loader

ममता पर फिर तुष्टीकरण का आरोप, बीजेपी के जाल में फँस रही हैं बंगाल की सीएम?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर एक बार फिर मुसलिम तुष्टीकरण का आरोप लग रहा है। पिछले कुछ दिनों से राज्य की राजनीति में हिन्दू-मुसलिम विभाजन बहुत तेजी से बढ़ा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर बार बार यह आरोप लगा है कि वह मुसलमानों का वोट पाने के लिए जो नीतियाँ अपना रही है, उससे जनता में सांप्रदायिक आधार पर बँटवारा हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर ममता बनर्जी को हमेशा ही घेरती रही है, लेकिन इस बार उसके साथ उसकी घनघोर विरोधी कांग्रेस और सीपीएम भी हैं, जो यह आरोप लगा रही हैं। 

पश्चिम बंगाल से और खबरें

सिर्फ़ मुसलमानों के लिए?

ताज़ा मामला पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से जारी एक सर्कुलर से जुड़ा है। कूच बिहार ज़िला मजिस्ट्रेट के अल्पसंख्यक विभाग ने इस सर्कुलर में स्कूल इंस्पेक्टर से कहा है कि वह ऐसे सरकारी स्कूलों और सरकार सहायता से चलने वाले स्कूलों की सूची भेजें जिनमें 70 प्रतिशत से ज़्यादा मुसलमान बच्चे पढ़ते हों। इन स्कूलों में दोपहर के खाने यानी मिड डे मील के लिए अलग से कमरा बनवाने का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
सबसे पहले पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और उसके साथ ही वह चिट्ठी लगाई।
उन्होंने कहा, ‘धर्म के आधार पर छात्रों के बीच भेदभाव क्यों किया जा रहा है? सरकार की और क्या बुरी मंशा हो सकती है? वह और क्या साजिश कर रही है?’

पश्चिम बंगाल सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री गयासुद्दीन मुल्ला ने इस फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह किसी एक धर्म का मामला नहीं है। खाने का कमरा अलग बनने से सभी छात्रों का फ़ायदा होगा क्योंकि वे सभी उसका इस्तेमाल कर सकेंगे।

सियासी चाल?

लेकिन बीजेपी ने इस मुद्दे का राजनीतिक दोहन करने का मन बना लिया है। दिलीप घोष ने ममता बनर्जी पर चोट करते हुए कहा कि राज्य सरकार सिर्फ़ मुसलमानों का भला चाहती है, उसे दूसरों की फिक्र नहीं। 

मुसलमानों का वोट पाने के लिए राज्य सरकार सिर्फ़ अल्पसंख्यकों के विकास और कल्याण की बात करती है। हिन्दू छात्रों ने कौन सा अपराध किया है कि उनके लिए खाने का कमरा नहीं बनाया जा रहा है?


दिलीप घोष, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल बीजेपी

यह पहला मौका नहीं है जब ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यकों की राजनीति करने और मुसलमान तुष्टीकरण के आरोप लगे हैं। उन पर इस तरह के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी की सरकार ने स्कूलों में पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन मनाने की छूट दी, लेकिन सरस्वती पूजा की अनुमति नहीं दी गई।
पश्चिम बंगाल बीजेपी ने यह आरोप भी लगाया था कि तृणमूल सरकार ने मुहर्रम और विजयदशमी एक दिन पड़ने पर दुर्गा विसर्जन की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति दी गई थी।

बीजेपी की जाल में ममता?

इसी तरह ममता बनर्जी कोलकाता स्थित टीपू सुल्तान मसजिद के तत्कालीन इमाम नूर-उर-रहमान बरक़ती की वजह से विवादों में आई थीं। राज्य सरकार ने बरकती को विशेष सुरक्षा मुहैया कराई थी, गाड़ी पर लाल बत्ती लगाने की छूट दी थी। बरकती ने मुसलमानों से अपील की थी कि वे तृणमूल कांग्रेस को वोट दें। इसी बरक़ती साहब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें कही थीं। उन्होंने पाकिस्तान के समर्थन में भी कुछ बातें कही थीं और विवाद में आए थे।  बाद में बरकती को उनके ही लोगों ने इमाम के पद से हटा दिया था। 
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में इन मुद्दों को खूब उछाला और ममता बनर्जी की छवि हिन्दू विरोध नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश की। इस चुनाव में बीजेपी को राज्य की 42 में से 18 सीटें मिली, जो एक रिकार्ड है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी की यह अप्रत्याशित जीत हिन्दुओं की प्रतिक्रिया दिखाती है। लोगों का कहना है कि मुसलिम तुष्टीकरण के आरोपों का ही नतीजा है कि बीजेपी को इतनी बड़ी कामयाबी मिली। 

पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि बीजेपी जान बूझ कर यह आरोप उछालती जा रही है और ममता बनर्जी उस जाल में जाने अनजाने फँसती जा रही हैं। इसे ताज़ा मिसाल से समझा जा सकता है। खाने का कमरा बनाने के लिए सिर्फ मुसलमान बहुसंख्यक स्कूलों को चुनने का कोई मतलब नहीं है। यह सही है कि इसका इस्तेमाल दूसरे भी कर सकते हैं, पर सर्कुलर से यह संकेत तो जाता ही है कि सरकार मुसलमान छात्रों के लिए खाने के कमरे बनवा रही है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

पश्चिम बंगाल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें