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बाग़पत: जैन कॉलेज में हंगामे को लेकर एबीवीपी ने मांगी माफी

लाखों कार्यकर्ताओं वाला संगठन आरएसएस एक ओर तो सभी को उनकी पूजा पद्धति को मानने की आज़ादी देने की वक़ालत करता है लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाग़पत जिले के बड़ौत इलाक़े में इसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जो किया है, वह उसकी इस बात को झुठलाता है।

एबीवीपी के नेताओं ने मंगलवार को बड़ौत में स्थित दिगंबर जैन कॉलेज के परिसर में जैन समाज की देवी श्रुतदेवी की प्रतिमा को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। सोशल मीडिया पर जब इसकी जोरदार आलोचना हुई, तो एबीवीपी के नेता को वीडियो जारी कर माफ़ी मांगनी पड़ी। 

एबीवीपी नेता ने कहा कि यह घटना अज्ञानतावश हुई है और आगे से किसी भी तरह का धरना प्रतिमा को लेकर नहीं किया जाएगा। एबीवीपी नेता ने कहा है कि वह जैन समाज के सभी लोगों से इस कृत्य के लिए माफ़ी मांगते हैं। 

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देवी का हुआ अपमान

इतिहासकार अमित राय जैन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि एबीवीपी के कुछ कार्यकर्ता मंगलवार को कॉलेज के परिसर में आए और श्रुतदेवी की प्रतिमा वाले मंदिर पर जूते-चप्पल लेकर चढ़े, इससे देवी का अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि श्रुतदेवी जैन धर्म की आस्था की केंद्र हैं और उनका विधान हज़ारों वर्षों से है। 

राय ने कहा कि जैन समाज के कैंपस में वे लोग अगर जैन सथा माज की आस्था की प्रतीक देवियों की प्रतिमाओं पर प्रश्न उठाएंगे और अपमान करेंगे तो जैन धर्म का अस्तित्व संकट में आ सकता है। उन्होंने कहा कि दक्षिण के भी कई मंदिरों में श्रुतदेवी की पूजा होती है। 

राय ने कहा था कि एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने मंदिर को ढहाने की बात कही और प्रतिमा हटाने के लिए सात दिन का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि वे एबीवीपी के फर्जी पदाधिकारी हो सकते हैं।

हालांकि एबीवीपी बाग़पत ऑफ़िशियल नाम के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा गया था कि जैन डिग्री कॉलेज का मैनेजमेंट एबीवीपी बड़ौत के कार्यकर्ताओं के आगे झुक गया और 7 दिन का समय मांगा है। 

सख़्त कार्रवाई की मांग

इस घटना के वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एबीवीपी के कार्यकर्ता छोटे से मंदिर पर चढ़ गए और भारत माता की जय और एबीवीपी जिंदाबाद के नारे लगाए। घटना के बाद बुधवार को जैन समुदाय के लोगों की बैठक हुई और उन्होंने स्थानीय प्रशासन को इसे लेकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की थी कि ऐसे शरारती तत्वों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए। 

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सरस्वती की मूर्ति होने का दावा

अमर उजाला के मुताबिक़, एबीवीपी नेताओं का कहना था कि यह मूर्ति मां सरस्वती की है, इसके मस्तक पर जैन मुनि को दर्शाया गया है और यह सरस्वती की मूर्ति का अपमान है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि यह मूर्ति मां सरस्वती की नहीं, श्रुत देवी की है। उन्होंने कहा कि छात्रों को कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं जबकि उन्हें गुमराह होने के बजाय पूरी जानकारी करनी चाहिए।
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क़मर वहीद नक़वी

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