loader

पहले झारखंड अब बुलंदशहर, मॉब लिन्चिंग के अभियुक्तों का जोरदार स्वागत

एक बार फिर वही हुआ। मॉब लिन्चिंग के अभियुक्तों का माला पहनाकर स्वागत किया गया। ताज़ा घटना यह है कि पिछले साल दिसंबर में बुलंदशहर के स्याना क्षेत्र में गोकशी की अफवाह के बाद हुई हिंसा में शामिल अभियुक्तों का शनिवार को जमानत पर जेल से बाहर आने पर हीरो की तरह स्वागत किया गया। हाई कोर्ट के आदेश पर इन सभी को जमानत पर रिहा किया गया है। रिहा होने वाले अभियुक्तों में शिखर अग्रवाल, हेमू, उपेंद्र राघव, रोहित राघव, जीतू फ़ौज़ी, राजकुमार और सौरव के नाम शामिल हैं। 
याद दिला दें कि 2017 में झारखंड के रामगढ़ में गो माँस ले जाने के शक में अलीमुद्दीन अंसारी नाम के शख़्स को बीच सड़क पर जमकर पीटा गया था और कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी। इस मामले के अभियुक्त 2018 में जब जमानत पर जेल से बाहर आए थे तो केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने उनका फूल-मालाओं से स्वागत किया था। सिन्हा ने तब अपने इस क़दम का खुलकर बचाव करते हुए कहा था कि उन्हें यह लगता है कि ये लोग निर्दोष हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए, इसलिए उन्होंने और बीजेपी के दूसरे नेताओं ने पैसे इकट्ठा कर उन अभियुक्तों के वकील को दिए।
Bulandshahar violence Seven accused get bail warmly welcome - Satya Hindi
मॉब लिन्चिंग के अभियुक्तों का स्वागत करते जयंत सिन्हा।
बुलंदशहर में हुए बवाल में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक सुमित की मौत हो गई थी। तब इसे लेकर ख़ासा बवाल हुआ था लेकिन हैरानी तब हुई थी जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे महज ‘दुर्घटना’ करार दिया था। हैरानी तब भी हुई थी जब बुलंदशहर से बीजेपी सांसद भोला सिंह ने कहा था कि पुलिस को बुलंदशहर में हो रहे मुसलिम समुदाय के कार्यक्रम इजतमा के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई थी और इसी वज़ह से हिंसा हुई है।
ताज़ा ख़बरें
बुलंदशहर हिंसा के अभियुक्तों में से शिखर अग्रवाल बीजेपी की यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा की स्थानीय इकाई का अध्यक्ष रह चुका है और बुलंदशहर हिंसा की घटना के वक्त इस कांड का मुख्य अभियुक्त योगेश राज बजरंग दल का जिला संयोजक था। दो अभियुक्त हेमू और उपेंद्र राघव भी एक दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े हुए हैं। घटना के एक महीने तक योगेश राज फ़रार रहा था और इसी दौरान उसने अपना एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर कर ख़ुद को बेग़ुनाह बताया था।
उत्तर प्रदेश से और ख़बरें
बुलंदशहर हिंसा के अभियुक्तों का हीरो की तरह स्वागत का यह वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हो गया है। वीडियो में शिखर अग्रवाल और अन्य अभियुक्तों का स्वागत करने वाले लोग जोर-शोर से ‘जय श्री राम’, ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हैं और उन्हें फूल-मालाओं से लाद देते हैं। लोग बेहद गर्मजोशी से उनका स्वागत करते हैं, इसे देखकर बुलंदशहर की हिंसा से अनजान कोई व्यक्ति चौंक जाए कि आख़िर इन लोगों ने ऐसा क्या कारनामा कर दिया है कि इनका इतना जोरदार स्वागत किया जा रहा है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, मामले की तहक़ीक़ात के लिए बनी विशेष जाँच टीम के प्रमुख राघवेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा, ‘हम हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। अभियुक्तों को नियमों के मुताबिक़ और कुछ शर्तों के साथ जमानत दी गई है। शर्तों के मुताबिक़, अभियुक्त किसी भी तरह जाँच को प्रभावित करने का काम नहीं करेंगे। अगर वे किसी शर्त का उल्लंघन करते पाये जाते हैं तो हम उनकी जमानत को रद्द करने की अपील करेंगे।’ बुलंदशहर हिंसा के पाँच अभियुक्तों जिन पर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मामले में धारा 302 का मुक़दमा चल रहा है, उन्हें अभी जमानत नहीं दी गई है।
पुलिस के मुताबिक़, अभियुक्तों के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किलों का कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं रहा है और अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो उनके अपराध करने की कोई संभावना भी नहीं है।
बुलंदशहर हिंसा के बाद पुलिस ने बताया था कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की बेरहमी से हत्या की गई थी। पुलिस ने बताया था कि इंस्पेक्टर सिंह पर पत्थरों, रॉड और कुल्हाड़ी से हमला किया गया था। इसके बाद उन्हें लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारी गई थी। बुलंदशहर पुलिस के वरिष्ठ अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने कहा था कि सुबोध कुमार सिंह की हत्या योजना बनाकर की गई थी। सुबोध कुमार सिंह ग्रेटर नोएडा के दादरी में हुए अख़लाक हत्‍याकांड मामले में जाँच अधिकारी रह चुके थे। स्याना क्षेत्र में हुए बवाल के बाद योगेश राज और अन्य अभियुक्तों ने चिंगरावठी पुलिस थाने के बाहर प्रदर्शन किया था। इंस्पेक्टर सिंह ने इस बवाल को थामने की कोशिश की थी लेकिन भीड़ ने उन्हें ही मौत के घाट उतार दिया था। 
संबंधित ख़बरें
मामले की जाँच में लापरवाही और राजनीतिक दबाव में काम करने को लेकर बुलंदशहर पुलिस पर तमाम आरोप लगे थे। पुलिस पर आरोप लगा था कि उसने गोकशी मामले में निर्दोष को जेल में डाला और उसकी पिटाई की। पुलिस ने गोकशी के आरोप में एक बुजुर्ग बन्ने ख़ां को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था लेकिन बन्ने खां ने जेल से छूटने के बाद सत्य हिंदी.कॉम को आपबीती सुनाते हुए कहा था कि वह तो कभी स्याना गए तक नहीं हैं।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें