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वीडियो ग्रैब।

यूपी: तब्लीग़ी सदस्यों से डॉक्टर की नफ़रत, कहा- जेल... जंगल या कालकोठरी में भेजो

उत्तर प्रदेश के कानपुर के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक की प्रिंसिपल और डॉक्टर स्टिंग में कैमरे पर तब्लीग़ी जमात के सदस्यों के ख़िलाफ़ नफ़रत वाले बयान देती दिख रही हैं। वह तब्लीग़ी जमात के सदस्यों को आतंकवादी बुला रही हैं और कह रही हैं कि उन्हें हॉस्पिटल के बजाए जेल भेज देना चाहिए या फिर 'जंगल या कालकोठरी में'। कथित तौर पर एक स्थानीय पत्रकार द्वारा किए गए इस स्टिंग का वीडियो अब वायरल हो रहा है। क़रीब दो महीने पहले का यह वीडियो बताया जा रहा है। यह तब का वीडियो है जब तब्लीग़ी जमात का दिल्ली के निज़ामुद्दीन में कार्यक्रम हुआ था और इस कार्यक्रम से लौटकर जमात के सदस्य अपने-अपने घर गए थे। उसी कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों में बड़ी संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।

जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें दिखने वाली डॉक्टर का नाम आरती लालचंदानी है। वह कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल हैं। उन्होंने इस वीडियो के साथ छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाया है। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल महीने में इसी अस्पताल प्रशासन ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में कार्यक्रम में शामिल होने वाले तब्लीग़ी जमात के सदस्य ग़लत व्यवहार कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन ने आरोप लगाया था कि जमात के सदस्य अस्पताल में क्वॉरेंटीन थे और वे इधर-उधर थूक रहे थे व सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।

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यह वही समय था जब देश भर में तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ एक माहौल बना था। तब इस मामले में जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि मीडिया का कुछ हिस्सा तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक नफ़रत फैला रहा है। याचिका में दलील दी गई है कि तब्लीग़ी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल पूरे मुसलिम समुदाय पर दोष मढ़ने के लिए और मुसलिमों का 'दानवीकरण' करने के लिए किया जा रहा है।

दिल्ली के अल्पसंख्यक आयोग ने भी तब स्वास्थ्य विभाग से कहा था कि कोरोना वायरस पर हर रोज़ जारी किए जाने वाले बुलेटिन में तब्लीग़ी जमात कार्यक्रम का अलग से ज़िक्र नहीं किया जाए। इसने कहा था कि इस तरह के बिना सोच-विचार के उठाए क़दमों से गोदी मीडिया और हिंदुत्व ताक़तों को इसलामोफ़ोबिया एजेंडा चलाने का मौक़ा मिल रहा है।

डॉक्टर का जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें भी वह वैसी ही नफ़रत की बात कहती हुई सुनी जा सकती हैं। वीडियो में डॉक्टर लालचंदानी जमात के सदस्यों का ज़िक्र करते हुए कहती हैं, 'हम आतंकवादियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं, इसलिए उन लोगों के कारण कई डॉक्टर क्वॉरेंटीन में हैं। मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) इन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराकर तुष्टीकरण की नीति का पालन कर रहे हैं। उन्हें जेल में डाल देना चाहिए।' 

वीडियो में एक अन्य जगह वह कहती हैं, 'उन्हें जंगलों में भेजें, उन्हें कालकोठरी में फेंक दें। इन 30 करोड़ों के कारण 100 करोड़ लोग भुगत रहे हैं। उनकी वजह से वित्तीय आपातकाल है।'
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हालाँकि इस वीडियो के वायरल होने के बाद डॉ. लालचंदानी ने दावा किया कि क्लिप से छेड़छाड़ की गई है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, लालचंदानी ने कहा, 'कुछ लोगों ने इस तरीक़े से साज़िश की है। फिरौती करने की कोशिश है। कुछ लोगों ने यहाँ अशांति फैलाने की कोशिश की है। मैंने किसी समुदाय का नाम नहीं लिया है लेकिन मैं विशेष रूप से उस समुदाय का बड़ी प्रशंसक हूँ और मैं उनके लिए अपनी ज़िंदगी दे सकती हूँ।'

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क़मर वहीद नक़वी

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