पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
एग्ज़िट पोल्स से लगता है कि 'आप' बड़ी जीत दर्ज करेगी। तो प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी बीजेपी की इतनी ख़राब हालत क्यों हो गई? ऐसी स्थिति के लिए क्या रहे वो दस कारण? क्या बीजेपी का 'राष्ट्रवाद' और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं चला? देखिए आशुतोष की बात।
प्रधानमंत्री मोदी ने किस आधार पर कहा कि भारत के बँटवारे के लिए नेहरू ज़िम्मेदार थे? क्या यह नेहरू के क़द को कम करने का बीजेपी का लगातार प्रयास का नतीजा नहीं है? क्या यह उसका नतीजा नहीं है जिसमें पटेल के क़द को बड़ा किया जाए? बँटवारे से सहमत होने की शुरुआत किसने की और इस मामले में नेहरू और पटेल की क्या स्थिति थी? देखिए आशुतोष की बात वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ के साथ चर्चा।
दिल्ली का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल क्यों बन गया है? और यदि यह लड़ाई मोदी और केजरीवाल के बीच में है तो फिर नतीजे कैसे आएँगे? कहीं 2015 की स्थिति तो नहीं बनेगी? 2014 में मोदी लहर के बावजूद केजरीवाल 2015 के दिल्ली चुनाव में 70 में से 67 सीटें कैसे ले आए थे? देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।
क्या केजरीवाल दोबारा मुख्यमंत्री बन पाएँगे या फिर चुनाव हार जाएँगे? कांग्रेस का खाता भी खुल पाएगा या नहीं? इससे भी बड़ा सवाल है कि अमित शाह की बीजेपी का क्या होगा? अमित शाह ने दिल्ली जैसे राज्य में जिस तरह से पूरी ताक़त झोंक दी है और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है, उसका नतीजा क्या होगा? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री और दिलबर गोठी की चर्चा।
अरविंद केजरीवाल हनुमान भक्त क्यों बन गए? वह हनुमान चालीसा क्यों पढ़ रहे हैं या इस पर ज़ोर दे रहे हैं? क्या वह देश की साम्प्रदायिक राजनीति में कूद कर साम्प्रदायिक हो रहे हैं या फिर वह बीजेपी के हिंदुत्व की काट में अपने आप को हिंदू नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं? देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।
दिल्ली के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी कूद पड़े हैं। प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा, क्या उससे यह नहीं पता चलता कि शाहीन बाग़ के नाम पर पिछले 10 दिन से नफ़रत फैलाने का खेल चल रहा है? प्रधानमंत्री अपने इस बयान से बीजेपी को जिताएँगे या हराएँगे? यदि हराएँगे तो उनके निशाने पर कौन है? देखिए आशुतोष की बात।
जामिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर गोली किसने और क्यों चलाई? क्या यह नफ़रत की राजनीति का नतीजा नहीं है? केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दो दिन पहले ही चुनावी रैली में नारा लगवाया था "देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को"। एक के बाद एक दूसरे कई नेता भी ऐसी ही बयानबाज़ी करते रहे हैं। आख़िर क्यों ऐसी स्थिति आन पड़ी? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश और वीरेंद्र सेंगर के साथ चर्चा।
बीजेपी नेता केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के गंभीर आपत्तिजनक भाषणों पर चुनाव आयोग ने मामूली कार्रवाई क्यों की? उन्हें चुनाव अभियान से भी नहीं रोका, क्यों? देश संविधान के हिसाब से चलेगा या मनमानी तरीक़े से? संवैधानिक संस्थाएँ कमज़ोर क्यों हुईं? कौन हैं ज़िम्मेदार? देखिए आशुतोष की बात।
दिल्ली चुनाव में एक हफ़्ते का समय बाक़ी है। बीजेपी साम्प्रदायिक एजेंडे पर क्यों उतर आई है? शाहीन बाग़ को चुनावी मुद्दा क्यों बना रही है? बीजेपी नेता क्यों आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं? ऐसा क्यों हो रहा है? क्या केजरीवाल के विकास के चुनावी मुद्दे से बीजेपी का निपटना मुश्किल हो रहा है? देखिए आशुतोष की बात।
देश का केंद्रीय मंत्री क्या आम सभा में ऐसा नारा लगवा सकता है- देश के गद्दारों को... गोली मारो सालों को? क्या यह हत्या के लिए उकसाने वाला नारा नहीं है? केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह नारा बार-बार क्यों लगवाया? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
नागरिकता क़ानून, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार में क्या संबंध हैं? क्या मोदी और नीतीश कुमार एक ही राह पर हैं? अपनी ही पार्टी के नेता प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के विरोध के बावजूद नीतीश कुमार नागरिकता क़ानून के पक्ष में क्यों खड़े दिखते हैं? क्या यह बिहार विधानसभा चुनाव के लिए है? क्या नीतीश मोदी के जाल में फँस गए हैं? देखिए आशुतोष की बात।
जेपी नड्डा के अध्यक्ष बनते ही क्या अब बीजेपी में अमित शाह युग ख़त्म हो गया है? क्या यह संभव है कि पीछे के दरवाज़े से पार्टी में सबकुछ अमित शाह तय करेंगे? या फिर जेपी नड्डा को अध्यक्ष बनाकर आरएसएस पार्टी को अपने एजेंडे पर चलाएगा? क्या बदलेगा इस पर देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री और विजय त्रिवेदी के साथ चर्चा।
नागरिकता क़ानून को लेकर सवाल यह है कि कोई कैसे साबित करेगा कि उसका धार्मिक उत्पीड़न हुआ है और सरकार कैसे इसका पता लगाएगी। सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
अमेज़न और 'वाशिंगटन पोस्ट' के मालिक जेफ़ बेज़ो पर प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रियों के बयान से क्या 'वाशिंगटन पोस्ट' झुक जाएगा? क्या उसाे काबू किया जा सकता है?
