उन्नाव में नाबालिग के साथ बलात्कार के अभियुक्त और बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर बीजेपी यह नहीं बता पा रही है कि आख़िर विधायक को निलंबित कब किया गया। सेंगर को लेकर पार्टी की ओर से आ रहे बयान इस बात को साबित करते हैं कि सेंगर वाक़ई बहुत ताक़तवर व्यक्ति हैं और पार्टी उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करना चाहती। मतलब पार्टी उन्हें निकालना क़तई नहीं चाहती और निलंबन को लेकर उसके नेताओं के बयानों में भारी अंतर है।
उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुई सड़क दुर्घटना के बाद जब इस पर बवाल मचा कि सेंगर क्या अभी भी पार्टी में हैं, तो उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का बयान आया कि सेंगर पहले से ही पार्टी से निलंबित थे और वह आगे भी निलंबित रहेंगे। लेकिन सेंगर को कब निलंबित किया गया, इस बात का कोई जवाब पार्टी नेताओं के पास नहीं है और इस बारे में पार्टी की ओर से कोई घोषणा भी नहीं की गई या पत्र भी नहीं जारी किया गया। पार्टी नेताओं से सेंगर के निलंबन के बारे में कोई पत्र या प्रदेश इकाई की घोषणा के बारे में पूछो, तो उन्हें साँप सूंघ जाता है। लेकिन पार्टी का दावा है कि सेंगर को अप्रैल, 2018 में ही निलंबित कर दिया गया था।
अगर सेंगर पार्टी से निलंबित थे तो लोकसभा चुनाव 2019 के बाद सेंगर से मिलने उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज क्यों जेल गए थे। ख़बरों के मुताबिक़, साक्षी महाराज ने कहा था कि वह ‘विधायक जी’ का शुक्रिया अदा करने के लिए जेल गए थे।
नहीं की कोई कार्रवाई?
बीजेपी के पास सेंगर के निलंबन के बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है। स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने उन्हें बताया है कि सेंगर को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। जबकि स्वतंत्र देव सिंह योगी सरकार में परिवहन मंत्री हैं, ऐसे में जब मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जैसे अहम पद पर बैठे नेता को सेंगर के निलंबन के बारे में कोई स्पष्ट बात पता नहीं है, तो इसका मतलब यही है कि बीजेपी ने सेंगर के ख़िलाफ़ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। वर्तमान में मोदी सरकार में मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय का कहना है कि उन्नाव रेप पीड़िता के साथ बलात्कार के मामले में सीबीआई जाँच का आदेश होने के बाद सेंगर को निलंबित कर दिया गया था। इससे पहले उन्हें नोटिस भी जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि सेंगर के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप थे और वह अभी भी निलंबित है और उन्होंने इस बारे में स्वतंत्र देव सिंह को बता दिया था।
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अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी ख़बर के मुताबिक़, महेंद्र नाथ पांडेय के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए, पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे सत्यदेव सिंह ने कहा, ‘बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने सीधे इस मामले को देखा था और अगर उन्हें लगता तो वह आगे की कार्रवाई के लिए इस मामले को हमारे पास भेज देते। वरना, वह ख़ुद ही फ़ैसला ले लेते। लेकिन सेंगर को लेकर कोई मामला मेरे सामने इससे पहले नहीं आया।’
उन्नाव बीजेपी के जिला अध्यक्ष श्रीकांत कटियार ने तो पूरी तरह प्रदेश नेतृत्व के दावों की पोल खोल दी है। उन्होंने अख़बार से कहा, ‘मुझे सेंगर के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए कभी भी पार्टी की ओर से नहीं कहा गया और न ही मुझे इस बारे में कोई जानकारी है। प्रदेश नेतृत्व ही इस मामले में कुछ कह सकता है क्योंकि सेंगर ने लखनऊ जाकर पार्टी की सदस्यता ली थी।’
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इसके उलट, बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, ‘पार्टी ने पिछले साल सेंगर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और सेंगर ने पार्टी नेतृत्व को जवाब भी दिया था। पार्टी की अनुशासन समिति उनके जवाब को देखा और सेंगर को निलंबित करने का फ़ैसला किया।’ त्रिपाठी ने कहा कि लेकिन बीजेपी ने तब इस कार्रवाई के बारे में कोई प्रेस रिलीज या बयान जारी नहीं किया था। अब सड़क दुर्घटना के बाद जब यह मामला फिर से आया और मीडिया ने सेंगर के बारे में पूछा तो पार्टी ने कहा है कि वह पहले से ही निलंबित हैं।
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बाहुबली विधायक हैं सेंगर
सेंगर को उन्नाव की राजनीति में बाहुबली माना जाता है। सेंगर चार बार पार्टी के विधायक रह चुके हैं और कई बार पार्टी बदल चुके हैं। 2002 में वह बीएसपी से टिकट पर विधायक बने और 2007 में एसपी से टिकट ले आए और जीत गए। 2012 में वह फिर से एसपी के टिकट पर जीते और और 2017 से पहले बीजेपी में शामिल हो गए और फिर जीत गए। सेंगर हर बार अलग-अलग विधानसभा सीटों से चुनाव जीत चुके हैं। शायद यही कारण है कि पार्टी उन्हें नाराज नहीं करना चाहती। उन्नाव जिले में तमाम सरकारी अमलों में सेंगर को राजनीतिक बाहुबली माना जाता है और बताया जाता है कि सपा शासन में सेंगर की तूती बोलती थी।सेंगर के रुबते के चलते स्थानीय पुलिस बलात्कार पीड़िता की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी और सेंगर के ही इशारे पर पीड़िता के पिता को जेल भेज दिया गया था। सीबीआई जाँच में भी यह पता चला है कि स्थानीय पुलिस थाने का अधिकारी सेंगर को लगातार पीड़िता के बारे में जानकारी देता रहता था। जब सीबीआई ने सेंगर को गिरफ़्तार किया था तब भी यह बात सामने आई थी कि जेल में बंद होने के बाद भी उन्हें सारी सुविधाएँ मिल रही थीं।
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