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कमलेश मर्डर: पुलिस की लीपापोती? क्यों नहीं बताती कि कमलेश को कैसे जानते थे हत्यारे?

कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह तो कह दिया कि तिवारी के भड़काऊ भाषण के कारण हत्यारों ने इस वारदात को अंजाम दिया है। लेकिन वह अब तक हत्यारों की तिवारी से जान-पहचान को लेकर कोई ठोस ख़ुलासा नहीं कर पाई है। क्योंकि तिवारी के बेटे और तिवारी की पार्टी के एक कार्यकर्ता ने बताया था कि मिलने आये लोग तिवारी के बहुत ही अच्छे परिचित थे और उन्होंने उनका अच्छा स्वागत किया था।

तिवारी की हिंदू समाज पार्टी के कुशीनगर जिले के प्रभारी स्वराष्ट्र दीप सिंह ने कहा था कि शुक्रवार लगभग 11 बजे तिवारी के पास एक फ़ोन आने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी से पहली मंजिल पर बने कमरे को साफ़ करने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि कुछ लोग आने वाले हैं, उनके लिए चाय बनाओ। स्वराष्ट्र दीप सिंह उस समय कमरे में ही मौजूद थे। 

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स्वराष्ट्र दीप सिंह ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया था, ‘एक घंटे के बाद, दो लोग पहली मंजिल पर आये, जहां तिवारी उनका इंतजार कर रहे थे। आधा-एक घंटे के बाद उन दो में से एक आदमी ने मुझे पैसे दिये और सिगरेट लाने के लिए कहा। जब मैं सिगरेट लेकर पहुंचा तो देखा कि तिवारी फर्श पर गिरे हुए थे और उनके गले में घाव था और खून बह रहा था और वे लोग वहां नहीं थे।’ 

कमलेश तिवारी के बेटे ऋषि तिवारी ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा था, ‘शुक्रवार को 11.30 से 12 बजे के बीच दो लोग मिलने आये थे। इनके साथ कोई महिला नहीं थी। पापा ने मुझसे कहा कि इनके लिए दही-बड़े ले आओ। मैंने उन्हें पानी भी पिलाया।’ 

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इसका मतलब स्पष्ट है कि हत्यारे तिवारी को बहुत अच्छी तरह जानते थे, इसीलिए तिवारी उनके साथ बहुत देर तक बैठे रहे। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह अच्छी जान-पहचान सिर्फ़ एक-दो दिनों में ही हो गई होगी। तिवारी की उनसे या तो फ़ोन पर बात होती रही होगी या पहले भी कभी वे तिवारी से मिले होंगे। लेकिन पुलिस ने यह तो बताकर केस सुलझाने का दावा कर दिया कि तिवारी की हत्या की साज़िश गुजरात के सूरत में रची गई और तीन लोगों को उसने हिरासत में भी ले लिया। लेकिन अहम सवाल यह है कि पुलिस इन लोगों और तिवारी के बीच बातचीत या जान-पहचान को लेकर कोई ख़ुलासा क्यों नहीं कर रही है। 

इस हत्याकांड में यह साफ़ है कि कमलेश हत्यारों से अच्छी तरह परिचित थे। इसलिये उन्होंने उनकी आवभगत का पूरा इंतज़ाम ख़ुद किया था। ऐसे में हत्या के रहस्य से पर्दा उठाने के लिये पुलिस को निम्न सवालों के जवाब देने चाहिये। 

1- हत्यारे कमलेश तिवारी को कैसे जानते थे? 

2- क्या वे तिवारी से पूर्व परिचित थे, अगर पूर्व परिचित थे तो कितने दिनों से?

3- अगर पूर्व परिचित नहीं थे तो उनकी मुलाक़ात किसके माध्यम से हुई या किसने उन्हें तिवारी से मिलवाया?

4- अगर हत्यारे ख़ुद मिलने आये थे (बिना किसी और के ज़रिये) तो फिर मुलाक़ात का मक़सद क्या था? 

5 - तिवारी से मुलाक़ात के लिये कैसे संपर्क किया गया? 

6- क्या पुलिस ने कमलेश की कॉल डिटेल निकाली है? 

7- क्या कॉल डिटेल में सूरत या गुजरात में किसी और जगह से कमलेश को फ़ोन किया गया था या नहीं? 

8- आधे घंटे की मुलाक़ात में किस बारे में बातचीत हुई? 

9 - हत्यारों ने भगवा वस्त्र क्यों पहन रखे थे? 

10 - क़त्ल में रिवॉल्वर का इस्तेमाल हुआ तो घर में मौजूद कमलेश की पत्नी को गोली की आवाज़ क्यों नहीं सुनाई दी?

हत्यारों और तिवारी के बीच कैसी जान-पहचान थी, इसका ख़ुलासा होना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि इससे इस मामले में उठ रहे ढेरों अनुत्तरित सवालों के जवाब भी मिलेंगे और तिवारी के परिजन भी पुलिस की जाँच पर भरोसा कर सकेंगे।

पुलिस की जांच को लेकर सवाल उठ रहे हैं और यह कहा जा रहा है कि हिंदूवादी संगठनों के बढ़ते दबाव के चलते पुलिस पर इस मामले को जल्द सुलझाने का दबाव था और उसने आनन-फ़ानन में सूरत से पकड़े गए तीन लोगों को हिरासत में लिया और मीडिया को बताया कि ये लोग कमलेश तिवारी की हत्या में शामिल रहे हैं। 

पुलिस की बताई गई थ्योरी पर ख़ुद परिजन यकीन नहीं कर पा रहे हैं और तिवारी के एक बेटे ने कहा है कि उन्हें पुलिस की जाँच पर भरोसा नहीं है। उन्होंने अपने पिता की हत्या की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) से कराने की माँग की है। परिवार के एनआईए जाँच की माँग करने से यह शक पैदा होता है कि कहीं केस को जल्द सुलझाने के दबाव में पुलिस इस मामले में लीपापोती तो नहीं कर रही है और क्या पीड़ित परिवार को ऐसा लगता है कि पुलिस आनन-फानन में असली कातिलों तक नहीं पहुंचना चाहती है। पुलिस ने केस का खुलासा तो किया लेकिन इस बात पर चुप्पी साध ली है कि हत्यारे कमलेश के परिचित थे या नहीं। पुलिस इस बात का जवाब क्यों नहीं देती?

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क़मर वहीद नक़वी

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