पुलिस से उम्मीद की जाती है कि वह किसी भी शख़्स के साथ तहज़ीब से पेश आएगी, उसकी बात सुनेगी लेकिन कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें पुलिसकर्मी अपनी वर्दी के रौब में किसी को भी पीट डालने पर आमादा रहते हैं।
उत्तर प्रदेश की कन्नौज पुलिस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो को देखने के बाद आम लोगों में ग़ुस्सा है क्योंकि वीडियो में एक सिपाही ने करतूत ही कुछ ऐसी की है। वीडियो में दिखाई देता है कि वर्दी के रौब में चूर एक पुलिसकर्मी एक दिव्यांग को पकड़कर अपने साथ थाने में लाता है और थप्पड़ मारकर ज़मीन पर गिरा देता है।
दिव्यांग पूछता है कि उसने क्या ग़लती की है। दिव्यांग की गर्भवती पत्नी भी उसके साथ है, दोनों थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों को अपने साथ हुई घटना बताते हैं। यह युवक ई-रिक्शा चलाता है और उसका नाम सुदीप यादव है। बताया जाता है कि ई-रिक्शा से सवारियों को उतारने को लेकर उसकी पुलिस कर्मी से कुछ बहस हुई और इसके बाद उसकी पिटाई कर दी गई।
युवक थाने में गुहार लगाता है, ‘मैं बच्चे को दवा दिलाने आया था। कुछ बात होने पर मुझे इतना मारा कि फोड़ दिया, सारे बटन तोड़ दिए। मेरा एक पांव नहीं है और दूसरे में रॉड पड़ी है।’ युवक कहता है कि उसकी भी इज्जत है क्योंकि वह मेहनत से कमाता है।
युवक कहता है, ‘मुझे जूता मार लेते। मैं इज्जत चाहता हूं। मुझे न्याय चाहिए। लेकिन इन्होंने पुलिस की धमकी दिखाकर मुझे पीटा। अगर मैं ग़लत साइड में हूं तो आप बताइए। इन्होंने मेरे कान में इतनी जोर से मारा कि मुझे कम सुनाई देने लगा है।’
युवक बार-बार पूछता है कि उसे क्यों पीटा गया। युवक कहता है कि उसका एक्सीडेंट हो गया था और इस वजह से उसे एक पांव खोना पड़ा। इस दौरान उसकी पत्नी भी वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को अपने पति के साथ हुई ज़्यादती की बात बताती है।
पुलिस ने लिया महकमे का पक्ष
वीडियो वायरल होने के बाद कन्नौज पुलिस के एसपी को सामने आना पड़ा। एसपी ने कहा, ‘ई-रिक्शा चालक सुदीप बीच चौराहे पर सवारियां बैठा रहा था। रोकने पर उसने आरक्षी करन पाल को गाली दे दी। इस पर आरक्षी भड़क गया और उसने ई-रिक्शा चालक को धक्का दे दिया। दिव्यांग व्यक्ति का आचरण चाहे जैसा भी रहा हो और आरक्षी को संयम नहीं खोना चाहिए था।’ एसपी ने कहा कि इस बारे में जांच बैठा दी गई है और आरोपी को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
लेकिन सवाल यहां खड़ा होता है कि क्या एक दिव्यांग के साथ इस तरह का व्यवहार माफ़ी लायक हो सकता है। क़ानून व्यवस्था बनाना पुलिस का काम है लेकिन किसी दिव्यांग से ऐसी बर्बरता कि आप वर्दी की ताक़त के नशे में उसकी इज्जत पर हाथ डाल दो, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
उत्तर प्रदेश में चारों ओर अपराध चरम पर है, अगर पुलिस इतनी सख़्ती अपराधियों पर दिखाती तो शायद उनकी फिर से ज़रायम की दुनिया में जाने की हिम्मत नहीं होती। लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले आम लोगों पर लाठियां बरसा देना, रोज़गार मांगने वाले बेरोज़गारों पर बल का प्रयोग करना और मजलूमों-कमजोरों को निशाने पर लेने के आरोप उत्तर प्रदेश पुलिस पर ख़ूब लगते हैं और इससे पुलिसिया कामकाज पर ढेरों सवाल भी खड़े होते हैं।
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