बीजेपी के संकल्प पत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए संभावनाएँ तलाश कर सौहार्द्रपूर्ण माहौल में मंदिर निर्माण करवाने के ज़िक्र पर राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष ने प्रतिक्रिया जाहिर की है। न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि बीजेपी के लिए यह आख़िरी मौक़ा है। अगर सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ नहीं किया तो पार्टी को सत्ता से सदा के लिए दूर होना पड़ेगा। महंत ने कहा कि बीजेपी की पिछली सरकारों ने भी अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण की बात संवैधानिक आधार पर करवाने की कही थी। इसीलिए देश की जनता ने बीजेपी को पूर्ण बहुमत देकर केंद्र से लेकर प्रदेश तक सरकार बनवाई। पर मंदिर निर्माण की दिशा में कुछ नहीं किया गया।
'अब यह आख़िरी मौक़ा'
महंत ने कहा कि अब यह आख़िरी मौक़ा है। मंदिर का निर्माण हो इसके लिए हिंदू समाज लगातार संघर्ष करता रहा है। लेकिन बीजेपी के शासनकाल में अब संघर्ष न करना पड़े। मोदी सरकार के बारे में महंत ने कहा कि हिंदू समाज को विश्वास है कि मोदी सरकार ही मंदिर का निर्माण करवाएगी।
उन्होंने कहा कि अगर उसकी इस बार सरकार बनी तो मंदिर निर्माण के लिए शुरू से ही जुटना पड़ेगा। मोदी सरकार को आख़िरी चेतावनी देते हुए महंत ने कहा कि अगर इस बार मंदिर का निर्माण नहीं हुआ तो बीजेपी को सदा के लिए सत्ता से दूर होना पड़ेगा।
आपसी सौहार्द्र से निकले समाधान
बाबरी मसजिद के पक्षकार इक़बाल अंसारी ने मोदी सरकार के घोषणापत्र में सौहार्द्रपूर्ण तरीक़े से मंदिर निर्माण का समर्थन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि समाधान में राम मंदिर और मसजिद दोनों की बात होनी चाहिए। सौहार्द्र तभी बनेगा जब दोनों पक्षों के लोग ख़ुश होंगे।
संकल्प पत्र में राम मंदिर का ज़िक्र छलावा: वेदांती
बीजेपी के पूर्व सांसद व राम जन्म भूमि न्यास के सदस्य डॉ. राम विलास वेदांती बीजेपी के संकल्प पत्र में संविधान के दायरे में राम मंदिर के निर्माण के ज़िक्र से बेहद खफा हैं। सोमवार को उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हिंदुओं के साथ विश्वासघात किया है। उसके एजेंडे में अब राम मंदिर उसी तरह से है जैसे कांग्रेस, सपा, बसपा, कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे में है। इसका ख़ामियाजा इस बार के चुनाव में बीजेपी को भुगतना पड़ेगा। फ़ायर ब्रांड संत इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंंने बीजेपी नेतृत्व को ख़ूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंंने कहा कि बीजेपी ने पहले भी राम मंदिर को लेकर पल्ला झाड़ा।
वेदांती ने कहा कि अब तो साफ़ है कि उसके एजेंडे में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला ही है, क़ानून बना कर राम मंदिर निर्माण नहींं। वह सोमनाथ मंदिर की तरह क़ानून बना मंदिर निर्माण नहीं करवाना चाहती। वेदांती ने कहा कि पाँच साल की सत्ता के दौरान मोदी सरकार ने राम मंदिर को लेकर संतों, देश के महामंडलेश्वरों, विहिप और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उस माँग को ठुकरा दिया जिसमें संसद में क़ानून बना कर राम मंदिर का निर्माण की मांग की गई थी।
वेदांती का आरोप है कि वोट के लिए राम मंदिर के मामले को गोल-मोल करके रखा गया है। अगर अब भी बीजेपी राम मंदिर निर्माण को लेकर साफ़ सोच रखती है तो उसे साफ़ तौर पर अपने चुनावी एजेंडे में यह बात रखनी चाहिए कि सरकार बनने पर वह संसद में क़ानून बना कर सोमनाथ मंदिर की तरह राम मंदिर का निर्माण करेगी। उन्होंने कहा कि वास्तव में बीजेपी के एजेंडे में अब राम मंदिर है ही नहीं।
बीजेपी का वादा पुराना
बता दें कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी करते हुए राम मंदिर के निर्माण का भी ज़िक्र किया है। इसके साथ ही इसने फिर साफ़ कर दिया है कि मंदिर निर्माण उसके एजेंडे में शामिल है। घोषणापत्र जारी करने के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सौहार्दपूर्ण माहौल में मंदिर का निर्माण हो।
बता दें, पार्टी हर चुनाव में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मुद्दे को उठाती रही है। 2014 में भी मंदिर निर्माण का वादा किया था, हालाँकि सरकार के स्तर पर कोई ख़ास कदम नहीं उठाया गया और मामले के सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने का हवाला दिया गया। फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के ज़रिये अयोध्या ज़मीन विवाद के निपटारे का आदेश दिया है।
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