कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश के कई शहरों में गंगा में बड़ी संख्या में शव बहते हुए मिले। उन्नाव से लेकर ग़ाज़ीपुर और चंदौली से वाराणसी और भदोही सहित कई जगहों के फ़ोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो योगी सरकार हरक़त में आई। इसे लेकर सरकार के समर्थकों की ओर से कहा गया कि प्रदेश में रहने वाले कुछ समुदायों के लोगों के बीच शवों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा है।
अब योगी सरकार ने इस मामले में केंद्र को आधिकारिक रूप से ऐसा ही जवाब दिया है। योगी सरकार ने कहा है कि वह गंगा में बहते शवों के फ़ोटो, वीडियो वायरल होने से पहले इस बात को जानती थी कि राज्य में इस तरह की प्रथा प्रचलित है। यह बात 15 मई को केंद्र सरकार के साथ हुई एक बैठक में राज्य सरकार की ओर से कही गई है।
यह बैठक जल शक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में हुई। इसमें उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार सरकार के भी अफ़सर शामिल रहे। सबसे पहले बिहार के बक्सर में ही गंगा किनारे शव मिले थे।
मध्य और पूर्वी इलाक़ों में है प्रचलन
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) रजनीश दुबे ने केंद्र को बताया कि रिकॉर्ड्स के मुताबिक़, शवों को नदियों में बहाने का यह प्रचलन प्रदेश के मध्य और पूर्वी इलाक़ों में है। उन्होंने कहा कि इनमें से भी मध्य यूपी के कानपुर-उन्नाव इलाक़े में और पूर्वी यूपी के बनारस-ग़ाज़ीपुर इलाक़े में ऐसा ज़्यादा होता है जबकि प्रदेश के पश्चिमी जिलों में ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
बैठक में उत्तर प्रदेश के अफ़सरों की ओर से कितने शव गंगा में मिले, इस बारे में कोई जानकारी केंद्र को नहीं दी गई लेकिन बिहार सरकार के प्रधान सचिव (शहरी विकास) आनंद किशोर ने केंद्र को बताया कि उत्तर प्रदेश से उनके वहां बहकर आए 71 शव नदी में मिले।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, केंद्र की ओर से राज्यों से कहा गया है कि गंगा में शवों को बहाने या इसके घाटों के किनारे शवों को दफ़नाने को तुरंत बंद किया जाना चाहिए।
यह बैठक गंगा की सफाई के लिए बनाए गए राष्ट्रीय गंगा सफाई आयोग की ओर से जारी एडवाइजरी के बाद बुलाई गई। 11 मई को जारी एडवाइजरी में इन राज्यों से कहा गया था कि वे गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों को बहने से तुरंत रोकें।
कुछ दिन पहले प्रयागराज के कई इलाक़ों में गंगा किनारे रेत में दफन किए शव बारिश के कारण बाहर आ गए थे। तब लोग इसे लेकर डर गए थे क्योंकि ज़्यादा बारिश होने से इन शवों के फिर से गंगा में बहने और पानी के और ज़्यादा प्रदूषित होने का ख़तरा था। कई दिनों तक शवों के गंगा में पड़े रहने के कारण पहले ही काफ़ी पानी गंदा हो चुका है।
नदियों में शवों के बहने की तसवीरें सामने आने के बाद राज्य सरकार ने शवों को निकालकर घाट के किनारे दफ़ना दिया था और सख़्त पहरा भी लगा दिया जिससे कोई भी शवों को गंगा या दूसरी नदियों में न फेंक सके।
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