मुंबई से चलकर 1500 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती ज़िले में अपने घर पहुँचे 35 वर्षीय सख़्स की कुछ घंटों में ही मौत हो गई। वह मुंबई में थे तो बस किसी तरह घर पहुँचना चाहते थे। रास्ते में चेक पोस्ट पर पुलिस से ख़ुद को बचते-बचाते, कभी पैदल तो कभी कुछ दूर ट्रक में छुपकर सोमवार तड़के मठकानवा गाँव तो पहुँच गए लेकिन उनको पकड़ लिया गया और क्वॉरंटीन सेंटर में डाल दिया गया। दोपहर होते-होते वहाँ कुछ ही घंटे में उनकी मौत हो गई। श्रावस्ती ज़िले के मठकानवा गाँव के इस शख़्स का नाम इंसाफ़ अली था। वह मुंबई में भवन निर्माण में हेल्पर का काम करते थे।
मौत किन कारणों से हुई इसका पता अभी नहीं चला है। मृतक कोरोना संक्रमित था या नहीं, इसके लिए जाँच सैंपल लिए गए हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार इंसाफ़ अली की पत्नी सलमा बेगम कहती हैं कि जब से वह मुंबई से चले थे तब से वह उनके संपर्क में थीं और इस कारण वह बस कयास लगा सकती हैं कि क्यों मौत हुई होगी। वह कहती हैं कि जब मोबाइल की बैटरी ख़त्म होने से पहले आख़िरी बार बात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि वह सिर्फ़ बिस्किट खाकर रह रहे हैं। वह कहती हैं कि जब वह लौटे तो वह उन्हें देख भी नहीं पाईं क्योंकि वह अपने माता-पिता के घर पर रह रही थीं।
ये उन हज़ारों लोगों में से थे जो शहरों में काम बंद होने के बाद जैसे-तैसे अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में हैं। लॉकडाउन शुरू होने पर तो बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने-अपने घरों के लिए निकले जा रहे थे, लेकिन अब सख़्ती के बाद ऐसा कम ही मामला सामने आ रहा है। लेकिन इसके साथ ही जब तब मौत के मामले भी सामने आ रहे हैं।
क़रीब दस दिन पहले 12 साल की किशोरी तेलंगाना से 150 किलोमीटर तक पैदल चली। छत्तीसगढ़ के बिजापुर में अपने घर से क़रीब एक घंटे दूर पहुँची ही थी कि उसकी मौत हो गई। वह थक कर चूर हो गई थी। वह डिहाइड्रेट थी यानी उसके शरीर में पानी ख़त्म हो गया था। उसके अंगों ने उसका साथ देना बंद कर दिया था।
काम बंद होने के कारण ग़रीब मज़दूरों को शहर में रहना ज़्यादा ही मुश्किल हो रहा है। ऐसे लोगों के पास सबसे बड़ा संकट खाने को लेकर है। मुंबई से चले इंसाफ़ अली के साथ भी यही दिक्कत थी।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, इंसाफ़ अली की पत्नी सलमा ने कहा कि इंसाफ़ अली 'रुपये ख़त्म होने को है' कहकर 13 अप्रैल को मुंबई से चले थे। उन्होंने कहा, 'उन्हें कई हफ़्तों से कुछ भी काम नहीं मिला था। उन्होंने कहा था कि गाँव में तो कम से कम जानने वाले लोगों के बीच में रहेंगे और स्थिति संभाल लेंगे। अली रास्ते में बीच-बीच में बात करते आ रहे थे। वह झाँसी तक 10 अन्य लोगों के साथ थे। वे पैदल ही चल रहे थे। एक जगह वे ट्रक में छुपकर आए। ट्रक वाले को 3000 रुपये दिए। वह मुंबई से चले थे तो उनके पास 5000 रुपये थे। झाँसी के बाद वह बहराइच तक पैदल आए थे जहाँ पुलिस ने सभी को पकड़ लिया और वापस लौट जाने को कहा। वह वहाँ से किसी तरह बच निकले। रात भर एक घाट पर छुपे रहे। फिर उनके मोबाइल की बैट्री ख़त्म हो गई थी। उनके साथ वाले दूसरे लोगों को फ़ोन किया तो उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते हैं कि वह कहाँ हैं। फिर सोमवार सुबह अली ने फ़ोन कर कहा कि वह मठकानवा गाँव में हैं।' सलमा के वहाँ पहुँचने से पहले ही इंसाफ़ अली की मौत हो गई थी।
'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने कहा कि गाँव के क्वॉरंटीन सेंटर में सुबह कुछ नास्ता करने के बाद इंसाफ़ अली की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि कोरोना जाँच के लिए सैंपल भेज दिए गए हैं और क्योंकि उनके परिवार वालों ने शव को छू लिया था तो उन्हें क्वॉरंटीन में रखा गया है। उन्होंने कहा कि जो कोरोना वायरस से निगेटिव आते हैं उन्हें ही पोस्टमार्टम किया जा रहा है। उन्होंने भी स्वीकार किया कि मौत का कारण अभी पता नहीं है।
सलमा कहती हैं कि ग्रामीण अब कोरोना वायरस से संक्रमित होने का संदेह कर उनका बहिष्कार कर रहे हैं। घर में अकेले पड़ी सलमा कहती हैं कि वह अपने बेटे के लिए चिंतित हैं जो बिस्किट माँगते रहता है। वह सुबकती हुई कहती हैं, 'उसका क्या होगा? मेरे पास बिल्कुल भी पैसे नहीं हैं।'
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