loader

लखीमपुर खीरी मामले की जाँच कर रहे एसआईटी प्रमुख का तबादला क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को लखीमपुर खीरी मामले में एक चौंकाने वाला फ़ैसला लिया है। इसने मामले की जाँच कर रहे विशेष जांच दल यानी एसआईटी के प्रमुख डीआईजी उपेंद्र कुमार अग्रवाल का तबादला कर दिया है। उनको गोंडा रेंज के डीआईजी के रूप में कार्यभार संभालने का निर्देश दिया गया है। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को एसआईटी गिरफ्तार कर चुकी है। एसआईटी ने गिरफ़्तारी से पहले आशीष मिश्रा से पूछताछ की थी और कहा था कि वह सवालों के सही जवाब नहीं दे रहा था।

लखीमपुर खीरी में हिंसा का यह वह मामला है जिसमें 3 अक्टूबर को 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। आरोप है कि तीन गाड़ियों के एक काफिले ने प्रदर्शन करने वाले किसानों को रौंद दिया था। इसमें अजय मिश्रा की एक महिंद्रा थार भी शामिल थी। आरोप सीधे तौर पर मंत्री के बेटे आशीष पर लगा कि उसने कथित तौर पर गाड़ी चढ़ाई। 

ताज़ा ख़बरें

देश को झकझोर देने वाले इस मामले में काफ़ी विवाद हुआ। काफ़ी दबाव के बाद राज्य सरकार ने मामले की जाँच के लिए अग्रवाल के नेतृत्व में नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था।

2005 बैच के आईपीएस अधिकारी अग्रवाल अब तक लखनऊ में यूपी पुलिस महानिदेशक मुख्यालय से संबद्ध थे। लेकिन नई पोस्टिंग गोंडा रेंज में है। इसी कारण इस फ़ैसले ने सबको चौंकाया है क्योंकि लखीमपुर खीरी ज़िला गोंडा रेंज के अंतर्गत नहीं आता है, बल्कि लखनऊ रेंज के अंतर्गत आता है।

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि इस मामले में अतिरिक्त महानिदेशक (क़ानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा है कि अग्रवाल अपनी नई पोस्टिंग के बावजूद एसआईटी के प्रमुख बने रहेंगे। बता दें कि राज्य सरकार ने शुक्रवार को पांच अन्य आईपीएस अधिकारियों का भी तबादला कर दिया है।

इस मामले में लगातार आशीष मिश्रा के पिता अजय मिश्रा टेनी को मंत्री पद से हटाए जाने की मांग की जा रही है। किसानों से लेकर विपक्षी दलों के नेता तक आरोप लगा रहे हैं कि जब तक टेनी को पद से नहीं हटाया जाता है तब तक निष्पक्ष जाँच नहीं हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की काफ़ी किरकिरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की काफ़ी आलोचना की है। दो दिन पहले ही यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस बिना मन के काम कर रही है और कार्रवाई नहीं करना चाहती।  

सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने पाया था कि 44 में से सिर्फ़ 4 चश्मदीदों के ही बयान दर्ज किए गए हैं। बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से पूछा था कि आख़िर बाक़ी चश्मदीदों के बयान क्यों नहीं दर्ज किए गए?

उत्तर प्रदेश से और ख़बरें

जवाब में साल्वे ने कहा था कि शायद ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अदालतें दशहरे की छुट्टी के कारण बंद थीं। लेकिन अदालत ने इस ओर ध्यान दिलाया कि आपराधिक मामलों की सुनवाई वाली अदालतें छुट्टियों के दौरान भी बंद नहीं रहतीं। सुनवाई के ही दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि पुलिस इन दिनों क्राइम सीन रीक्रिएट कर रही थी। 

जबकि बेंच ने कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने चश्मदीदों के बयान दर्ज करना और क्राइम सीन को रीक्रिएट करना दो अलग-अलग बातें हैं। इसके बाद ही बेंच ने सख़्त टिप्पणी की। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि ऐसा न हो, इसके लिए ज़रूरी क़दम उठाए जाएं। सीजेआई रमना ने कहा कि आपको धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए क़दम उठाने होंगे। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को रिपोर्ट देर से जमा करने पर भी फटकार लगाई। जबकि पिछली बार अभियुक्तों की गिरफ़्तारी न होने पर फटकार लगी थी।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें