पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर कुछ मुसलिम कट्टरपंथियों के हमले और उसे अपवित्र करने की वारदात से पता चलता है कि धर्म और राजनीति के घालमेल के क्या ख़तरे हैं। सत्य हिन्दी के विशेष कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
नागरिकता क़ानून और एनआरसी की वजह से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नुक़सान पहुँचा है। भारत की पहचान क्या रही है? शांति के मार्ग पर चलने वाला देश है, उन्माद में विश्वास रखने वाला नहीं। विविधता वाला और धर्मनिरपेक्ष देश है। भारत का लोकतंत्र प्रेरणा स्रोत रहा है। लेकिन अब इस छवि को नुक़सान पहुँचा है। किसके कारण यह नुक़सान हुआ है? देखिए आशुतोष की बात।
क्या हिंसा उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही है? अंग्रेज़ी अख़बार 'टीओआई' के चार ऐसे वीडियो में दावा किया गया है कि पुलिस पत्थरबाज़ी करवा रही है, दुकान पर हमला करवा रही है! पुलिस के सामने पत्थर फेंकने वाले लोग कौन थे? पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे क्यों तोड़े? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
क्या 2019 में भारत हिंदू राष्ट्र बनने की दिशा में कुछ क़दम आगे बढ़ा है और क्या संवैधानिक संस्थाओं ने घुटने टेक दिए हैं। 2019 में राजनीति में क्या-क्या अहम घटनाक्रम हुए, इस पर सुनिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष, उर्मिलेश और विजय त्रिवेदी की बातचीत।
नागरिकता क़ानून के विरोध पर पुलिस की 'बर्बर कार्रवाई' पर प्रियंका गाँधी का सवाल उठाना क्या ग़लत है? क्या पुलिस बर्बरता के सवाल से प्रियंका मुख्यमंत्री को घेर रही हैं? क्या प्रियंका योगी आदित्यनाथ को चुनौती पेश कर पाएँगी? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और शीतल पी सिंह के साथ चर्चा।
मुसलमानों के ख़िलाफ़ अजीबोग़रीब बयान क्यों? बीजेपी के किसी नेता ने विरोध-प्रदर्शन में मारे गए मुसलमानों के बारे में उपद्रवी तो किसी ने देशद्रोही क्यों कहा? क्या प्रदर्शन करने वाले सभी उपद्रवी थे? देखिए आशुतोष की बात।
अमित शाह ने एक इंटरव्यू में एनपीआर और एनआरसी पर सफ़ाई दी और कहा कि दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है। तो पहले उनकी पार्टी क्यों संबंध बताती रही थी? क्या शाह झूठ नहीं बोल रहे हैं? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
झारखंड के चुनावी नतीजे क्या कहते हैं? यदि चुनावी प्रचार का नेतृत्व प्रधानमंत्री ने किया और पूरे चुनाव में हिंदुत्व एजेंडे पर चला गया तो फिर इस नतीजे के लिए ज़िम्मेदार कौन? देखिए आशुतोष की बात।
तो क्या नागरिकता क़ानून और एनआरसी मोदी-शाह के काम नहीं आया? क्या झारखंड की जनता ने बीजेपी की राष्ट्रवाद-हिंदुत्व की नीति को नकार दिया है? क्या आर्थिक मसले चुनावों में ज़्यादा हावी हो रहे हैं? क्या बीजेपी के नेताओं का अहंकार ले डूबा?
