उत्तर प्रदेश में बेख़ौफ़ अपराधियों ने एक बार फिर खाकी पर हमला किया और एक सब इंस्पेक्टर की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना ने पिछले महीने कासगंज में शराब माफिया द्वारा सिपाही की हत्या और पिछले साल कानपुर के बिकरू गांव कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के साथियों द्वारा 8 पुलिस वालों की नृशंस हत्या के घावों को हरा कर दिया है।
यह ताज़ा घटना बुधवार शाम को आगरा जिले के खंदौली इलाक़े के नौहर्रा गांव में हुई। पुलिस को दो भाइयों के बीच विवाद होने की सूचना मिली थी। शिवनाथ और विश्वनाथ के बीच यह विवाद साझे की ज़मीन से आलू तोड़ने को लेकर हुआ था। शिवनाथ ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी।
इस पर एसआई प्रशांत यादव मौक़े पर पहुंचे थे। लेकिन विवाद सुलझाने के दौरान ही छोटे भाई विश्वनाथ ने देसी कट्टे से एसआई यादव की गर्दन में गोली मार दी। यादव की मौक़े पर ही मौत हो गई और विश्वनाथ फरार हो गया।
घटना की जानकारी मिलते ही कई थानों की पुलिस मौक़े पर पहुंची और आला अफ़सरों ने भी घटना की जानकारी ली। आगरा जोन के एडीजी, एसएसपी आगरा ने घटनास्थल का निरीक्षण कर अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए 5 टीमों का गठन किया है। विश्वनाथ की तलाश में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए परिवार को 50 लाख रुपये की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है।
कासगंज में घेर कर हमला
बीते फरवरी महीने में कासगंज जिले के सिढ़पुरा थाने के नगला धीमर गांव में गंगा किनारे अवैध शराब की भट्ठियां चलने की सूचना पर पुलिस दबिश मारने गयी थी। लेकिन इलाके के शराब माफियाओं ने एकजुट होकर पुलिस वालों को घेर कर हमला कर दिया था। पुलिस के मुताबिक़ शराब माफिया मोती धीमर एक मामले में वारंटी था जिसे पकड़ने टीम गयी थी।
मौके पर पहुंची पुलिस टीम को माफिया के गुर्गों ने बंधक बना लिया था और जमकर मारपीट की थी। दारोगा अशोक कुमार पाल व सिपाही देवेंद्र सिंह को पकड़ लिया था जबकि बाकी पुलिस वाले भाग खड़े हुए थे। अशोक लहुलुहान हालत में खेतों में मिले थे जबकि देवेंद्र की लाश मिली थी।
इसी तरह बीते साल जुलाई में कानपुर देहात के बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला हुआ था और 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था के ख़राब होने का दावा करते हुए इसे मुद्दा बनाया था। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद पर बैठने के बाद पुलिस ने अपराधियों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए और अपराधियों के प्रदेश से भाग जाने का दावा किया। लेकिन अगर ऐसा होता तो ना तो उत्तर प्रदेश में इतने अपराध हो रहे होते और न ही किसी की हिम्मत खाकी पर हमला करने की होती।
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