एक बेहद अहम घटनाक्रम में कांग्रेस नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का ज़िक्र करते हुए कहा है कि अतीत में वैसे ही पंजाब के लोगों ने 42 माँगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए थे और बाद में ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसी कार्रवाई की गई थी।
किसान ‘कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग’ से लड़ रहे हैं और पत्रकार ‘कांट्रैक्ट जर्नलिज़्म’ से। व्यवस्था ने हाथियों पर तो क़ाबू पा लिया है पर वह चींटियों से डर रही है। ये पत्रकार अपना काम सोशल मीडिया की मदद से कर रहे हैं।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन को केंद्र सरकार भले ही सख़्ती से कुचलने की नीति पर चले, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान इस ओर गया है और कई मशहूर लोगों ने इसका समर्थन किया है।
क्या सरकार को लगता है कि किसानों को आंदोलन करने से दीवारें और कंटीले तार रोक पाएँगे? किसानों के प्रदर्शन स्थल पर जिस तरह से दीवारें खड़ी की जा रही हैं, कंटीले तार लगाए जा रहे हैं और गड्ढे खोदे जा रहे हैं उससे यह सवाल उठना लाजिमी है।
क्या राकेश टिकैत के रो पड़ने ने किसान आंदोलन में नये सिरे से जान फूँक दी है? रात यह लग रहा था कि पुलिस ज़बरन किसानों को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से हटा देगी लेकिन वैसा नहीं हुआ।
दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर गाज़ीपुर से किसानों को हटाने की ख़बरों के बीच तनाव है। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है तो किसान भी भारी तादाद में पहुँच गए हैं। टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
नये कृषि क़ानूनों पर किसान आंदोलन में हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने उन क़ानूनों के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया है। इन क़ानूनों को किसान विरोधी क़रार दिया गया है और इसको वापस लेने की माँग की है।
राष्ट्रीय किसान मज़दूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने आन्दोलन छोड़ वापस लौटने के एलान करते हुए कहा कि वे सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए आन्दोलन में शामिल हुए थे।
किसानों के केंद्रीय दिल्ली तक पहुँच जाने के बाद मेट्रो स्टेशनों के गेट को बंद कर दिया गया है। ग्रीन लाइन के सभी स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। दूसरे कई स्टेशनों सहित आईटीओ मेट्रो स्टेशन के गेट बंद कर दिए गए हैं।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के पास दो महीने से चल रहे किसान आन्दोलन को समर्थन देने के लिए मुंबई के आज़ाद मैदान में सभा हो रही है। शरद पवार ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बगैर चर्चा के क़ानून पारित किए गए।
दिल्ली के पास आन्दोलन चला रहे किसान संगठनों की शीर्ष संस्था संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर ऑल इंडिया किसान सभा ने नाशिक से मुंबई का मार्च निकाला है। मुंबई के आज़ाद मैदान में 24 से 26 जनवरी तक किसान धरने पर बैठेंगे।
10वें दौर की वार्ता में किसानों के लिए केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव हैरान करने वाला था कि विवादास्पद तीन कृषि क़ानूनों को एक से डेढ़ साल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा। सरकार ऐसा करने को तैयार क्यों हुई?
सरकार ने कृषि क़ानून पर डेढ़ साल तक स्थगन यानी रोक लगाने का प्रस्ताव तो दे दिया है, लेकिन वह ऐसा करेगी कैसे? क्या संविधान में कहीं ऐसा कोई प्रावधान है कि सरकार किसी क़ानून को रोक दे या रद्द कर दे?