चक्रवाती तूफान 'यास' की राहत समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नहीं मौजूद रहने का मामला केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक बड़ी चिट्ठी लिख कर इस विवाद को नया आयाम दे दिया है और यह साफ है कि वह हर हाल में राज्य सरकार और ममता बनर्जी को नीचा दिखाना चाहती है।
केंद्र सरकार ने नौ बिंदुओं में चिट्ठी लिख कर झूठ बोलने, ग़लतबयानी करने और जानबूझ कर प्रधानमंत्री की बैठक के बॉयकॉट करने के आरोप लगाए हैं।
केंद्र-राज्य रिश्ते
बता दें कि चक्रवाती तूफान यास की समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री, राज्यपाल जगदीप धनकड़ और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी मौजूद थे, लेकिन मुख्यमंत्री या राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था।
राज्य सरकार ने उस बैठक में मुख्यमंत्री के नहीं रहने की जानकारी पहले ही दे दी थी। इसके बावजदू वह कलाईकुंडा स्थित वायु सेना बेस पर मौजूद थीं, उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की, रिपोर्ट सौंपी और उनकी अनुमति लेकर चली गईं।
केंद्र के आरोप
लेकिन मंगलवार को लिखी चिट्ठी में केंद्र सरकार ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को जाने की इजाज़त नहीं दी थी।
केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी के इस दावे को भी ग़लत बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री से मिलने से पहले 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा था।
केंद्र सरकार की चिट्ठी में कहा गया है, प्रधानमंत्री कलाईकुंडा 1.59 पर पहुँच गए, जबकि ममता बनर्जी 2.10 पर वहाँ पहुँची थीं।
केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि ममता बनर्जी कलाईकुंडा में हेलीकॉप्टर से उतर कर 500 मीटर चल कर उस भवन तक गई जहाँ बैठक होनी थी, प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया और 2.35 पर चली गईं। वह उस जगह सिर्फ 25 मिनट रहीं। इसलिए यह कहना गलत है कि वह मोदी के साथ 15 मिनट रहीं।
पत्र में यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री के जाने के पहले ही मुख्यमंत्री वहाँ से चली गईं जो प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।
इस पत्र में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय का मामला भी उठाया गया है। यह कहा गया है कि बंद्योपाध्याय का व्यवहार गलत था और उनके ख़िलाफ़ अनुशासन की कार्रवाई की गई है। मुख्यमंत्री को यह पता था, इसलिए वह उन्हें बचा रही हैं।
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