'ऑपरेशन दुराचारी'
बीते गुरुवार को 2 घोषणाएँ एक साथ हुईं। एक का आगाज़ मुख्य मंच से ढोल-ताशे बजा कर किया गया और दूसरी को बिना मंच के हलके से सरका दिया गया। मुख्य घोषणा में राज्य सरकार के मुख्य प्रवक्ता और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने मुख्यमंत्री के हवाले से 'ऑपरेशन दुराचारी' के लागू किये जाने की घोषणा की है।यह 'ऑपरेशन' उन अपराधियों के ख़िलाफ़ चलेगा जो महीनों के साथ दुराचार में लिप्त पाए जाएंगे। ऐसे अपराधियों के फोटो वाले पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगवाए जायेंगे। साथ ही उन्हें महिला पुलिसकर्मियों के हाथों दण्डित (!) करवाया जायेगा। '
धर्मान्तरण के ख़िलाफ़
उधर 'राज्य विधि आयोग' की सचिव सपना त्रिपाठी ने गत वर्ष सौंपी गई आयोग की एक रिपोर्ट की सिफारिशों का उल्लेख करते हुए बताया कि राज्य में ज़बरन धर्मांतरण रोकने के लिए क़ानून में बदलाव की सख़्त ज़रुरत है। 'रिपोर्ट' के साथ इस सम्बन्ध में एक नए अधिनियम का मसौदा भी संलग्न किया गया है। 'आयोग' की 268 पेज की रिपोर्ट का हवाला देते हुए त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश में हाल के सालों में धर्मांतरण की घटनाएं जिस तेजी से बढ़ी है, उस पर आयोग ने गहरी चिंता प्रकट की है। रिपोर्ट के एनेक्सचर में कई राज्यों सहित नेपाल, श्रीलंका, भूटान और पाकिस्तान के धर्मान्तरण विरोधी क़ानूनों को भी संग्लग्न किया गया है।अदालत से परहेज
क़ानून के विशेषज्ञों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की नज़रों में क़ानून और अदालत से परहेज़ है। यही वजह है कि वह न्यायलय में अपराधी को पेश करने और उसे विधिवत सजा दिए जाने की विधिवत क़ानूनी प्रक्रिया के विपरीत तथाकथित 'पुलिस एनकाउंटर' में ज़्यादा यक़ीन रखते हैं।सरकार की नई उद्घोषणा में 'अपराधियों' को 'महिला पुलिसकर्मियों के हाथों सख़्त रूप से दण्डित' किये जाने की बात भी क़ानून विशेषज्ञों के गले नहीं उतर रही है। वे पूछते हैं 'क्या महिला पुलिसकर्मियों को थानों से निकल कर अदालत की कुर्सी पर बैठा दिया जाएगा?'
योगी का संकल्प
विधानसभा चुनावों में बीजेपी का प्रमुख नारा अखिलेश यादव सरकार की लचर क़ानून और व्यवस्था से मुक्ति दिलवाना था। मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने के साथ ही आदित्यनाथ योगी ने तीन संकल्प दोहराये थे। पहला पश्चिमी उप्र से अपराधियों से छुटकारा दिलाना, दूसरा 'निर्मम आतताइयों' का एनकाउंटर में सफ़ाया' और तीसरा महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से निबटने के लिए 'एंटी रोमियो स्क्वाड' का गठन।चिंतित क्यों है सरकार?
कानपुर के विकास दुबे काण्ड में 8 पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या से हुई किरकिरी से पिंड छुड़ाने के लिये भी बदले में एनकाउंटरों का ही सहारा लिया गया, जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आलोचना की और जाँच कमिटी का गठन किया। इन दिनों योगीजी और उनकी सरकार पर जातिवादी होने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। इसके चलते पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में ब्राह्मणों के तेज़ी से बीजेपी विरुद्ध होते चले जाने को लेकर केंद्रीय नेतृत्व बुरी तरह से चिंतित है और समझ नहीं पा रहा है कि कैसे इतने बड़े सहयोगी जातिगत समुदाय को वापस अपने 'फोल्ड' में लाए।'एंटी रोमियो स्क्वाड'
2017 में ही योगी शासन ने 'एंटी रोमियो स्क्वाड' की स्थापना की। 'स्क्वाड' का घोषित उद्देश्य नौजवनों को 'नैतिक शिक्षा' देना था। पुलिस और क्षेत्रीय छुटभैया दबंगों की निजी सेना के बूते समाज में घूमते युवा जोड़ों को प्रताड़ित किया गया। शुरू में इस नैतिक फ़ौज का हिस्सा मीडियाकर्मी भी बने रहे, लेकिन धीरे-धीरे समाज में इसके प्रति एक उपेक्षा और नाराज़़गी उभरने लगी। अतः सबसे पहले मीडिया ने अपना पिंड छुड़ाया।ऐसे युवा जोड़ों को 'टारगेट' किया गया जिसमें लड़के मुसलिम और लड़की हिन्दू हो। आगे चलकर इसे 'लव जिहाद' के साथ नत्थी करने के प्रयास हुए। हिचकोले लेते-लाते 'एंटी रोमियो स्क्वाड' 2018 तक आते-आते ठंडा पड़ गया।
सीएए-विरोधी आन्दोलन
बेशक 'सीएए' विरोधी आंदोलन में शामिल बड़ी तादाद अल्पसंख्यकों की थी, लेकिन मोदी-योगी और उनके सिपहसलारों की लाख कोशिशों के बावजूद इसे हिन्दू विरोधी रंग में नहीं रंगा जा सका। 'संघ' परिवार और बीजेपी के लिए यही सबसे बड़ी चिंता का सबब बना हुआ है। वे यह भी जानते हैं कि फ़िलहाल कोरोना के चलते यह आन्दोलन शांत है, लिहाज़ा कोरोना का उपयोग आंदोलन से जुड़े लोगों के दमन के तौर पर किया जा रहा है ताकि भविष्य के लिए बाक़ी लोगों को आतंकित किया जा सके और वे फिर से हिम्मत न कर सकें।कोरोना से पीड़ित और चकनाचूर हो चुकी अर्थव्यवस्था, कृषि और श्रम आदि क़ानूनों के ख़िलाफ़ खड़े हो जाने वाली जनता के डर से सांप्रदायिक 'रंगरेज़ियत' का माहौल बनाने के लिए 'लव जिहाद', 'एंटी रोमियो स्क्वाड', 'जबरिया' धर्म परिवर्तन विरोधी क़ानून के जरिये हिन्दू कार्ड खेलने का सिलसिला शुरू किया जा रहा है।
योगी जी जानते हैं कि यदि इस तरह हिंदू-मुसलमान कार्ड अच्छे से चल गया तो बची-खुची ज़रूरत जनगणना के ख़ौफ़ से पूरी ही जाएगी। बीजेपी 'योगी प्रयोग' को गंभीरता से जाँच रही है। यदि यूपी 'सक्सेस स्टोरी' के रूप में उभरता है तो इसे देश के बाक़ी हिस्सों में लागू करने में उन्हें सुविधा होगी। आने वाले दिनों में समाज में दुराचार तो नहीं फैलाएगा 'ऑपरेशन दुराचारी', इसे देखना होगा।
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