मुखर्जी ने अपने संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स 2012-2017’ में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के फ़ैसले के पहले उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन उसके बाद यह इच्छा जताई थी कि वे उन्हें इसमें मदद करें क्योंकि वे वित्तमंत्री रह चुके थे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद से हटने के बाद तीन खंडों में एक किताब लिखी, 'द कोएलिशन ईयर्स'। इस किताब में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के कई अहम रहस्योद्घाटन किए।
एक ऐसा आदमी जो मजबूत जनाधार नहीं होने के बावजूद तीन दशक से ज़्यादा समय तक राजनीति में छाया रहा, एक ऐसा आदमी जो दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गया। क्या है प्रणब मुखर्जी होने का मतलब?
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिना किसी के नाम लिए तानाशाही का ज़िक्र क्यों किया? उन्होंने असहमति को लोकतंत्र के लिए ज़रूरी क्यों कहा? क्या आज़ादी के नारे पर देशद्रोह की धमकी देने वाले यूपी के सीएम योगी इससे सबक़ लेंगे? क्या विरोध करने वालों से गृह मंत्री अमित शाह नरमी से पेश आएँगे? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
देश भर में नागरिकता क़ानून यानी सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शन के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक कार्यक्रम में तानाशाही, असहमति, शांतिपूर्ण प्रदर्शन और लोकतंत्र जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।