बीजेपी गजब की पार्टी है। पहले इसने उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराये गये पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर को मैदान में उतारा तो अब पीड़िता से बलात्कार मामले में अभियुक्त अरूण सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष जैसे बड़े पद के लिए उम्मीदवार बना दिया है।
हालांकि संगीता सेंगर को टिकट दिए जाने का जब जबरदस्त विरोध हुआ तो बीजेपी को टिकट वापस लेना पड़ा लेकिन दो महीने के अंदर ही उसने अरूण सिंह को टिकट देकर दिखा दिया है कि उसे लोग क्या कहते हैं, इसकी कोई परवाह नहीं है। पूरे देश भर में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे के पोस्टर लगाने वाली इस पार्टी का असली चेहरा भी लोगों के सामने आ रहा है।
दुष्कर्म पीड़िता ने आरोप लगाया था कि जून, 2017 में जब वह नौकरी मांगने तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के आवास पर गई थी तो सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता के परिवार ने कहा था कि बलात्कार मामले में विधायक और उसके साथियों ने पुलिस में शिकायत नहीं करने के लिए उन पर दबाव बनाया था।
विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर व उसके साथियों ने पीड़िता के पिता के साथ मारपीट की थी और इसके बाद पुलिस हिरासत में पिता की मौत हो गई थी। मौत से पहले पीड़िता के पिता का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि विधायक के भाई और उसके गुर्गों ने उन्हें पीटा था।
सेंगर का क़रीबी है अरूण सिंह
टिकट हासिल करने वाले अरूण सिंह को कुलदीप सिंह सेंगर का बेहद क़रीबी बताया जाता है। अरूण सिंह को टिकट मिलने पर दुष्कर्म पीड़िता ने एक वीडियो जारी कर बीजेपी को ख़ूब खरी-खोटी सुनाई है और पूछा है कि वह उसके साथ है या कुलदीप सेंगर के साथ।
पीड़िता ने वीडियो में कहा है, “बीजेपी दोषियों को टिकट दे रही है। मेरे पिता की हत्या में अरूण सिंह नामजद है और वह मेरी जान के लिए ख़तरा बना हुआ है। मैं सरकार से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से निवेदन करती हूं कि मेरे दोषियों को बीजेपी टिकट न दे और उनसे टिकट वापस ले ले।”
‘दोषियों के साथ है सरकार’
पीड़िता ने आगे कहा कि एक ओर सरकार कहती है कि दोषियों को जेल के अंदर किया जाए और दूसरी ओर दोषियों को टिकट दे रही है। पीड़िता ने कहा कि अरूण सिंह की टिकट वापस ली जाए और ऐसा होता है तो वह सरकार की सदा आभारी रहेगी।
सेंगर का राजनीतिक रसूख
चाहे संगीता सेंगर को पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनाना हो या फिर अरूण सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर टिकट देना, बीजेपी सोच-समझकर यह कर रही है क्योंकि वह कुलदीप सेंगर के राजनीतिक प्रभाव का फ़ायदा उठाना चाहती है। सेंगर का इस इलाक़े में जबरदस्त राजनीतिक रसूख है।
कुलदीप सिंह सेंगर के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कुलदीप सेंगर से सीतापुर जेल में मुलाक़ात की थी। इस इलाक़े में सेंगर के ‘चेलों’ का भी बहुत ख़ौफ़ है।
पंचायत चुनाव में करारी शिकस्त
पंचायत चुनाव में बीजेपी पस्त हो चुकी है, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो उसकी सियासी ज़मीन खिसक चुकी है। वह समाजवादी पार्टी से काफी पीछे रही है। इसे लेकर पार्टी में हड़कंप का माहौल है और बीते कुछ दिनों में हुआ सियासी घटनाक्रम इसकी गवाही देता है।
पंचायत चुनावों में मिली हार को बीजेपी यह कहकर दबा देना चाहती है कि अधिकतर जिला पंचायतों में अध्यक्ष पद पर उसके प्रत्याशियों को जीत मिली है। इसके लिए वह साम-दाम, दंड-भेद का खुलकर सहारा ले रही है, ऐसी ख़बरें उत्तर प्रदेश में कई जगहों से आ रही हैं।
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