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रिटायर्ड जज करेंगे पेगासस मामले की जाँच, ममता ने बनाई कमेटी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दो रिटायर्ड जजों की एक कमेटी गठित कर दी, जो पेगासस जासूसी मामले की जाँच करेगी। जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य इसके सदस्य बनाए गए हैं।
ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी भी इस जासूसी के निशाने पर थे, यह खबर सामने आने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने मामले की जाँच की माँग कर दी। केंद्र सरकार तो इस पर राज़ी नहीं हुई, लेकिन राज्य सरकार ने जाँच कमेटी का एलान कर दिया। 
पेगासस सॉफ़्टवेअर से जासूसी करने के मामले की यह पहली आधिकारिक जाँच कमेटी है, जिसका गठन किसी सरकार ने किया है।
इसके पहले तमाम विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से इस तरह की जाँच कराने की माँग की, पर केंद्र सरकार ने इसे खारिज कर दिया।
बता दें कि फ्रांसीसी मीडिया ग़ैर-सरकारी संगठन फोरबिडेन स्टोरीज़ ने स्पाइवेअर पेगासस बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस को हासिल किया तो पाया कि उसमें 10 देशों के 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों के फ़ोन नंबर हैं।
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इनमें से 300 भारतीय हैं। इस संगठन ने 16 मीडिया कंपनियों के साथ मिल कर इस पर अध्ययन किया। इसमें भारतीय मीडिया कंपनी 'द वायर' भी शामिल है। 
mamata banerjee constitutes panel to probe pegasus spyware  - Satya Hindi

केंद्र पर हमला

ममता बनर्जी ने जाँच कमेटी का एलान करते हुए कोलकाता में सोमवार को कहा, "हमें यह उम्मीद थी कि फ़ोन हैक करने के मामले की जाँच के लिए केंद्र सरकार आयोग गठित करेगी या अदालत की निगरानी में इसकी जाँच कराएगी, पर वह तो इस मामले पर चुप बैठी हुई है। हमने जाँच के लिए आयोग बनाने का निर्णय किया।" 

उन्होंने इसके आगे कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि उससे दूसरे लोग भी जागेंगे। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द यह काम शुरू हो। पश्चिम बंगाल के शायद और लोगों की जासूसी की गई है।" 

सुप्रीम कोर्ट में याचिका

बता दें कि इसके पहले सीपीएम के एक सांसद ने पेगासस स्पाइवेअर मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने को लेकर  सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

इससे पहले एक वकील ने भी अदालत में याचिका दायर कर ऐसी ही मांग की थी।

प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया सहित पत्रकारों के कई संगठन भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जाँच कराए जाने की मांग कर चुके हैं।

विपक्षी दल के नेता भी संयुक्त संसदीय कमेटी यानी जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जाँच की मांग लगातार कर रहे हैं। 

याचिका में कहा गया है कि सरकार ने न तो स्वीकार किया है और न ही इनकार किया है कि स्पाइवेअर उसकी एजेंसियों द्वारा खरीदा और इस्तेमाल किया गया था। 

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जस्टिस ज्योतिर्मय बनर्जी कलकत्ता हाई कोर्ट और जस्टिस मदन लोकुर सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जज हैं। 

संसद में टीएमसी का हंगामा

बता दें कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल ने इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक रुख अपना रखा है। राज्यभा व लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस ने पेगासस जासूसी का जम कर विरोध किया और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। 

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन को मानसून सत्र के बाकी समय के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया है। 

उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथ से पेगासस से जुड़े वक्तव्य का काग़ज़ छीन कर फाड़ दिया था। 

सेन विपक्ष के उन सदस्यों में से थे जो पेगासस पर बहस के दौरान सदन के 'वेल' में चले गए थे और नारेबाजी की थी। जब वैष्णव वक्तव्य देने खड़े हुए तो उन्होंने नारा लगाया था, 'जासूसी बंद करो, बंद करो, बंद करो।' 

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फ़ोन पर प्लास्टर!

ममता बनर्जी ने बीते बुधवार को सीधे मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि 'सर्विलांस स्टेट' यानी 'जासूसी राज्य' बनने से लोकतंत्र ख़तरे में है। 

ममता बनर्जी ने अपना फ़ोन दिखाते हुए कहा, 'मैं किसी से बात नहीं कर सकती। ये लोग जासूसी के लिए बहुत ज़्यादा पैसा ख़र्च कर रहे हैं। मैंने अपने फोन पर प्लास्टर चढ़ा दिया है। हमें केंद्र पर भी प्लास्टर चढ़ा देना चाहिए, वरना पूरा देश बर्बाद हो जाएगा। बीजेपी ने संघीय ढांचे को गिरा दिया है।'

पेगासस जासूसी मामले पर किस तरह फं गई है केंद्र सरकार, देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का यह वीडियो। 
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क़मर वहीद नक़वी

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