loader

टिकैत के भावुक होने से पश्चिमी यूपी में और मजबूत हो गया किसान आंदोलन

दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन में अब तक सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर जबरदस्त जनसैलाब दिखता था जबकि ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या इसके मुक़ाबले में कम थी। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई वाले इलाक़े के किसान बैठे हैं। लेकिन 28 जनवरी की रात को माहौल एकदम बदल गया। 

किसानों को हटाने के लिए जैसे ही उत्तर प्रदेश सरकार ने फ़ोर्स लगाई तो किसान नेता राकेश टिकैत उबल पड़े। टिकैत ने कहा कि किसानों को मारने की साज़िश हो रही है और इस दौरान उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। टिकैत के भावुक होने का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इतना जबरदस्त असर हुआ कि 24 घंटे से कम वक़्त में ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर मेला लग गया और किसानों के तेवरों को देखते हुए माना जा रहा है कि यहां भी सिंघु और टिकरी बॉर्डर की बराबर संख्या में लोग इकट्ठे हो सकते हैं। 

ये सोशल मीडिया का युग है। यहां चंद मिनटों में ही माहौल इतनी तेज़ी से बदलता है कि देखकर हैरानी होती है। राकेश टिकैत के आंसुओं के बाद पश्चिमी यूपी के तमाम इलाक़ों में यह साफ दिखाई दिया।

जैसे ही राकेश टिकैत का भावुक होने वाला वीडियो वायरल हुआ, ग़ाज़ियाबाद के गांवों से लेकर बाग़पत, बड़ौत, मुज़फ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, बिजनौर तक में किसान टिकैत के समर्थन में जुटने लगे। 

रात में ही कई गांवों में पंचायत हुई और इनमें योगी सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी हुई। तय किया गया कि हर गांव से ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर के लिए निकल पड़ो।

ताज़ा ख़बरें

भड़क गए लोग 

सोशल मीडिया पर आए कई वीडियो में दिखा कि किसान बुरी तरह भड़के हुए थे। वे कह रहे थे कि अब हम ग़ाज़ीपुर बॉर्डर को हज़ारों लोगों से भर देंगे। उनका कहना था कि ये बाबा टिकैत यानी महेंद्र सिंह टिकैत का अपमान है। 29 जनवरी की दोपहर तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर जुट चुके थे और ये सिलसिला जारी था। 

नेताओं को भी आना पड़ा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही अपना राजनीतिक आधार रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल को भी किसानों के टिकैत के समर्थन में उतरने के कारण मैदान में आना पड़ा। 29 जनवरी की सुबह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद जयंत चौधरी टिकैत से मिलने आ गए। उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह ने भी टिकैत को समर्थन दे दिया। 

ghazipur border kisan andolan and Rakesh tikait  - Satya Hindi

दिल्ली से बाहर पैर पसारने के लिए सियासी उछल-कूद मचा रही आम आदमी पार्टी के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पहुंचे और दिल्ली सरकार की ओर से मुहैया कराई गई सेवाओं का जायजा लिया। 

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने टिकैत से बात की। इससे पता चलता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जैसे ही किसान इकट्ठा हुए, नेताओं को भी उनकी हिमायत करने के लिए आना पड़ा। 

महेंद्र सिंह टिकैत का आंदोलन

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टिकैत को किसानों का समर्थन कैसे मिला, इस बारे में बात बिना महेंद्र सिंह टिकैत का जिक्र किये पूरी नहीं होगी। राकेश टिकैत पश्चिमी यूपी के धाकड़ किसान नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं। उनके बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। महेंद्र सिंह टिकैत ने 1988 में दिल्ली के बोट क्लब में किसानों का जो जमावड़ा लगाया था, उससे निपटना राजनीति में एकदम नए-नए आए और मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म बने राजीव गांधी के लिए बेहद मुश्किल हो गया था। महेंद्र सिंह टिकैत को बाबा टिकैत कहा जाता था और उनका किसान बिरादरी में बहुत सम्मान था। 

महेंद्र सिंह टिकैत के साथ रहकर राकेश और नरेश टिकैत ने किसानी आंदोलन के गुर सीखे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ये दोनों भाई किसानों की सियासत करते रहे। महेंद्र सिंह टिकैत के साथ जुड़ाव होने की वजह से स्वाभाविक रूप से किसानों का जुड़ाव इन दोनों भाइयों के साथ भी बना रहा। 

उत्तर प्रदेश से और ख़बरें

बैकफ़ुट पर योगी सरकार

कुल मिलाकर, राकेश टिकैत के भावुक होने वाले वीडियो ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर जबरदस्त हलचल बढ़ा दी है। एक दिन पहले तक आंदोलनकारियों को यहां से हटाने की योजना बना रही योगी सरकार को समझ आ गया है कि ऐसा करना मुसीबत को दावत देना है। इसीलिए, उसने अपना इरादा बदल दिया है। 

किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो- 
राकेश टिकैत ने कहा है कि अगर ये कृषि क़ानून वापस नहीं हुए तो वे आत्महत्या कर लेंगे और यहीं पर डटे रहेंगे। टिकैत के पक्ष में किसानों के उमड़ने के बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पंजाब-हरियाणा के किसानों की अधिकता वाले सिंघु और टिकरी बॉर्डर के बाद ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी आने वाले दिनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिलेगी और इससे निश्चित रूप से यहां की सियासत में भी हलचल पैदा होगी। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें