पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से अपील की है कि हर प्रवासी मज़दूर को 10 हज़ार रुपए दिए जाएं।
ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि महामारी की वजह से लोगों को अकल्पनीय कष्ट सहना पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह सभी प्रवासी मज़दूर को एकमुश्त 10 हज़ार रुपए दे। यह रकम एक बार मिलने वाली मदद के रूप में हो।
ममता बनर्जी ने यह भी सुझाव दिया है कि पीएम केअर्स फंड के एक हिस्से का इस्तेमाल इसके लिए किया जा सकता है।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने इस पर ममता पर ज़ोरदार पलटवार किया है। इससे यह साफ़ हो जाता है कि बीजेपी सरकार का इस पर क्या रुख होगा। ममता की अपील पर बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सवाल किया कि ख़ुद ममता सरकार इन कामगारों को राज्य के खजाने से आर्थिक सहायता मुहैया क्यों नहीं करा रही है?विजयवर्गीय बीजेपी के पश्चिम बंगाल प्रभारी भी हैं। उन्होंने तल्ख़ी से कहा,
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'पश्चिम बंगाल में बनर्जी बतौर मुख्यमंत्री खुद सत्ता में हैं। वह वहाँ प्रतिपक्ष में नहीं हैं। उनकी सरकार अपने खजाने से प्रवासी श्रमिकों को आर्थिक सहायता क्यों नहीं देती?'
कैलाश विजयवर्गीय, महासचिव, बीजेपी
उन्होंने ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बनर्जी देश की अकेली मुख्यमंत्री हैं, जो अपने ही प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों के प्रति ग़ैर ज़िम्मेदार हैं और उन्होंने इन कामगारों की कोई चिंता नहीं की है।
ममता पर गंभीर आरोप
बीजेपी ने ममता की इस अपील पर राजनीति शुरू कर दी है, यह बिल्कुल साफ़ है। पश्चिम बंगाल प्रभारी ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान मध्य प्रदेश में फंसे करीब 20,000 प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल लौटना चाहते थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बनर्जी को बाकायदा पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उनकी सरकार प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन से पश्चिम बंगाल भिजवाने की अनुमति दे। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी।'विजयवर्गीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के असहयोग के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने रेलवे के खजाने में खुद धन जमा कराया और प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य भिजवाने के लिये तीन विशेष ट्रेनें बुक करायीं।
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