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बाबरी के बाद दूसरी मसजिदों पर हाथ नहीं डालेगा संघ परिवार, या यह चाल है?

क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी जैसे उससे जुड़े संगठन बाबरी मसजिद के विध्वंस के बाद किसी दूसरी मसजिद को निशाना नहीं बनाएंगे या यह सिर्फ उनकी 'टैक्टिकल रिट्रीट' है? क्या यह माना जाए कि केंद्र की सत्ता हासिल करने के बाद आरएसएस सबको साथ लेकर चलने की नीति अपनाएगा और मुसलमानों को निशाने पर नहीं लेगा, या यह समझा जाए कि जिस हिन्दुत्व को जगा कर उसने सत्ता हासिल की है, उसे वह आगे भी चलाएगा और मौजूदा समझदारी दिखावा और रणनीति का हिस्सा है? ये सवाल हैं।

क्या कहा कटियार ने?

बाबरी मसजिद विध्वंस के मामले में फ़ैसला आने के बाद एक तरफ जहां संघ परिवार में उत्सव का माहौल देखा गया, वहीं कुछ लोगों ने संभल कर प्रतिक्रिया दी है। यह भी अहम है कि बजरंग दल के पूर्व प्रमुख, बीजेपी सांसद और राम मंदिर आन्दोलन को स्थानीय स्तर पर संचालित करने वाले विनय कटियार ने एक ही दिन में दो परस्पर विरोधी बयान देकर सबको उलझन में डाल दिया है। वैसे थोड़ा विचार करने से यह साफ हो जाता है कि यह उलझन भी सिर्फ दिखावा है और लोगों भ्रमित करने की रणनीति है।
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'हमने साजिश नहीं रची'

विनय कटियार ने बाबरी विध्वंस के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि  'इसके पीछे कोई साजिश नहीं थी, यह तो कांग्रेस की सोची समझी रणनीति थी कि बाबरी मसजिद को गिरने दिया जाए और उस आधार पर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार को गिरा दिया जाए।'  उन्होंने ज़ोर देकर कहा, 
'5 दिसंबर 1992 की शाम यानी बाबरी ढहाए जाने के एक दिन पहले मेरे घर पर रात में भोजन के समय विध्वंस की कोई योजना नहीं बनाई गई थी। उस बैठक में यह चर्चा हुई थी कि किस तरह शांतिपूर्वक व सांकेतिक कार सेवा की जाए और उसके बाद कारसेवक अपने घर लौट जाएं।'

'कांग्रेस की साजिश'

उन्होंने कहा, 'बाबरी मसजिद कांग्रेस ने गिराई और हम पर आरोप लगा। यह कांग्रेस की साजिश थी कि बाबरी विध्वंस के बहाने राज्य की बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए। हमने कभी नहीं चाहा था कि मसजिद गिराई जाए।'
बीजेपी के इस पूर्व सांसद ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा, 'भविष्य में किसी मसजिद को नहीं छुआ जाना चाहिए। शांति बरक़रार रहे।'

मथुरा-काशी की बारी

लेकिन बजरंग दल के इस पूर्व प्रमुख ने उसी दिन यानी बुधवार को ही बिल्कुल उलट बात भी कही थी। उन्होंने कहा कि अब मथुरा और काशी की तैयारी होगी।  उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 

'सभी साधु संतों के साथ मिलकर तय करेंगे कि काशी और मथुरा के आंदोलन को कैसे आगे लेकर जाना है। कांग्रेस से जुड़े साधु संत भी चाहें तो इससे जुड़ सकते हैं।'


विनय कटियार, पूर्व बीजेपी सांसद

बुधवार को एक और महत्वपूर्ण घटना हुई। मथुरा की सिविल अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें यह मांग की गई थी कि शाही ईदगाह मसजिद को हटाया जाए क्योंकि वह श्री कृष्ण जन्मस्थान पर बनी हुई है। इसमें भी अयोध्या राम मंदिर की तर्ज पर श्री कृष्ण विराजमान की ओर से याचिका दायर की गई थी जिसे उनके मित्रों ने दायर किया था।

क्या करेगा आरएसएस?

पिछले दिनों आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने संकेत दे दिया कि काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर संघ के एजेंडे पर नहीं है। संघ के संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, 

'संघ आन्दोलन से नहीं जुड़ता है। हम चरित्र निर्माण के लिए काम करते हैं। अतीत में स्थितियां अलग थीं, इसका नतीजा यह निकला कि संघ अयोध्या आन्दोलन से जुड़ गया। हम एक बार फिर चरित्र निर्माण के काम में जुटेंगे।'


मोहन भागवत, सरसंघचालक, आरएसएस

'संघ का काम आन्दोलन नहीं'

भागवत का संदेश साफ है। उनके कहने का मतलब यह है कि संघ का काम आन्दोलन चलाना नहीं है, अयोध्या का मामला अलग था, पर अब इसमें नहीं पड़ना है, हिन्दुओं को संगठित करना है। यानी उसे काशी और मथुरा के मंदिर आन्दोलनों से न जोड़ा जाए।
लेकिन इसके पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा था कि वह मथुरा और काशी के मंदिरों के लिए क़ानूनी लड़ाई शुरू करने जा रही है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, प्रयागराज में 13 अखाड़ों के प्रमुखों की बैठक हाल फ़िलहाल हुई है, जिसमें यह फ़ैसला लिया गया। इस बाबत एक प्रस्ताव भी पारित किया गया।

अखाड़ा परिषद

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा था, 'वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को आज़ाद कराने का प्रस्ताव पास किया गया। मुसलिम आक्रमणकारियों और आतंकवादियों ने मुग़ल काल में मंदिरों को तोड़ कर वहां मसजिद व मक़बरे बना दिए।'
ऐसा लगता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को अयोध्या के राम मुद्दे की तरह गरम करने और इस पर आन्दोलन चलाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पशोपेश में है। पहले वह इस मुद्दे को तूल देना नहीं चाहता था और फिर कहता है, तर्क देता है, 'संघ का काम आन्दोलन चलाना नहीं है'। पर अब उसका कहना है कि “यदि समाज इस पर पहल करता है तो विचार किया जाएगा।'
विनय कटियार के बयान को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
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क़मर वहीद नक़वी

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