पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
ट्रंप के पास क्लोरोक्वीन का भंडार है! फिर वो भारत को धमकी क्यों दे रहे हैं? क्या अमेरिका को भारत की परवाह नहीं है? क्या मोदी सरकार को अमेरिका को क्लोरोक्वीन देना चाहिये? देखिए आशुतोष की बात।
तब्लीग़ी के मौलाना साद ग़लती मानने को तैयार नहीं हैं। उनका जवाब आया है। वे इसे साज़िश क़रार दे रहे हैं। कह रहे हैं कि तब्लीग़ी को बदनाम किया जा रहा है। अपनी बेवक़ूफ़ी की वजह से हज़ारों लोग की जान जोखिम में डालने वाले इस शख़्स को कब अक़्ल आयेगी? देखिए आशुतोष की बात।
कोरोना वायरस और उसके साथ जुड़ी आशंकाओं पर हर रोज़ तरह तरह की नई बातें और नए सवाल सामने आ रहे हैं। अभी तक माना जा रहा है कि भारत ने वक्त रहते कदम उठाकर अपने लोगों को काफ़ी हद तक सुरक्षित कर लिया है। लेकिन पिछले दिनों एक ही कांड ऐसा हो गया जो लगातार भयावह स्वरूप लेता जा रहा है। ऐसे में क्या सवाल उठते हैं और क्या समाधान दिखते हैं इसपर एक ख़ास बातचीत आशुतोष और शीतल के साथ।
क्या अर्थव्यवस्था बचाने कि लिये लॉकडाउन हटा लेना चाहिए? किससे ज़्यादा नुक़सान होगा, कोरोना से या लॉकडाउन से? आख़िर कितनी बदहाल होगी अर्थव्यवस्था? CNBC Awaaz के पूर्व सम्पादक आलोक जोशी से बात की आशुतोष ने।
सरकार ने क्यों सु्प्रीम कोर्ट से कहा कि वो आदेश दे कि मीडिया कोरोना पर खबर बिना सरकार से कंफर्म किये न चलाये? क्या ये ख़बरों को सेंशर करने की कोशिश नहीं थी? आख़िर सरकार क्यों मीडिया पर कंट्रोल चाहती है? देखिए आशुतोष की बात।
तबलीग ए जमात का अपराध माफी के लायक नहीं है। कड़ी क़ानूनी कार्रवाई हो। लेकिन कोरोना में भी हिंदू मुसलमान करने वाले लोग कौन हैं? क्यों मीडिया का एक वर्ग ज़हर फैलाने में लगा है? देखिए आशुतोष की बात।
अमेरिका जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन कोरोना से लड़ने के लिये अपनी बजट का 10 से 15 फ़ीसदी खर्च कर रहे हैं । सरकार का पैकेज सिर्फ 0.9 फ़ीसदी ही है । क्या ऐसे निपट पायेंगे कोरोना कहर से ?
हम भारतीय बड़े ख़ुशक़िस्मत हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ कि मैं कोई मोदी का भक्त हूँ। मैं इसलिए कह रहा हूँ कि मोदी जी ग़रीबी में पले और बड़े हुए हैं।
मोदी सरकार क्यों कोरोना से निपटने में पिछड़ गयी ? उसकी लापरवाही कहीं देश को मंहगा न पड़े ? दक्षिण कोरिया ने कैसे और किस तरह बिना लाकडाउन किये कोरोना पर क़ाबू पाया ! काश मोदी सरकार दक्षिण कोरिया से सबक लेते !
बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर के कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। कनिका के ख़िलाफ़ लखनऊ में एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है। कनिका को खलनायिका की तरह पेश किया जा रहा है लेकिन सवाल यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी की सोशल डिस्टेंसिंग की अपील के बाद भी वसुंधरा राजे पार्टी में क्यों गईं? सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
कमलनाथ ने बहुमत साबित करने के बजाए इस्तीफ़ा दे दिया। अब बीजेपी की सरकार बनना तय है। लेकिन सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? शिवराज सिंह के साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा इसकी दौड़ में शामिल हैं? तो शिवराज के नाम पर सहमति क्यों नहीं? क्या उनका पत्ता काटा जाएगा? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के साथ चर्चा।
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा के सदस्य के तौर पर शपथ ली। गोगोई के शपथ लेते वक्त कांग्रेस सांसदों ने शर्म करो-शर्म करो के नारे लगाये। गोगोई को राज्यसभा के लिये मनोनीत किये जाने के बाद से ही अदालती महकमे और सियासी गलियारों में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या गोगोई का शपथ लेना न्यायपालिका के लिये ख़तरा है? सुनिये, क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने।
क्या प्रधानमंत्री की इस बात पर भरोसा करें कि एनआरसी को लेकर उनके कार्यकाल में कोई चर्चा ही नहीं हुई है या गृह मंत्री अमित शाह की इस बात पर भरोसा करें कि एनआरसी लागू होकर रहेगा। फिर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्यों कहा कि एनआरसी लागू करना हर संप्रभु देश का अधिकार है। सुनिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दिये हलफ़नामे में कहा है कि इस क़ानून को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कह सकती क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सरकार के द्वारा बनाये गये किसी भी क़ानून की न्यायिक समीक्षा कर सकता है। अगर सरकार ऐसा कहती है तो यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश होगी। सुनिए, क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने।
मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट में राज्यपाल केंद्र की कठपुतली की तरह काम करते दिखाई दे रहे हैं। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि कमलनाथ सरकार बच पायेगी या नहीं। बीजेपी और कांग्रेस सरकार बनाने-बचाने के खेल में व्यस्त हैं और लोकतांत्रिक परंपराओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
क्या योगी सरकार अदालत का सम्मान नहीं कर रही है? सरकार होर्डिंग पर ऑर्डिनेंस क्यों ला रही है? योगी सरकार ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों की तसवीरों की होर्डिंग लगाई तो कोर्ट ने इसे हटाने को कहा। अब अदालत के आदेश पर ऑर्डिनेंस लाने का क्या मतलब है? क्या संविधान ख़तरे में है? देखिए आशुतोष की बात।
अमित शाह ने संसद में सफ़ाई क्यों दी कि एनपीआर पर लोगों को कोई डॉक्यूमेंट देने की ज़रूरत नहीं है? एनआरसी लागू करने के लिए दहाड़ने वाले अमित शाह ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्या यह मोदी सरकार या ख़ुद प्रधानमंत्री के झुकने का संकेत नहीं है? देखिए आशुतोष की बात।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से पूरी दुनिया के शेयर बाज़ारों में हाहाकार मचा हुआ है। भारत के शेयर बाज़ार पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा है। गुरुवार को सेंसेक्स 2707 और निफ़्टी 809 अंक तक गिर गया। ऐसे समय में निवेशक को क्या करना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने बात की सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी से।
मध्य प्रदेश में तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के लिये मजबूर किया। क्या इस पूरे घटनाक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भी भूमिका है। सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और मुकेश कुमार की बातचीत।
यस बैंक डूब गया। हालाँकि पैसे मिलने की पूरी उम्मीद है, लेकिन मिलने में देरी होगी। पर सवाल है कि ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या किया जाए? दूसरे बैंक में भी खाता रखने वाले लोगों को करना चाहिए? देखिए आशुतोष की बात में सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी की सलाह।
यस बैंक दिवालिया हो चुका है। बैंक की ऐसी हालत क्यों हुई? क्या ख़राब अर्थव्यवस्था इसकी वजह है? क्या बैंक का मिसमैनेजमेंट है? इतनी गड़बड़ी के बाद खाताधारकों के पास क्या रास्ते बचे हैं? देखिए आशुतोष की बात में सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी के साथ चर्चा।