नागरिकता क़ानून को लेकर चल रहे जोरदार विरोध के अलावा अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी हालात ठीक नहीं हैं। लोगों में ग़ुस्सा है और नरेंद्र मोदी को इसे समझने की ज़रूरत है।
उत्तर प्रदेश में हिंसा थम नहीं रही है, शुक्रवार को भी छह लोग मारे गए हैं। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान से भड़क गए लोग? आख़िर सरकार स्थिति पर नियंत्रण पाने में सरकार क्यों नाकाम हो रही है। सत्य हिन्दी के ख़ास कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
नागरिकता क़ानून पर विरोध-प्रदर्शन ने जो देशव्यापी रूप ले लिया है उसका क्या संकेत है? क्या लोगों का ग़ुस्से को सरकार झेल पाएगी? विपक्ष सक्रिय होता दिख रहा है, इसका क्या असर होगा? देखिए आशुतोष की बात।
क्या मोदी सरकार भारत देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की तैयारी मैं है? इस सवाल से कुछ लोग चौंकेंगे, कुछ ख़ुश होंगे तो कुछ निराश। यह एक सवाल है जिसका इंतज़ार लंबे समय से संघ परिवार कर रहा था।
नागरिकता संशोधन क़ानून को लागू करने से विरोध विपक्षी दलों की राज्य सरकारें इनकार कर रही हैं। ऐसे में क्या मोदी सरकार उन राज्य सरकारों को भंग कर देगी? क्या वह इतना बड़ा क़दम उठाकर इस क़ानून को लागू करा पाएगी? देखिए आशुतोष की बात।
नागरिकता क़ानून पर विरोधियों का ग़ुस्सा तो समझ में आता है, लेकिन मोदी समर्थक ही क्यों सवाल उठाने लगे हैं? क्या लगातार प्रदर्शन से समर्थक भी हिल गए हैं? अब सरकार के सामने क्या है विकल्प? देखिए आशुतोष की बात।
कपड़ों से दंगाइयों की पहचान? ये कैसे संभव है? प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा क्यों कहा? जब-जब चुनाव आते हैं अक्सर प्रधानमंत्री मोदी 'हिंदू-मुसलमान' पर बयान क्यों देने लगते हैं? देखिए आशुतोष की बात।
नागरिकता क़ानून को लेकर जामिया में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। सुनिए, जामिया में हुई हिंसा को लेकर क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने।
सरकार एनआरसी लाकर लगातार घुसपैठियों को देश से भगाने का दावा करती रही तो अब नागरिकता देने की बात क्यों? सरकार ने एनआरसी से कितने घुसपैठियों को बाँग्लादेश भेजा? अब नागरिकता विधेयक क्यों? अब जब असम जल रहा है तो सरकार क्या कर रही है? क्या बंदूक़ की गोली इसका जवाब हो सकती है? देखिए आशुतोष की बात।
धर्म के आधार पर लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक क्या संविधान का उल्लंघन नहीं है? क्या संविधान में धर्म के आधार पर किसी क़ानून बनाने की इजाज़त है? ऐसे में संसद से मंज़ूरी मिलना क्या संविधान के साथ खिलवाड़ नहीं है? सत्य हिंदी पर देखिए इन सवालों के जवाब आशुतोष की बात में।
अलग-अलग विचारधाराओं वाली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार महाराष्ट्र में कब तक टिक पाएगी? फडणवीस ने कहा था कि तीन पहियों वाली सरकार है और तीनों अलग-अलग दिशा में जाती है। शिवसेना और एनसीपी-कांग्रेस दो धुर-विरोधी कब तक साथ निभा पाएँगे? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
महाराष्ट्र में मोदी-शाह की जोड़ी चित हुई। शरद पवार के आगे शाह क्यों फ़ेल हो गए? शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में कैसे पहुँच गई। क्या झारखंड में भी हालत ख़राब होगी? क्या यह पूरे देश में बीजेपी के लिए ख़तरे की घंटी है? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के 162 विधायकों की परेड कराकर शरद पवार ने क्या संदेश दिया है? महाराष्ट्र में क्या अब बीजेपी का खेल ख़त्म है? क्या प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने सबसे बड़ी भूल कर दी है? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
महाराष्ट्र में शनिवार को दिन भर चले सियासी नाटक में कौन जीता और कौन हारा? एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कैसे दी पटखनी और अजीत पवार कैसे हुए पैदल?
अब क़रीब-क़रीब तय है कि महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनेगी। सोनिया गाँधी से हरी झंडी मिलने की ख़बर है। लेकिन इससे पहले शरद पवार, शिवसेना और कांग्रेस को लेकर अलग-अलग अफ़वाहें क्यों फैलाई गईं? इसका क्या था मक़सद? सवाल यह भी है कि अब कौन बनेंगे मुख्यमंत्री? देखिए आशुतोष की बात।