loader

रिटायर्ड जज पर जाँच के बहाने जजों की जानकारी लेने का आरोप

न्यायपालिका के इतिहास में एक अजीबोग़रीब मामला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज पर यह आरोप लगा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के इशारे पर एक बहाने से इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजों के बारे गोपनीय जानकारी हासिल करने के लिये इलाहाबाद आ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये आरोप इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन ने लगाया है और एक प्रस्ताव पारित कर जज का न केवल विरोध किया है, बल्कि उन पर गंभीर आरोप भी लगाये हैं।

असंवैधानिक?

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बी. एस. चौहान विकास दुबे मुठभेड़ की जाँच के बहाने जजों के बारे में जानकारियाँ लेने के लिए जा रहे हैं। एसोसिएशन ने इसे 'न्यायापालिका विरोधी' और असंवैधानिक बताया है। बार एसोसिएशन की 8 जनवरी की इस बैठक में जस्टिस चौहान की इलाहाबाद यात्रा का विरोध करने का निर्णय लिया गया।

जाँच के बहाने!

एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है, "हालांकि जस्टिस चौहान सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं और वे जानते हैं कि इस तरह का असंवैधानिक दौरा नहीं किया जा सकता है, फिर भी वे विकास दुबे मुठभेड़ की जाँच की आड़ में हाई कोर्ट के जजों के कामकाज के तौर-तरीकों का पता लगाने 11 जनवरी को आ रहे हैं।"

प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान में इसका प्रावधान नहीं है कि किसी हाई कोर्ट के जजों के बारे में पता लगाने के लिए कोई आयोग गठित हो या इस तरह से पता लगाया जाए। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि वकील श्रीकांत अवस्थी की मौत के लिए जस्टिस चौहान ज़िम्मेदार हैं, उनके कथित निर्देश पर ही पुलिस हिरासत में अवस्थी के साथ कथित तौर पर क्रूरता की गई।

विकास दुबे मुठभेड़

बता दें कि कानपुर में कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने के लिये जब पुलिस टीम उनके गाँव गयी तो दुबे के गुर्गों ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। इस घटना के बाद पूरे देश में हाहाकार मच गया। विकास दुबे मौक़े से फ़रार हो गया। उसके बाद उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से धर दबोचा गया। दुबे ने उस वक्त यह आशंका जतायी थी कि उसका एनकाउंटर पुलिस कर देगी ।

अगले दिन मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को कानपुर की अदालत में पेश किया जाना था। रास्ते में दुबे के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की खबर आयी। प्रदेश की एसटीएफ़ उज्जैन से विकास दुबे को लेकर कानपुर जा रही थी। पुलिस के मुताबिक़ जिस गाड़ी में विकास दुबे को ले जाया जा रहा था वह गाड़ी रास्ते में ही कानपुर के पास पलट गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एसटीएफ़ ने कहा है कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। इसी दौरान मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में ही वह मारा गया।  

allahabad high court bar association opposes retired supreme court judge j.s. verma visit - Satya Hindi
विकास दुबे, मारा गया गैंगस्टर

मुठभेड़ पर सवाल

इस मुठभेड़ पर बेहद संगीन सवाल उठे। और ये आरोप लगा कि यूपी पुलिस ने दुबे का जानबूझकर कर एनकाउंटर किया। और पूरे मामले में झूठी कहानी गढी। पुलिस की बातों पर किसी को यक़ीन नहीं हुआ। कई सवाल थे। जैसे कि उस गाड़ी में एसटीएफ़ के जवान थे और उसमें सिर्फ़ विकास दुबे ही अपराधी था। जब गाड़ी पलटी तब एक बदमाश क्या उतने सारे पुलिसकर्मियों से बंदूक छीन कर भाग सकता है और क्या उसे पकड़ना इतना मुश्किल हो सकता है कि उसे गोली मारना पड़े!

ख़ैर, विवाद जब लंबा बढ़ा तो मामले की जाँच के लिये सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बना दी। जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी एस चौहान कर रहे हैं। यही कमेटी अब इलाहाबाद जा रही है और बार एसोसिएशन ने उन पर गंभीर आरोप जड़ दिये हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें