loader

एनएसए के तहत कफील की हिरासत 'ग़ैर-क़ानूनी', रिहा करें: इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. कफील ख़ान को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एनएसए के तहत उनकी गिरफ़्तारी ग़ैर-क़ानूनी है और उन्हें रिहा किया जाए। सरकार ने उन्हें नागरिक़ता क़ानून के ख़िलाफ़ भाषण देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी एनएसए के तहत जेल में बंद कर दिया था। क़रीब एक पखवाड़े पहले ही एनएसए के तहत उनकी जेल की अवधि फिर से बढ़ा दी गई थी। लंबे समय से सरकार के इस फ़ैसले को चुनौती दी जा रही थी। सामाजिक कार्यकर्ता भी कफील ख़ान को जेल में बंद करने के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे थे। 

हाई कोर्ट ने कहा, 'पूरा भाषण पढ़ने पर प्रथम दृष्टया नफ़रत या हिंसा को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं लगता है। इसमें अलीगढ़ में शांति भंग करने की धमकी भी नहीं लगती है।'  कोर्ट ने कहा, 'ऐसा लगता है कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने भाषण से कुछ वाक्यों को चयनात्मक रूप से देखा और चयनात्मक उल्लेख किया था, जो इसकी वास्तविक मंशा की अनदेखी करता है।'

ताज़ा ख़बरें

महज़ एक भाषण देने के आरोप में बीते छह महीनों से मथुरा जेल में बंद डॉ. कफ़ील पर लगाई गयी राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) की मियाद को योगी सरकार ने क़रीब एक पखवाड़ा पहले ही फिर से बढ़ा दिया था। 

पिछले महीने 10 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में डॉ. कफ़ील की जमानत याचिका पर सुनवाई वाले दिन जारी अपने एक आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था, ‘फ़रवरी, 2020 में डॉ. कफ़ील पर अलीगढ़ के जिलाधिकारी ने रासुका लगाने की संस्तुति की थी और रासुका की अवधि तीन-तीन महीने बढ़ाई जाती रही है। अब प्रदेश सरकार ने पाया है कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए फिर से ऐसा करना ज़रूरी हो गया है।’ 

कभी गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से मरते बच्चों तो कभी बिहार में चमकी बुखार से पीड़ित नवजातों का इलाज करने से मशहूर हुए डॉ. कफ़ील ख़ान उत्तर प्रदेश सरकार की नज़रों में देश की सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा हैं। 

डॉ. कफ़ील को अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ छात्रों की एक सभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इसी साल फरवरी में मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि पिछले साल 13 दिसंबर को दायर की गई पहली एफ़आईआर में कहा गया है कि डॉ. ख़ान ने विश्वविद्यालय में शांतिपूर्ण माहौल और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का प्रयास किया।

उस सभा में जाने-माने सामाजिक चिंतक योगेंद्र यादव भी मौजूद थे और उन्होंने कई बार साफ किया है कि डॉ. कफ़ील ने कुछ भी ऐसा नहीं कहा था जो देश की सुरक्षा, अखंडता व संविधान के ख़िलाफ़ हो। इस सबके बाद भी डॉ. कफ़ील पर यूपी सरकार ने रासुका लगाई और अब तक उसकी मियाद दो बार बढ़ाई जा चुकी है।

उत्तर प्रदेश से और ख़बरें

डॉ. कफ़ील पर आरोप है कि उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में 12 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण दिया था। इस मामले में अलीगढ़ पुलिस ने डॉ. कफ़ील के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर द्वेष फैलाना) के तहत 13 दिसंबर को मुक़दमा दर्ज किया गया था। 29 जनवरी को उन्हें मुंबई से गिरफ़्तार कर लिया था। तब डॉ. कफ़ील नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ मुंबई में हो रहे एक प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे थे। इसके बाद 10 फ़रवरी को उन्हें जमानत मिली थी।  

जमानत मिलने के बाद भी डॉ. कफ़ील को मथुरा जेल में ही रखा गया था और चार ही दिन बार उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर रासुका लगा दिया था।
डॉ. कफ़ील का नाम तब चर्चा में आया था जब 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने लापरवाही बरतने, भ्रष्टाचार में शामिल होने सहित कई आरोप लगाकर डॉ. कफ़ील को निलंबित कर जेल भेज दिया था। लेकिन बाद में सरकारी रिपोर्ट में ही डॉ. कफ़ील बेदाग़ निकले थे और सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें