ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसी क्षण से केंद्र से उनका टकराव शुरू हो गया। गृह मंत्रालय ने उन्हें कड़ी चिट्ठी लिख कर चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा पर रिपोर्ट माँगी तो राज्यपाल ने शपथ ग्रहण समारोह में ही उन्हें हिंसा के लिए खरी खोटी सुनाई और सहकारी संघवाद पर चलने की नसीहत दे दी।
लेकिन उनकी इस नसीहत के कुछ घंटों के अंदर ही केंद्र सरकार ने एक दूसरी चिट्ठी पश्चिम बंगाल सरकार को भेज दी।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने हिंसा पर कड़ा रुख अपनाते हुए पूछा कि चुनाव नतीजे आने के बाद हुई हिंसा रोकने के उपायों पर पूछे गए सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया गया।
उन्होंने इस चिट्ठी में लिखा,
“
मैं आपको याद दिलाता हूँ कि मतदान के बाद 3 मई को हुई हिंसा के बारे में जानकारी माँगने के बावजूद कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस दूसरे पत्र का गैर-अनुपालन गंभीरता से लिया जाएगा।
अजय भल्ला, केंद्रीय गृह सचिव
केंद्र का कड़ा रुख
यह पश्चिम बंगाल सरकार को दो दिन में दूसरी चिट्ठी थी।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से पूछा कि हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय क्यों नहीं किए गए। गृह सचिव ने कहा कि ताजा रिपोर्टों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद शुरू हुई हिंसा नहीं थमी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हिंसा को रोकने के लिए तत्काल उपाय किए जाएं और रिपोर्ट तुरंत भेजी जाए।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर चिंता जताई है। आयोग ने पश्चिम बंगाल पुलिस के डिप्टी आईजी (अन्वेषण) को इन मामलों की जाँच करने के लिए एक अलग टीम बनाने के लिए कहा है।
पश्चिम बंगाल पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तसवीरें पुरानी घटनाओं की हैं और जानबूझ कर लोगों को भड़काने और हिेंसा फैलाने के लिए डाली गई हैं।
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