कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को पत्र लिखने के बाद जो बवंडर पार्टी के अंदर खड़ा हुआ है, वह अभी थमता नहीं दिखता। पत्र लिखने वालो में वरिष्ठ नेता गु़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर और आनंद शर्मा के अलावा उत्तर प्रदेश से आने वाले जितिन प्रसाद के भी हस्ताक्षर हैं।
लेकिन अब इसे लेकर जितिन प्रसाद का उत्तर प्रदेश में अपने ही जिले में विरोध शुरू हो गया है और पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है। इससे कांग्रेस का घमासान सड़कों पर आ गया है। लेकिन कपिल सिब्बल जितिन प्रसाद के समर्थन में उतर आए हैं।
लखीमपुर-खीरी जिला कांग्रेस कमेटी ने कांग्रेस में लगी इस आग में घी डाल दिया है। जिला कांग्रेस कमेटी ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर कहा है कि जिन लोगों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, ऐसे लोगों की कांग्रेस में कोई आस्था नहीं है।
जिला कांग्रेस के अध्यक्ष प्रहलाद पटेल की ओर से जारी इस पत्र में कहा गया है, ‘पूरे उत्तर प्रदेश से केवल जितिन प्रसाद ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इनका पारिवारिक इतिहास गांधी परिवार के ख़िलाफ़ रहा है और इनके पिता स्व. जितेन्द्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़कर इसका सबूत दिया था। इसके बावजूद सोनिया गांधी ने इन्हें सांसद व मंत्री बनाया।’
आगे कहा गया है कि लखीमपुर-खीरी जिला व शहर कांग्रेस कमेटी प्रसाद के इस कृत्य की निंदा करती है और इनके ख़िलाफ़ कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही जिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें वे जितिन प्रसाद के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी कर रहे हैं।
सिब्बल ने जताई नाराजगी
ये ख़बर सामने आते ही वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने नाराजगी जताई। सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जितिन प्रसाद को निशाना बनाया जा रहा है। कांग्रेस को अपने लोगों को निशाना बनाने में ऊर्जा ख़र्च करने के बजाए बीजेपी पर सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने सिब्बल के ट्वीट पर लिखा- भविष्य ज्ञानी। मनीष तिवारी भी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने पत्र लिखा है।
उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग उठना निश्चित रूप से पहले से ही प्रदेश में लगभग ख़त्म हो चुकी कांग्रेस के लिए मुसीबतों को दावत देने जैसा है।
विकास दुबे कांड के बाद योगी सरकार के ख़िलाफ़ ब्राह्मण समुदाय की कथित नाराजगी के बाद इस समुदाय को कांग्रेस से जोड़ने की कोशिशों में जुटे जितिन प्रसाद को अब आगे का क़दम तय करना होगा। क्योंकि उनका यह पुरजोर विरोध उनके अपने ही क्षेत्र में हुआ है।
जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के युवा और ब्राह्मण चेहरे भी हैं। जितिन को राजनीति विरासत में मिली है, उनके पिता कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे। ख़ुद जितिन कम उम्र में केंद्र सरकार में मंत्री बन चुके हैं।
कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी
प्रदेश में 12 फ़ीसदी ब्राह्मण समुदाय पर फिर से अपनी पकड़ बनाने के लिए पार्टी की महासचिव प्रियंका गाधी वाड्रा खासी सक्रिय हैं। क्योंकि 1990 तक ब्राह्मण समुदाय मजबूती से कांग्रेस के साथ खड़ा रहा था। हाल ही में कांग्रेस ने कई जिलों में ब्राह्मण समुदाय के नेताओं को पार्टी की कमान सौंपी है। ऐसे में जितिन प्रसाद के ख़िलाफ़ नारेबाजी और उन पर कार्रवाई की मांग करना उत्तर प्रदेश ही नहीं, केंद्रीय स्तर पर भी पार्टी की मुसीबतें बढ़ा सकता है।
क्योंकि इससे यह संदेश जा रहा है कि कांग्रेस में उन नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है जिन्होंने यह पत्र लिखा। इससे पहले यह भी ख़बर आई थी कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं।
राहुल ने कहा था कि यह पत्र ऐसे वक्त में क्यों लिखा गया जब पार्टी ख़राब हालात का सामना कर रही थी और जब सोनिया गांधी बीमार थीं। राहुल ने पूछा कि ऐसा किसके लिए किया गया। इसके बाद सिब्बल और वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के तेवरों के बाद राहुल को मामले में स्थिति साफ करनी पड़ी थी।
‘प्रभावी’ और ‘सक्रिय’ नेतृत्व की मांग
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने अपने पत्र में लिखा था कि पार्टी को एक पूर्णकालिक, ‘प्रभावी’ और ‘सक्रिय’ नेतृत्व चाहिए। साथ ही इसमें पार्टी नेतृत्व को आत्ममंथन करने की सलाह भी दी गई थी। इसके बाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में जमकर बवाल हुआ था और अंत में तय हुआ था कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनीं रहेंगी। हालांकि सोनिया गांधी ने पद छोड़ने की इच्छा जताई थी और नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था।
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