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शहीद दिवस: बंगाल के बाहर सियासी उड़ान भरने की कोशिश में ममता

पश्चिम बंगाल में पूरा जोर लगाने के बाद भी बीजेपी को शिकस्त देने में क़ामयाब रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब बंगाल के बाहर भी सियासी उड़ान भरना चाहती हैं। अपने इस इरादे को ममता ने शहीद दिवस के दिन खुलकर ज़ाहिर भी कर दिया है। 

टीएमसी आज शहीद दिवस मना रही है और इस मौक़े पर ममता बनर्जी के भाषण को बंगाल से बाहर पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर इंतजाम किए गए हैं। ममता ने हाल ही में कहा था कि बंगाल से बाहर भी बीजेपी से लड़ने के लिए रोडमैप बनाया जा रहा है। 

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बड़ी स्क्रीन लगाई गईं

ममता का भाषण दूसरे राज्यों के लोगों तक भी पहुंचे, इसके लिए कई राज्यों के प्रमुख शहरों में बड़ी स्क्रीन लगाई गई हैं। दिल्ली, पंजाब, त्रिपुरा, गुजरात, असम, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश में ये विशालकाय स्क्रीन लगाई गई हैं और इनके जरिये ममता के भाषण का सीधा प्रसारण इन राज्यों में किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में तो सरकार होने के चलते वहां तो ब्लॉक स्तर पर भी स्क्रीन लगाई गई हैं। 

शहीद दिवस पर ममता के भाषण की जानकारी देने वाले पोस्टर गुजरात से लेकर तमिलनाडु तक में वहां की स्थानीय भाषाओं में लगाए गए हैं। मतलब साफ है कि ममता की कोशिश राष्ट्रीय फलक पर छाने की है।

'बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ें लड़ाई'

ममता ने अपने भाषण में कहा कि वह सभी नागरिक संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, छात्रों से अपील करती हैं कि वह आगे आएं और बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ें। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर संघर्ष करने की ज़रूरत है और हमें एक दिन सफलता ज़रूर मिलेगी। 

पैगासस जासूसी मामले में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए ममता ने कहा कि उन्होंने अपने मोबाइल के कैमरे पर प्लास्टर लगा दिया है और केंद्र सरकार पर भी प्लास्टर लगाना पड़ेगा, वरना यह देश बर्बाद हो जाएगा। 

मित्रा ने किया स्वीकार

टीएमसी के बड़े नेता मदन मित्रा ने इस बात को स्वीकार किया है कि पार्टी अब राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में प्रवेश करने जा रही है। मित्रा ने कहा है कि 2024 में दिल्ली में ममता बनर्जी के नेतृत्व में सरकार बनेगी। 

TMC programme on Martyrs day - Satya Hindi
गुजरात में लगा पोस्टर।

टीएमसी को सियासी विस्तार देने की चाहत के चलते ही ममता ने बंगाल चुनाव के बाद अपने सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। ममता को उम्मीद होगी कि युवा होने के नेता अभिषेक को ज़्यादा लोकप्रियता मिलेगी। अभिषेक ने कहा था कि टीएमसी का विस्तार देश के हर राज्य में किया जाएगा। 

दूसरी ओर, बीजेपी ने दिल्ली और कोलकाता में धरना दिया है। इसमें पार्टी ने बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा में मारे गए अपने कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी है। 

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दिल्ली आएंगी ममता बनर्जी

ममता बनर्जी 25 जुलाई को दिल्ली के दौरे पर आ सकती हैं और यहां वह कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात करेंगी। ऐसे में यह तय माना जाना चाहिए कि ममता ने भी 2024 के आम चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है।

कहा जा रहा है कि ममता का यह दौरा चार दिन का हो सकता है। इस दौरान वह सोनिया के अलावा शरद पवार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल सहित कुछ और नेताओं के साथ मुलाक़ात कर सकती हैं। 

ममता ने बंगाल चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देने के बाद यह संदेश दिया है कि राज्यों में विपक्षी दलों के बड़े नेता एक मंच पर आकर अगर कोई मोर्चा या फ्रंट बना लें तो 2024 में बीजेपी के विजय रथ को रोका जा सकता है।

क्या अहमियत है 21 जुलाई की?

21 जुलाई टीएमसी के लिए बहुत अहमियत वाला दिन है। पार्टी इसे हर साल बड़े स्तर पर मनाती भी है लेकिन बीते दो सालों से कोरोना संक्रमण की वजह से इसे वर्चुअली ही मनाया जा रहा है। 21 जुलाई, 1993 को पश्चिम बंगाल युवक कांग्रेस के 13 कार्यकर्ता प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फ़ायरिंग में मारे गए थे और ममता ही इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं। 

तब ममता युवक कांग्रेस की फ़ायर ब्रांड नेता हुआ करती थीं लेकिन 1998 में उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर टीएमसी का गठन किया था। 

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क़मर वहीद नक़वी

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