने एक नाबालिग लड़की को कथित तौर पर धमकाया और प्रताड़ित किया है।
पैंगोंग त्सो, देपसांग और बाक़ी इलाक़ों में क्या सूरत-ए-हाल है, यह भारत का हर शख़्स जानना चाहता है। ऐसे वक्त में न्यूज़ चैनलों से यह उम्मीद की जाती है कि वे सही तसवीर को सामने रखेंगे।
अमित मालवीय बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख हैं। और यह वह पार्टी है जो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है। क्या ऐसी पार्टी के आईटी सेल के हेड से उम्मीद की जा सकती है कि वह 'फ़ेक न्यूज़' सोशल मीडिया पर पोस्ट करें?
ख़ून में सना एक व्यक्ति के हंगामा करने के एक वीडियो में दावा किया गया है कि '14 दिन के एकांतवास में भी इन तब्लीग़ी जमात के लोगों ने अश्लीलता और आतंक मचा रखा है'। पढ़िए झूठ या सच।
फ़ेक न्यूज़ का अपना बाज़ार है। किसी का चरित्र हनन या किसी का चरित्र निर्माण आज झूठ के ज़रिए संभव है, बस आपके पास चुकाने की क़ीमत होनी चाहिए। आंदोलनों के समय यह धंधा और ज़ोर पकड़ लेता है। पर्दाफ़ाश कर रहे हैं शीतल पी सिंह।
फ़ेक न्यूज़ सारी दुनिया में सत्तारूढ़ नेताओं की रक्षा का सबसे सफल हथियार क्यों बन गई है? भारत में तो लगता है कि इन पर कोई रोक ही नहीं है। क्या हैं इसके ख़तरे और क्यों ज़रूरी है सावधान रहना? सत्य हिंदी पर देखिए 'शीतल के सवाल' में विशेष रिपोर्ट।