हिंदुत्ववादी विचारधारा वाले योगी आदित्यनाथ विवादों में क्यों रहे हैं? मुसलिमों के ख़िलाफ़ अक्सर विवादित बयान क्यों देते रहे हैं? अब उन्होंने क्यों कहा कि मुसलमानों की आबादी 7-8 गुणा बढ़ी है? उन्होंने ऐसा किस आधार पर कहा? क्या यह साफ़ झूठ नहीं है? उन्होंने ऐसा क्यों कहा? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
नागरिकता क़ानून के विरोध के लिए शाहीन बाग़ देश से विदेश तक चर्चा क्यों है? देश भर में लोग सड़कों पर क्यों है? जिन लोगों ने जिस सरकार को प्रचंड बहुमत दिया था उसी के ख़िलाफ़ लोग क्यों हैं? सत्य नडेला क्यों बोल रहे हैं। तीस हज़ारी कोर्ट ने विरोध के अधिकार और संसद में चर्चा को लेकर क्यों टिप्पणी क्यों की? देखिए आशुतोष की बात।
'मोदी का विरोध किया तो ज़िंदा गाड़ दूँगा'। 'असम और यूपी में हमारी सरकार ने कुत्ते की तरह गोली मारी'। ऐसे ही बयान हर रोज़ बीजेपी नेताओं के आ रहे हैं? क्या ऐसी भाषा कोई नेता बोल सकता है? वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या बीजेपी नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन से तिलमिला गई है?
जेएनयू में हुई हिंसा की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। सुनिए, जेएनयू हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की कार्यशैली को लेकर क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
क्या हिंसा करने वालों के विरोध में खड़ा होना देशद्रोह है? यदि दीपिका पादुकोण हिंसा के विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने जेएनयू चली गईं तो इसमें क्या देश विरोधी हो गया? हिंसा की तो सभी ने निंदा की थी, फिर दीपिका की फ़िल्म 'छपाक' को बायकॉट करने और देशद्रोही बताने वाले लोग कौन हैं? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी का क्या होगा? इसका नतीजा तीन चीजों से तय होगा। लेकिन वे तीन चीजें क्या हैं? क्या चीजें सही नहीं चलीं तो क्या मोदी की जीत होगी? और यदि ऐसा हुआ तो कितनी बड़ी जीत होगी? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
जेएनयू हिंसा पर पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में क्यों है? क्यों पुलिस का बयान बार-बार बदल रहा है? पुलिस की एफ़आईआर में है कि लिखित में पुलिस को जेएनयू कैंपस में घुसने के लिए 3:45 बजे ही अनुमति मिल गई थी, फिर वह हिंसा को रोक क्यों नहीं पायी? पुलिस की एफ़आईआर और पुलिस के बयान में अंतर्विरोध क्यों है? क्या पुलिस झूठ बोल रही है? देखिए आशुतोष की बात।
जेएनयू में हिंसा हुई। दर्जनों नकाबपोशों द्वारा। तेज़ाब, लाठी, लोहे की रॉड के साथ होस्टल में घुस कर निहत्थे छात्रों और अध्यापकों पर हमला किया गया। तीन घंटे तक। क्या विश्वविद्यालय प्रशासन, पुलिस, केन्द्रीय सरकार की शह के बिना यह संभव है? क्या इस हिंसा के लिए साज़िश रची गई। देखिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और शीतल पी सिंह की चर्चा।