पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। जितिन प्रसाद को लेकर लंबे वक्त से ऐसी अटकलें थीं कि वे कांग्रेस को छोड़ सकते हैं और बुधवार को यह बात सच साबित हो गई। बीजेपी के बड़े नेताओं ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जितिन प्रसाद दूसरे बड़े युवा नेता हैं, जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में पार्टी को अलविदा कहा है।
उत्तर प्रदेश में पहले ही नेताओं की कमी से जूझ रही कांग्रेस को जितिन प्रसाद के जाने से बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि राज्य में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं।
जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में सोनिया गांधी को चुनौती दी थी, हालांकि उन्हें हार मिली थी।
जितिन प्रसाद शाहजहांपुर और धौरहरा से सांसद रहे हैं और एक वक़्त में राहुल गांधी की युवा टीम में शुमार थे। जितिन मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। जितिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के युवा और ब्राह्मण चेहरे माने जाते थे। जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण चेतना परिषद का गठन किया था और वह ब्राह्मणों को इससे जोड़ने के काम में लगे हुए थे।
कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा जब पार्टी आलाकमान को पत्र लिखा गया था तो इसमें वरिष्ठ नेता गु़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर और आनंद शर्मा के अलावा जितिन प्रसाद के भी हस्ताक्षर थे।
इसके बाद लखीमपुर-खीरी जिला व शहर कांग्रेस कमेटी ने जितिन प्रसाद के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी और जमकर नारेबाज़ी भी की थी। इस पर कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई थी लेकिन उत्तर प्रदेश से कोई नेता जितिन प्रसाद के समर्थन में नहीं बोला था।
कांग्रेस को झटका!
उत्तर प्रदेश में 11-12 फ़ीसदी आबादी वाले ब्राह्मण समुदाय की सियासी अहमियत सभी दल समझते हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश के कई जिलों में ब्राह्मण समुदाय के नेताओं को पार्टी की कमान सौंपी है। ब्राह्मण समुदाय एक वक़्त में कांग्रेस के साथ खड़ा रहा था और प्रियंका गांधी ने फिर से इस समुदाय को पार्टी से जोड़ने की कोशिश की है। ऐसे में जितिन प्रसाद का कांग्रेस से जाना पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
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