loader

क़त्ल का सिलसिला जारी, लेकिन इस दौर में मरने वाले शहीद नहीं कहे जाएँगे

इस वक़्त जब भारत के लोग अभिनन्दन शब्द का नया सरकारी अर्थ समझने की कोशिश कर रहे हैं और पाकिस्तान के लोग इस पर विचार कर रहे हैं कि पकड़े गए हिन्दुस्तानी फ़ौज़ी को छोड़ने की ‘उदारता’ बड़ी है या कश्मीर पर क़ब्जे की एक नातमाम जंग, सीमा के इस पार और उस पार से कुछ घरों से विलाप उठ रहा है। लेकिन यह विलाप राष्ट्रीय शोक का विषय नहीं बन पाता क्योंकि वह युद्ध में गोलियाँ चलाते लोगों की ‘शहादत’ नहीं है। 

ताज़ा ख़बरें
हत्या की संस्कृति में यक़ीन रखने के चलते दोनों मुल्कों की संवेदना अब इतनी घिस चुकी है कि लड़ाकू जहाज़ों की कलाबाज़ी की सनसनी के बाद सरहद के इस पार और उस पार से हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी गोलीबारी में मारे गए लोगों के जनाजों को राष्ट्रीय या राष्ट्रवादी कंधे नहीं मिलेंगे।  
सीमा के आर-पार मौतों का मतलब राष्ट्र या सरकार के लिए क्या है, कब कौन सी मौत राष्ट्रीय मौत के तौर पर क़बूल की जाती है और उसे इज्जत बख़्शी जाती है? रघुवीर सहाय ने ‘पैदल आदमी’ शीर्षक कविता में इसे समझने का प्रयास काफ़ी पहले किया था -  

जब सीमा के इस पार पड़ी थीं लाशें 

तब सीमा के उस पार पड़ी थीं लाशें 

सिकुड़ी ठिठुरी अनजानी लाशें 

.........

हम क्या रुख लेंगे यह इस पर निर्भर था 

किसका मरने से पहले उनको डर था 

.......

पैदल को हम केवल तब इज़्जत देंगे 

जब देकर के बन्दूक उसे भेजेंगे 

या घायल से घायल अदले-बदलेंगे

इसलिए भारत के राष्ट्रीय जनसंचार माध्यमों में आपको उस गोलीबारी की आवाज़ नहीं सुनाई पड़ी जो पिछले दो दिनों से भारत और पकिस्तान की फ़ौज़ें कुश्ती के तौर पर कर रही हैं। इस ख़बर को प्रमुखता दी है अल जज़ीरा ने और कश्मीरी अख़बारों का ध्यान इस गोलीबारी में मारे गए लोगों पर गया है।

मारे जा रहे दोनों ओर के लोग 

अल जज़ीरा लिखता है कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय लड़ाकू पायलट अभिनंदन वर्तमान को भारत को वापस कर देने के बाद भी दोनों देशों के बीच गोलाबारी जारी है। भारत की सीमा के भीतर दो बच्चे और उनकी माँ की मौत हो गई। क्या हम यह जानना चाहेंगे कि वे हिंदू थे या मुसलमान? कुछ बच्चों के पिता गंभीर रूप से ज़ख़्मी हैं और अस्पताल में हैं। पकिस्तान की तरफ़ भी एक बच्चे और एक वयस्क के मारे जाने की बात सरकार ने बताई है। साथ ही दो फ़ौज़ी भी मारे गए हैं। मारे गए इन लोगों में से कोई भी किसी देश के लिए ख़बर नहीं है।

देश से और ख़बरें
ऐसा इसलिए है कि राष्ट्रवाद की लम्बे समय तक बना कर रखी गई उत्तेजना का शिकार राष्ट्र के शरीर का संवेदना तंत्र अब सिर्फ़ और अधिक उत्तेजना की माँग करता है। जिस मौत में कोई नाटक नहीं है, वह हमें हिला भी नहीं सकती। 
इस बीच कश्मीर में और मौतें भी हुई हैं और उन्हें दुर्घटना कहा जाएगा। लेकिन ध्यान देने पर मालूम होगा कि वे इस राष्ट्रवादी युद्धोन्माद का ही नतीजा हैं।

कश्मीर को मिलती है सज़ा

जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर ज़िले के चंदेह गाँव में शनिवार को एक बस गहरी खाई में जा गिरी जिसकी वजह से छह लोग मारे गए और बाक़ी घायल हो गए। ड्राइवर बस को एक छोटे और अंदरूनी रास्ते से ले जाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि राजपथ पिछले 5 दिनों से बंद था। क्यों बंद था? क्योंकि युद्ध की आशंका की सज़ा हमेशा कश्मीर को इसी तरह दी जाती है। आवागमन के सारे रास्ते बंद कर दिए जाते हैं, इन्टरनेट की गति धीमी कर दी जाती है और दूसरी पाबंदियाँ भी लगा दी जाती हैं।

संबंधित ख़बरें

जिंदगी जीने की ज़िद नहीं छोड़ते

युद्ध के बीच भी लोग रोज़मर्रा की तरह जीने की जिद नहीं छोड़ते, यह अफ़सोस हम कर सकते हैं और कह सकते हैं कि वे अपनी इस मूर्खता के शिकार हुए हैं। हम, जो युद्ध से हमेशा ही सुरक्षित दूरी पर रहेंगे! हमारी रोजाना की ज़िंदगी पर कभी भी इसका ऐसा असर होने की आशंका हमें नहीं है। हम युद्ध को चुइंगम की तरह अपनी ज़ुबान के नीचे चुभलाते रह सकते हैं।

आश्चर्य नहीं कि जो सरहद के जितना दूर होता है, वह उतना ही युद्धाकांक्षी और युद्धभोगी होता है। शायद ही किसी देश का कोई सैनिक युद्ध चाहता हो।
कश्मीर के लोगों की परेशानियों का नोटिस वह भारत लेता हो जो कश्मीर को अपना कहकर उसकी ओर लगी आँखों को निकाल लेने की धमकी देता है, इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। कश्मीर के लोग ‘लगभग भारतीय’ और इसलिए ‘लगभग इंसान’ हैं। उसी तरह पाकिस्तान के लिए भी उसके कश्मीर के लोग पाकिस्तान की कश्मीर इच्छा के बंधक भर हैं, पूरे पाकिस्तानी नहीं हैं। 
कश्मीर में हुई मौतों को इसीलिए मुख्य भारत में ख़बर की इज्ज़त नहीं बख़्शी जाती। अगर इन्हें जगह मिलेगी भी तो इसलिए कि हम बता सकें कि पाक कितना क्रूर है, बिना यह बताए कि हमारे गोलों ने भी सरहद पार जानें ली हैं।

समझना होगा कश्मीरियों का दर्द

युद्ध की अस्वाभाविकता को समझने के लिए हर ऐसी मौत को हत्या कहना होगा। यह समझना होगा कि एक बड़ी आबादी, सरहद के इस पार और उस पार अपनी ज़िंदगी को हमेशा दो बमबारियों के बीच की दूरी की तरह नापती है, जैसा महमूद दरवेश ने बहुत पहले और बहुत दूर रहते हुए लिखा था। संदर्भ क़तई अलग है लेकिन कश्मीरी जन दरवेश को पढ़कर शायद आप अपना शायर मानें तो ताज्जुब नहीं होगा - 

जब लड़ाकू जहाज़ गायब हो जाते हों, फ़ाख़्ताएँ उड़ती हैं 

उजली-उजली आसमान के गालों को पोछती हुई 

अपने आज़ाद पंखों से...ऊपर और ऊपर 

फ़ाख़्ताएँ उड़ती हैं उजली-उजली, मैं मनाता हूँ 

कि आसमान असली हो (दो बमों के बीच गुजरते हुए आदमी ने मुझसे कहा)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अपूर्वानंद

अपनी राय बतायें

वक़्त-बेवक़्त से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें